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कृषि कानून: सरकार का रुख नर्म होने के संकेत

४ दिसम्बर २०२०

नौ दिनों से चल रहे किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने उनकी कुछ मांगों को स्वीकार करने का संकेत दिया है. किसानों का कहना है कि उन्हें महज संशोधन नहीं चाहिए और सरकार को कानूनों को निरस्त करना चाहिए. 

Indien Demonstration gegen Landwirtschaftgesetze
तस्वीर: Mohsin Javed

नौ दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए किसान प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों से केंद्र सरकार की गुरूवार को हुई बैठक भी बेनतीजा रही, लेकिन सरकार ने पहली बार किसानों की कुछ मांगों को स्वीकार करने का संकेत दिया. मीडिया में आई खबरों के अनुसार सरकार ने कहा कि वो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने पर भी विचार कर सकती है.

40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ हुई गुरूवार की बैठक सात घंटों तक चली, जिसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने पत्रकारों को बताया कि नए कानून में निजी कृषि मंडियों का प्रावधान है लेकिन इसके बावजूद मौजूदा कृषि मंडियों को कमजोर होने से कैसे बचाया जाए सरकार इस पर चर्चा करने को तैयार है.

उन्होंने कहा कि सरकार दोनों तरह की मंडियों में 'सम्यता' लाने की कोशिश करेगी, ताकि एक के हित दूसरे को प्रभावित ना करें. तोमर ने यह भी कहा कि मंडियों में आने वाले खरीदारों के पंजीकरण को अनिवार्य करना और विवादों के निपटारे के लिए किसानों को एसडीएम की जगह अदालत में जाने के प्रावधान को लाने की मांगों पर भी विचार किया जा सकता है.

बैठक के बाद किसान संगठनों ने पत्रकारों को बताया कि वो महज संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे और कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की अपनी मांग पर डटे हुए हैं.तस्वीर: Mohsin Javed

उन्होंने एमएसपी जारी रहने की गारंटी देने की मांग को लेकर कहा कि सरकार किसानों को इसका आश्वासन दे सकती है. बैठक में किसानों ने दिल्ली के आस पास के राज्यों के किसानों पर पराली जलाने के लिए जुर्माने के दंड पर भी चिंता व्यक्त की.

सरकार ने उन्हें कहा कि इस पर भी चर्चा की जा सकती है. हालांकि, बैठक के बाद किसान संगठनों ने पत्रकारों को बताया कि वो महज संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे और कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की अपनी मांग पर डटे हुए हैं. सरकार ने इस मांग पर कोई आश्वासन नहीं दिया है.

मीडिया में आई खबरों में बताया जा रहा है कि बैठक घंटों चलने के बावजूद किसान प्रतिनिधियों ने सरकार द्वारा किए गए भोजन के इंतजाम को ठुकरा दिया और उनके साथी प्रदर्शनकारियों द्वारा बनाया और भेजा गया खाना ही खाया. इसके बावजूद, दोनों पक्षों ने बातचीत को जारी रखने का आश्वासन दिया. शनिवार पांच दिसंबर को एक बार फिर दोनों पक्ष बातचीत करने के लिए आमने सामने बैठेंगे.

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