नई रोशनी लाएंगे स्टेम सेल
२३ जुलाई २०१३एक नए शोध में कहा गया है कि यह रेटिना की बीमारियों के इलाज में एक अहम कदम है. वैज्ञानिकों ने इसके लिए चूहे के भ्रूण से मूल कोशिकाएं ली. शुरुआती स्टेज वाली इन कोशिकाओं को फिर प्रयोगशाला में इस तरह से कल्चर किया ताकि वे अपरिपक्व फोटोरिसेप्टरों में तब्दील हो जाएं. फोटोरिसेप्टर रेटिना में रोशनी पकड़ने वाले सेल्स होते हैं.
इसके बाद इस तरह की करीब दो लाख कोशिकाओं को चूहे के रेटिना में डाला गया. इनमें से कुछ आंखों की कोशिकाओं में ढल गए और दृष्टि लाने में सफल रहे. आंखों की रोशनी में कितना फर्क पड़ा है, इसे वॉटर मेज परीक्षण से देखा गया. साथ ही ऑप्टोमैट्री की मदद भी ली गई.
फोटोरिसेप्टरों के खत्म होने से रेटिनाइटिस पिगमेंटोजा और उम्र बढ़ने के साथ आंखों की मांसपेशियों के खराब होने की बीमारी एएमडी होती है. ब्रिटेन के मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने एक प्रेस रिलीज में कहा, "भ्रूण की मूल कोशिकाओं से आने वाले दिनों में अनगिनत फोटोरिसेप्टर बनाए जा सकेंगे जिन्हें दृष्टिहीन लोगों के रेटिना में प्रत्यारोपित किया जा सकेगा."
स्टेम सेल ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और कंपनियों में भारी रुचि जगाई है क्योंकि उम्मीद बढ़ी है कि इनसे टिशू बनाए जा सकते हैं. कुछ समस्याएं भी हैं, जैसे इन कोशिकाओं को सुरक्षित तरीके से विशेष कोशिकाओं में ढालना ताकि वह कैंसर वाली कोशिकाएं न बन जाएं. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी के रॉबिन अली की टीम ने पता लगाया है कि अंधे चूहों की दृष्टि तब लौट सकती है जब उनमें स्वस्थ चूहों से लिए गए रॉड सेल प्रत्यारोपित किए जाएं.
ताजा रिसर्च इसलिए और अहम हो जाती है क्योंकि प्रत्यारोपित कोशिकाओं में दृष्टि के लिए जरूरी अलग अलग नर्व सेल्स हैं और उन्हें दूसरे जानवरों से नहीं लिया गया है. उन्हें लैब में बड़ा किया गया और नई तकनीक के जरिए उन्हें सही कोशिकाओं में तब्दील किया गया. जापानी तकनीक से बनी ये कोशिकाएं इसके बाद रेटिना के आकार में ढल गई.
रॉबिन अली ने बताया, "हाल के सालों में वैज्ञानिक बहुत सहजता के साथ स्टेम सेल पर काम कर रहे हैं और उन्हें अलग अलग तरह की वयस्क कोशिकाओं और ऊतकों में बदल पा रहे हैं. लेकिन काफी लंबे समय तक रेटिना की जटिल संरचना को प्रयोगशाला में बना पाना मुश्किल था. बनाई गई कोशिकाएं विकास की प्रक्रिया में खुद को सही तरीके से नहीं ढाल पा रही थी जो कि सामान्य भ्रूण में हो जाता है. अब अगला कदम होगा कि इस प्रक्रिया को मानवीय कोशिकाओं के साथ किया जाए और इसके क्लीनिकल ट्रायल शुरू हों."
पिछले महीने ही जापान में मानवीय स्टेम सेल के इस्तेमाल की सहमति दी गई थी. इस नए शोध का उद्देश्य है आंखों की एएमडी के लिए प्लरिपोटेंट स्टेम सेल या आईपीएस का इस्तेमाल कर इलाज विकसित करना.
एएम/एमजे (डीपीए)