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नई पहचान की तलाश में है ओएससीई शिखर सम्मेलन

१ दिसम्बर २०१०

यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन ओएससीई की अस्ताना हो रही शिखर भेंट को मेजबान नूरसुलतान नजरबायेव ने पुनर्जन्म का संकेत बताया तो जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि विवादों के हल के औजार के रूप में उसमें बहुत कमियां हैं.

तस्वीर: DW/M. Bushuev

बुधवार को कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में ओएससीई के नेता ग्यारह साल बाद पहली बार मिले. पिछले सालों में 56 सदस्यों वाला यह संगठन अपने सदस्यों के परस्पर विरोधी हितों के कारण यूरोपीय संघ या नाटो जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विपरीत पृष्ठभूमि में चला गया है.

नजरबायेव ने अपने उद्घाटन भाषण में अटलांटिक से प्रशांत महासागर तक और हिमसागर से हिंद महासागर तक साझा सुरक्षा बनाने की वकालत की. साथ ही उन्होंने आर्थिक और वित्तीय सुरक्षा तथा पर्यावरण सुरक्षा और धार्मिक सहिष्णुता के लिए गतिविधियों में विस्तार को संगठन की जिम्मेदारियों में शामिल करने की मांग की.

दो दिवसीय शिखर भेंट में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव और अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी भाग ले रहे हैं. आरंभिक कार्यक्रम के विपरीत फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी अस्ताना नहीं पहुंचे. उन्होंने अपने प्रधानमंत्री फ्रांसोआ फिलों को भेजा है. बहुत से दूसरे सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व भी राज्य या सरकार प्रमुखों के बदले विदेश मंत्री कर रहे हैं.

ओएससीई के सदस्य देशों ने संगठन को मजबूत बनाने और उसे यूरोप, अमेरिका और एशिया के सुरक्षा संवाद मंच के रूप में विकसित करने की वकालत की है तो चांसलर अंगेला मैर्केल ने संगठन से अपनी जिम्मेदारियों का आलोचनात्मक आकलन करने को कहा है. उन्होंने कहा, "ओएससीई को अभी बहुत कुछ करना है ताकि हम सचमुच लोकतंत्र और आजादी के आधार पर एक सहयोगात्मक सुरक्षा मंच बन सकें."

जर्मन चांसलर ने संगठन के सभी सदस्य देशों में मानवाधिकारों के पालन की वकालत करते हुए कहा कि सभी सदस्य देशों में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति तथा मीडिया की स्वतंत्रता के मानवाधिकारों की व्यापक गारंटी को लागू किया जाना चाहिए. दूसरे राज्य व सरकार प्रमुखों की तरह मैर्केल ने भी किसी देश का नाम नहीं लिया. लेकिन पहले पूर्व सोवियत गणतंत्र के रूप में ओएससीई की अध्यक्षता कर रहा कजाखस्तान भी प्रेस और सभा की स्वतंत्रता के मामले में संगठन के मानकों को पूरा नहीं करता है.

जुलाई 1973 में स्थापित ओएससीई सुरक्षा मुद्दों पर दुनिया का सबसे बड़ा अंतर सरकारी संगठन है जिसका मकसद हथियारों के नियंत्रण, मानवाधिकार, प्रेस की स्वतंत्रता और निष्पक्ष चुनावों जैसे मुद्दों पर ध्यान देना है. दुनिया के 56 देश इसके सदस्य हैं जिनमें यूरोपीय, कॉकस क्षेत्र, मध्य एशिया और उत्तरी अमेरिका के देश शामिल हैं. इसका गठन शीत युद्ध के दौर में पूर्व और पश्चिम को एक साथ लाने के इरादे से किया गया.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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