अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का मुकदमा निचले सदन से पास हो कर ऊपरी सदन में पहुंचा. अब मुकदमा सीनेट में चलेगा और मंगलवार से दलीलें शुरू होंगी.
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अमेरिका की राजनीति के केंद्र कैपिटल हिल पर बुधवार 15 जनवरी को कुछ नाटकीय दृश्य देखे गए जब डेमोक्रैट सांसद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोपों को ले कर एक तरह का जुलूस निकाल कर खुद सीनेट गए. निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से पास हो जाने के बाद अब यह मुकदमा आधिकारिक रूप से ऊपरी सदन में आ गया है और अब इस पर यहां सुनवाई होगी.
इससे पहले निचले सदन की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने महाभियोग के कागजात पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, "आज हम इतिहास बनाएंगे. इस राष्ट्रपति को जवाबदेह ठहराया जाएगा." कुछ ही क्षण बाद अभियोजक दल के सदस्यों ने सीनेट में प्रवेश किया और पीछे की पंक्तियों में अपनी जगह ले ली. सदन के क्लर्क ने उनके आगमन की घोषणा की. ट्रंप ने यूक्रेन में किस तरह सत्ता का दुरुपयोग किया इस बारे में ताजा जानकारी अभी आ ही रही है, लेकिन ट्रंप ने महाभियोग के मुकदमे पर शिकायत की ये सब एक "छल" है.
संसद के निचले सदन में डेमोक्रैटिक सांसदों का बहुमत है जबकि सीनेट में रिपब्लिकन सांसद बहुमत में हैं. चुनाव के साल में सीनेट में राष्ट्रपति की टीम बचाव की इस उद्देश्य से तैयारी कर रही है कि राष्ट्रपति जल्द से जल्द आरोपों से बरी हो जाएं.
16 जनवरी की दोपहर सीनेट महाभियोग की अदालत में तब्दील हो जाएगा. संविधान के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स मुकदमे की अध्यक्षता करेंगे और उन सांसदों को "निष्पक्ष न्याय" देने की शपथ दिलाएंगे जो जूरी के सदस्य की भूमिका निभाएंगे. शुरूआती दलीलें अगले मंगलवार मार्टिन लूथर किंग जूनियर अवकाश के बाद दी जाएंगी. राष्ट्रपति की टीम को उम्मीद है कि सीनेट में मुकदमा दो हफ्ते से ज्यादा नहीं चलेगा और वो जल्द ही बरी हो जाएंगे.
अगर वाकई इतना ही वक्त लगा तो ये 1999 में बिल क्लिंटन के खिलाफ चले महाभियोग और 1868 में एंड्रू जॉनसन के खिलाफ चले महाभियोग से बहुत ही छोटा मुकदमा होगा. राष्ट्रपति ने स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं कि वे लम्बी कार्यवाही चाहेंगे या छोटी. लेकिन नए प्रमाण निकलते जा रहे हैं और सीनेट के सदस्यों पर दबाव है कि वे और गवाहों से बयान लें.
सात-सदस्यीय अभियोजक दल का नेतृत्व कर रहे हैं हाउस महाभियोग की कार्यवाही के अध्यक्ष, इंटेलिजेंस समिति से एडम शीफ्फ और न्यायिक मामलों की सदन की समिति के अध्यक्ष जेरी नैडलर. समितियों के दोनों अध्यक्ष पेलोसी के भरोसेमंद हैं. तीन या चार सीनेट सदस्य मुकदमे का नतीजा निकलवा सकते हैं. सीनेट में रिपब्लिकन सांसदों का बहुमत है. उनकी संख्या 53 है जबकि डेमोक्रैटिक सांसदों की संख्या 47 है.
ये लगभग तय ही माना जा रहा है कि रिपब्लिकन सांसद ट्रंप को बरी करने का पक्ष लेंगे. लेकिन मुकदमे के दौरान नियमों को स्वीकृत करने के लिए या गवाहों को बुलाने के लिए सिर्फ 51 मतों की जरूरत होगी. ट्रंप के खिलाफ आरोपों को खारिज करने के लिए भी सिर्फ 51 मतों की ही जरूरत होगी. सीनेट में रिपब्लिकन सांसदों के नेता मिच मैककॉनेल इस बात को नहीं छुपा रहे हैं कि महाभियोग के मुकदमे में वे कोई स्वतंत्र जूरी सदस्य नहीं हैं. 77 वर्षीय राजनीतिज्ञ ने राष्ट्रपति कार्यालय के साथ पूरे समन्वय का भरोसा दिया है. इसका मतलब है कि वे मुकदमे में पूरी तरह राष्ट्रपति का समर्थन करेंगे.
अमेरिका के इतिहास में डॉनल्ड ट्रंप से पहले किसी भी राष्ट्रपति पर दो बार महाभियोग नहीं लगा है. अगर ट्रंप दोषी साबित होते हैं, तो सांसद ट्रंप को भविष्य में दोबारा चुनाव लड़ने से रोकने पर एक और मतदान करा सकते हैं.
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दो बार लगा महाभियोग
महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसमें अमेरिकी कांग्रेस उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय करती है जिन पर किसी तरह के गैर कानूनी काम करने का आरोप लगता है. डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन पर दो बार महाभियोग लगा है.
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किस किस के खिलाफ
अमेरिका के संस्थापकों ने कांग्रेस को "राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी सरकारी अधिकारियों" को पद से हटाने की शक्ति दी है, जिसके तहत उन अभियुक्तों पर महाभियोग चलाया जा सकता है, जो "देशद्रोह, रिश्वतखोरी या दूसरे बड़े अपराध या दुराचार के दोषी माना जाते हैं."
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इसके मायने क्या हैं
सीधे शब्दों में कहें तो महाभियोग का मतलब है अदालत में अभियोग के समान आरोप होना. हालांकि, "उच्च अपराध और दुष्कर्म" की परिभाषा की व्याख्या के तरीके अलग हो सकते हैं. कभी कभी इसका मतलब यह भी होता है कि जरूरी नहीं कि अधिकारी ने कानून को तोड़ा ही हो.
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ट्रंप पर पहला महाभियोग
डॉनल्ड ट्रंप पर 18 दिसंबर 2019 को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने महाभियोग लगाया गया था. ट्रंप पर दो मुख्य आरोप थे. पहला, 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिद्वंदी जो बाइडेन की छवि खराब करने के लिए यूक्रेन से मदद मांगी और दूसरा, संसद के काम में अड़चन डालने की कोशिश की. राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ पहले महाभियोग की कार्रवाई जनवरी 2020 में हुई.
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कैसे चलाया जाता है महाभियोग
अमेरिकी संसद के निचले सदन के पास ही "महाभियोग लगाने की शक्ति" है. हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी आमतौर पर महाभियोग की कार्यवाही के लिए जिम्मेदार होती है. सदन के 435 सदस्यों के साधारण बहुमत से आरोप लाने के लिए सदन बहस और फिर वोट करता है. इस भूमिका में, सदन एक अधिकारी के खिलाफ आरोप लाने वाली एक जूरी के रूप में काम करता है.
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आखिर में गेंद सीनेट के पाले में
संसद के उच्च सदन यानि सीनेट के पास "सभी महाभियोगों की एकमात्र शक्ति है," जिसका अर्थ है कि इसमें अधिकारी को दोषी करार देने की शक्ति है. जब राष्ट्रपति पर मुकदमा चलाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं.
अमेरिका के आज तक के इतिहास में अब तक कुल तीन राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चलाया गया है. एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन और डॉनल्ड ट्रंप. एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन दोनों को ही सीनेट ने पद से नहीं हटाया. एक और राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने महाभियोग से बचने के लिए पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था.
राष्ट्रपतियों के अलावा
सदन ने 60 से अधिक बार महाभियोग की कार्यवाही की है. सिर्फ एक तिहाई मामलों में पूर्ण महाभियोग लाया जा सका है. केवल आठ अधिकारियों को अब तक दोषी ठहराया गया है और पद से हटाया भी गया है. यह सभी अधिकारी संघीय न्यायाधीश थे.
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राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है
राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 100 सीटों वाली सीनेट में दो-तिहाई बहुमत को राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिए वोट देना होता है. ऐसा होने पर राष्ट्रपति को पद छोड़ना पड़ता है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि राष्ट्रपति अदालत में भी उसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो या फिर भविष्य में दोषी ठहराया जाए.