जलवायु परिवर्तन ने कुछ जीवों के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिए हैं. साइंस पत्रिका में छपे एक अध्ययन में कहा गया है कि आर्कटिक क्षेत्र मे रहने वाले ध्रुवीय भालुओं (पोलर बियर) के सामने अब भोजन की समस्या होने लगी है.
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अध्ययन में कहा गया है कि ध्रुवीय भालुओं को खाने के लिए अपनी जरूरत मुताबिक सील नहीं मिल रहे हैं. सील भी एक तरह का समुद्री जीव होता है जो ध्रुवीय भालुओं का मुख्य भोजन माना जाता है. स्टडी के मुताबिक धरती के गर्म होने के चलते यह समस्या इन जीवों को भी परेशान करने लगी है. पहले ऐसा माना जाता था कि ध्रुवीय भालुओं का पाचन तंत्र धीमी गति से काम करता है. हालांकि इस अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि ध्रुवीय भालुओं का पाचन तंत्र तेजी से काम करता है. इसलिए पर्याप्त भोजन एक समस्या बन गया है.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलोफॉर्निया के रिसर्चरों ने अपने शोध में नौ मादा ध्रुवीय भालुओं का अध्ययन किया. इसमें पता चला कि नौ में से पांच के शरीर के आकार पर पर्याप्त भोजन न मिलने से 8-11 दिन के बीच काफी प्रभाव पड़ा. बाकी के चार भालुओं के शरीर में 10 फीसदी तक का असर दिखा.
मन मोहते पोलर बियर
जर्मनी में कुछ साल पहले क्नूट नाम के पोलर बियर ने खूब सुर्खियां बटोरी. सफेद रंग के खिलौने की तरह दिखने वाला क्नूट जब खत्म हुआ तो बहुत से जर्मन मायूस हो गए. अब एक बार फिर उसकी याद ताजा हो गई है.
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नए भालू का स्वागत
जर्मनी के हेलाब्राउन चिड़ियाघर में एक नर और एक मादा ध्रुवीय भालुओं का जन्म हुआ है. हालांकि अभी तक इन्हें नाम नहीं मिले हैं लेकिन ये सुर्खियों में जरूर हैं.
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चिड़ियाघर का आकर्षण
जुड़वा भालुओं का यह जोड़ा अब 15 हफ्ते का हो चुका है. अखबार और टीवी में इनकी तस्वीरों को देख म्यूनिख के लोग इनसे मिलने चिड़ियाघर पहुंच रहे हैं लेकिन अभी इसकी अनुमति नहीं है.
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खूब देखभाल
दिसंबर में जन्मे इन पोलर बियर का खूब ध्यान रखा जा रहा है. पशुओं के लिए काम करने वाले संगठन पेटा का कहना है कि कैद में पैदा हुए 61 फीसदी ध्रुवीय भालू बचपन में ही मर जाते हैं.
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मीडिया का ध्यान
इन्हें जब पहली बार मीडिया के सामने लाया गया तो करीब 90 मीडियाकर्मी कैमरे ले कर इनकी हर हरकत को रिकॉर्ड करने म्यूनिख पहुंचे. बर्लिन के चिड़ियाघर में रह चुकी मां जियोवाना को तो पहले से ही मीडिया की आदत है.
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क्नूट की साथी
जियोवाना 2009 से 2010 तक क्नूट की साथी रहीं. लेकिन इन दोनों की कभी संतान नहीं हुई.
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दीवानगी
दिसंबर 2006 में बर्लिन चिड़ियाघर में क्नूट नाम के पोलर बियर का जन्म हुआ. 30 साल में पहली बार वहां एक ध्रुवीय भालू जन्मा था. क्नूट को ले कर दीवानगी कुछ ऐसी थी कि दुनिया भर से लोग उसे देखने के लिए बर्लिन आते थे.
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दुखद अंत
लेकिन क्नूट का जादू कुछ ही साल चल सका. मार्च 2011 में अचानक उसकी मौत हो गई. उसके दिमाग में चोट आई थी. बर्लिन चिड़ियाघर ने उसके दिमाग की एमआरआई को संभाल कर रखा है.
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क्नूट की याद में
क्नूट की तस्वीर के साथ टीशर्ट, मग, टोपी और डाक टिकट जैसी चीजें तो बनी ही, बर्लिन में उसका स्मारक भी बनाया गया.
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रिसर्चरों के मुताबिक ध्रुवीय भालु अप्रैल से लेकर जुलाई के दौरान अपने भोजन के लिए सबसे अधिक शिकार करते हैं और उन्हें शरीर मे वसा के रूप में जमा लेते हैं. जिसके बाद उन्हें पूरे साल भोजन की जरूरत नहीं पड़ती. इस अध्ययन में कहा गया है कि पोलर बियर को असल में अधिक ऊर्जा की जरूरत अधिक होती है.
अब आर्कटिक महासागर के गर्म होने से इनके अस्तित्व पर सवाल उठने लगे हैं. अन्य क्षेत्रों के मुताबिक, आर्कटिक के गर्म होने की दर दोगुनी है. यहां बर्फ पिघलने के कारण इन पोलर बियर को भोजन के लिए बड़ी दूर जाना पड़ रहा है. अध्ययन के मुताबिक आर्कटिक की बर्फ 14% की दर से घट रही है. पिछले एक दशक में इनकी संख्या में तकरीबन 40 फीसदी की कमी आई है. इन अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि अब रिसर्चर ध्रुवीय भालुओं की जिंदगियों का बारीकी से अध्ययन कर पा रहे हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि अब हमारे पास तकनीक है जिससे हम पता कर सकते हैं कि कैसे वह बर्फ पर चल पाते हैं, साथ ही इनकी भोजन जरूरतें कैसी हैं.
ये हैं दुनिया के सबसे मशहूर भालू
बात साहित्य की हो या फिल्मों की,भालुओं को दुनिया भर में पसंद किया जाता है. एक नजर दुनिया के मशहूर भालुओं पर..
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पोलर बियर फ्रिट्ज
बर्लिन के चिड़ियाघर में जन्मा फ्रिट्ज अभी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या फ्रिट्ज अपने साथियों की तरह लोगों के दिल में जगह बना पाएगा?
तस्वीर: picture alliance/dpa/Tierpark Berlin
विनी द पूह
साल 1920 में अलन एलेक्सजेंडर ने विनी पूह नाम के इस कार्टून को बनाया था. बाद में डिज्नी ने इसका कॉपीराइट ले लिया और कार्टून सीरीज तैयार की. बाल साहित्य में लोकप्रिय पूह साल 2006 में आई हॉलीवुड की फिल्म "वॉक ऑफ फेम" का अहम किरदार था.
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दक्षिण अमेरिका का पैडिंगटन
पेरू के पैडिंगटन भालुओं को लंदन के ट्रेन स्टेशन पर पड़ा देखकर एक परिवार उन्हें अपने साथ ले गया था. इसके बाद 1958 में माइकल बॉन्ड ने इस पर कहानी लिखी, जिसके बाद इस पर लगातार कार्टून बनाए जाते रहे और साल 2014 में पैडिंगटन को फिल्मों में लॉन्च किया गया.
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फॉरेस्ट प्रिंस
डिज्नी की सीरीज “प्रिंस ऑफ द फॉरेस्ट” के अहम किरदार बालू से तो सभी वाकिफ हैं. यह किरदार रुडयार्ड किलपिंग की साल 1967 में आई किताब “जंगलबुक” से प्रेरित था.
नन्हा पोलर बियर लार्स
जर्मन लेखक हांस द बियर की कहानियों का हीरो लार्स अपने माता-पिता के साथ आर्कटिक की बर्फ में रहता था. लार्स पर लिखी गई सीरीज सबसे पहले साल 1987 में छपी और साल 1992 में इस का ऐनीमेटिड संस्करण आया. साल 2001 में इस पर फिल्म भी बनी.
तस्वीर: picture alliance/United Archives/IFTN
बियर लीजैंड
अमेरिका की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म बियर लीजैंड दो भालुओं के बीच पनपी दोस्ती, प्रेम और विश्वास की कहानी है. इस फिल्म को डिज्नी ने बनाया था और साल 2004 में फिल्म ने कॉर्टून श्रेणी में ऑस्कर भी जीता था.
तस्वीर: picture-alliance/KPA
नन्ही माशा और रिटायर भालू
रूसी एनिमेटेड सीरीज “माशा ऐंड द बियर“ सर्कस से रिटायर एक भालू और नन्ही माशा की की कहानी है. इस सीरीज का 25 भाषाओं में अनुवाद किया गया है और अब तक इस कहानी का प्रसारण 100 से भी अधिक देशों में किया जा चुका है. इसे इंटरनेट की सफलतम सीरीज में से एक माना जाता है.
तस्वीर: Masha and the Bear Ltd
फ्रेंच फिल्म बियर
साल 1988 में आई फ्रेंच फिल्म बियर में भालू का किरदार अब तक के सबसे सफल किरदारों में से एक है. यह फिल्म जेम्स ऑलिवर की नॉवेल द ग्रीजली किंग पर आधारित है.