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नई आर्थिक रेटिंग से हैरान यूरोजोन के देश

१४ जनवरी २०१२

यूरो मुद्रा का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. अब आर्थिक रेटिंग संगठनों ने निवेशकों को परेशान करने वाले आंकड़े निकाले हैं और यूरो विश्लेषकों को बहस पर मजबूर कर दिया है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

वैसे स्टैंडर्ड और पूअर्स (एस एंड पी) जैसे अमेरिकी रेटिंग संगठनों के आंकड़ों पर यूरोपीय अधिकारी ज्यादा विश्वास नहीं करते. उनका मानना है कि यह रेटिंग निष्पक्ष नहीं हैं. एस एंड पी जैसी एजेंसियां हर वित्तीय संगठन और देश को एक रेटिंग देती हैं. ट्रिपल ए रेटिंग का मतलब है कि देश में निवेश करने में ज्यादा खतरा नहीं है, आपके पैसे बचे रहेंगे और आप मुनाफा भी कमाते रहेंगे.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

एस एंड पी की रेटिंग में फ्रांस और ऑस्ट्रिया डबल ए पर खिसक गए हैं, जबकि जर्मनी की ट्रिपल ए अब भी बरकरार है और अगली रेटिंग तक खतरे से बाहर. इटली और स्पेन दो स्तर नीचे गिर गए हैं और माल्टा, स्लोवेनिया और स्लोवाकिया की हालत भी खराब है. पुर्तगाल के राष्ट्रीय कर्ज को रेटिंग एजेंसियां देखना भी नहीं चाहतीं, देश की आर्थिक हालत इतनी खराब बताई जा रही है.

'देखने का एक नजरिया है बस'

यूरोपीय आंतरिक बाजार के आयुक्त मिशेल बार्निये नई रेटिंग की 'टाइमिंग' से चकित हैं. कहते हैं कि एसएंडपी यूरोप में कुछ महीनों से हो रही प्रगति को बिलकुल ही अनदेखा कर रहा हैः "यह रेटिंग सिर्फ देखना का एक नजरिया है. मेरे लिए जरूरी है कि हम हालात का निष्पक्ष विश्लेषण करें, जो हम कर रहे हैं. हर देश में सार्वजनिक खर्चे को कम करने की कोशिश की जा रही है." यूरोपीय वित्त मामलों के आयुक्त ओली रेन ने भी एसएंडपी की रेटिंग की आलोचना की है. उनका कहना है कि यह आंकड़ें एक दूसरे से मेल नहीं खा रहे.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

उधर आर्थिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि स्थिति और खराब हो सकती थी. पिछले महीने एसएंडपी ने एलान कर दिया था कि वह जर्मनी और फ्रांस सहित 15 यूरोपीय देशों की रेटिंग में गिरावट आ सकती है. पहले ही खबर आने से शेयर मार्केट में ज्यादा हलचल नहीं मची. एसएंडपी के बाद वित्तीय विश्लेषण कंपनी मूडी एंड फिच भी इन देशों के लिए अपने रेटिंग सामने रखेगा, मतलब, यह अटकलें सिर्फ तब तक चलेंगी जब तक अगली कंपनी अपने आंकड़े पेश नहीं करती.

हालत और कितनी बुरी हो सकती है?

हालांकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि फ्रांस की रेटिंग में गिरावट से यूरो बचत कोश के लिए पैसा जुटाने में परेशानी आ सकती है. फंड उतना ही बड़ा होगा जितना कि देश उसमें पैसे डालेंगे. इस वक्त फ्रांस और जर्मनी फंड में सबसे बड़ा हिस्सा दे रहे हैं. हो सकता है कि यूरो फंड से उधार ले रहे देश, जैसे आयरलैंड, को भविष्य में ज्यादा ब्याज देनी पड़े. रेटिंग से फ्रांस की राजनीति पर भी असर पड़ सकता है. राष्ट्रपति सार्कोजी इस साल चुनाव लड़ रहे हैं. यूरो संकट और बढ़ते राष्ट्रीय कर्ज को देखते हुए सरकार को और कटौतियां करनी पडेंगी जिसका बुरा असर सार्कोजी की लोकप्रियता पर पड़ सकता है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूरोपीय केंद्रीय बैंक के प्रमुख मारियो द्रागी ने कहा है कि यूरो क्षेत्र में स्थिरता आने लगी है. इटली ने भी सरकारी बॉन्ड बेच कर पिछले हफ्ते लगभग पांच अरब डॉलर कमाए और स्पेन भी अपने बॉन्ड बेचने में सफल रहा है. इससे इनके राष्ट्रीय कर्जे कम होंगे. 27 में से 26 यूरोपीय देश अब नए सुधारों और नए आर्थिक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं. वित्तीय विश्लेषण कंपनी एलपीएल फाइनैंशियल के जेफ क्लाइनटॉप का कहना है कि यूरोपीय सरकारें बचत के प्रति और गंभीरता दिखा रही हैं.

रिपोर्टः एपी, एएफपी/एमजी

संपादनः एन रंजन

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