नए कॉपीराइट बिल के विरोध में इतालवी विकीपीडिया बंद
एलिजाबेथ शूमाखर
४ जुलाई २०१८
यूरोप में नए प्रस्तावित कॉपीराइट कानून को लेकर इंटरनेट और अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस शुरू हो गई है. इस बिल को जहां अखबार प्रकाशक जरूरी बता रहे हैं, वहीं इसके विरोध में विकीपीडिया का इतावली संस्करण दो दिन बंद रहेगा.
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विकीपीडिया के इतावली संस्करण का मानना है कि इंटरनेट की आजादी खतरे में है. मंगलवार को विकीपीडिया ने बयान जारी कर कहा कि नए कानून के विरोध में इतावली संस्करण की सेवाएं दो दिनों के लिए बंद की जाएंगी. दूसरी तरफ, अखबारों के प्रकाशक नए कॉपीराइट बिल को पत्रकारिता के भविष्य को बचाने के लिए जरूरी मान रहे हैं.
नए बिल के आर्किटल 13 में नए कॉपीराइट फिल्टर्स का उल्लेख है जिनके मुताबिक सभी ऑनलाइन पोर्टल को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो भी यूजर अपने डॉक्यूमेंट या फाइल अपलो़ड करे, वे वास्तविक हो जिससे कॉपीराइट का उल्लंघन न हो सके. नए नियम लागू होने से आईटी कंपनियों पर बोझ बढ़ेगा क्योंकि अब यह उनकी जिम्मेदारी होगी कि वे यूजर्स के डॉक्यूमेंट या कंटेंट पर नजर रखे.
इसी को लेकर विकीपीडिया के इतावली संस्करण ने अपनी साइट पर मैसेज लिखा है- 'इंटरनेट की आजादी खतरे में है'. इटली के उपप्रधानमंत्री और फाइव स्टार मूवमेंट के नेता ल्यूजी डी माइओ ने विकीपीडिया को अपना समर्थन दिया है. विकीपीडिया के इतावली संस्करण के प्रवक्ता माउरिजिओ कोडोंगो ने सरकार की प्रतिक्रिया का स्वागत किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि मूवमेंट से जुड़े यूरोपीय संसद के सदस्य भी डी माइओ से इत्तेफाक रखते होंगे.
आप कौन सी जनरेशन के हैं?
पश्चिमी जगत में लोगों को उनके जन्म के साल के हिसाब से अलग अलग जनरेशन में बांटा गया. अब वैश्वीकरण और इंटरनेट के आने के बाद पूरी दुनिया को एक ही हिसाब से बांटा जा सकता है. जानिए आप किस जनरेशन के हैं.
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जनरेशन एल्फा
साल 2012 के बाद जन्मे बच्चों को जनरेशन एल्फा का नाम दिया गया है. एक जनरेशन को आम तौर पर 15 से 20 साल तक के वक्त में बांटा जाता है. लेकिन सामाजिक बदलावों को भी ध्यान में रखा जाता है. मौजूदा तकनीकी बदलावों को देखते हुए माना जाता है कि 2025 तक पैदा होने वालों को एल्फा कहा जाएगा. इसके बाद शायद बीटा, फिर गामा और डेल्टा आएं. लेकिन उसमें अभी बहुत वक्त बाकी है.
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जनरेशन जेड
1996 से 2012 के बीच पैदा होने वालों को जनरेशन जेड कहा जाता है. इंटरनेट के दौर में आई इस पीढ़ी को आई-जनरेशन, जेन टेक, नेट जेन, डिजिटल नेटिव और पोस्ट मिलेनियल भी कहा जाता है. इस दौरान कंप्यूटर जगत में बहुत तेजी से बदलाव देखे गए. साल 2010 में आईपैड के लॉन्च के बाद से डिजिटल दुनिया में एक नई क्रांति आई और अगली पीढ़ी के नाम पर चर्चा शुरू हो गई.
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जनरेशन वाय
1980 से 1995 के बीच जन्मे लोग जनरेशन वाय कहलाते हैं. इन्हें मिलेनियल जनरेशन भी कहा जाता है क्योंकि ये मिलेनियम यानि सहस्राब्दी के आखिरी सालों में दुनिया में आए. हालांकि उस जमाने में दुनिया आज की तरह इतनी जुड़ी हुई नहीं थी और हर कोने में अलग अलग सामाजिक बदलाव हो रहे थे, इसलिए कई बार 1977 से 1999 तक पैदा हुए लोगों को भी इसी पीढ़ी का माना जाता है.
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जनरेशन एक्स
1965 से 1980 के बीच जन्मे लोग जनरेशन एक्स कहलाते हैं. इन्हें एमटीवी जनरेशन भी कहा जाता है, हालांकि एमटीवी की शुरुआत 1981 में हुई थी. लेकिन अमेरिका में इस पीढ़ी ने म्यूजिक वीडियो की शुरुआत को देखा था. यहीं से हिप हॉप और रैप की भी शुरुआत हुई. डिजिटल क्रांति से पहले मुख्य रूप से अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में हो रहे बदलावों के हिसाब से इन पीढ़ियों को बांटा गया था.
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बेबी बूमर
1946 से 1964 के बीच पैदा हुए लोगों को बेबी बूमर कहा जाता है. ये दूसरे विश्व युद्ध के बाद पैदा हुए लोग हैं. इन्हें यह नाम इसलिए मिला क्योंकि युद्ध के बाद के समय में पश्चिमी जगत में जन्म दर में अचानक ही एक उछाल देखा गया. इन लोगों ने शीत युद्ध देखा, 60 के दशक में हिप्पी मूवमेंट हुआ और समाज को बदलने के लिए छात्रों का आंदोलन भी.
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साइलेंट जनरेशन
ये 1945 से पहले जन्मे लोग हैं. इन्हें मैच्योरिस्ट और ट्रैडीशनलिस्ट भी कहा जाता है. उस जमाने में पश्चिमी समाज में औरतों और मर्दों की भूमिकाएं बंटी हुई थी: महिलाएं घर पर रह कर परिवार का ध्यान रखती थीं और पुरुष पैसा कमाने के लिए जिम्मेदार थे. इन्हें साइलेंट जनरेशन का नाम इसलिए दिया गया क्योंकि नागरिक अधिकारों के मामले में ज्यादातर लोग आवाज नहीं उठाते थे.
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हालांकि यूरोपीय संसद कह चुकी है कि नए नियम से विकीपीडिया बाहर है और इस पर इन्साइक्लोपीडिया के नियम लागू होंगे, लेकिन विकीपीडिया का कहना है कि उसका विरोध उन सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के लिए है जिन पर नए प्रस्तावित कानून से असर पड़ेगा. कोडोंगे के मुताबिक, वेब एक ऐसा स्पेस है जो सभी को दिखना चाहिए जिससे लोग सच्चाई से रूबरू हो सके.
वहीं, यूरोपियन न्यूजपेपर्स पब्लिशर्स असोसिएशन के प्रमुख कार्लो पेरोने विकीपीडिया के रवैये को गलत मानते हैं. वह कहते हैं कि विकीपीडिया में दूरदर्शिता की कमी है और वह कंटेंट की चोरी जैसे खतरों को नजरअंदाज कर रहा है. इटली के अखबार फाटो क्योटिडियानो की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय आयोग के प्रवक्ता का मानना है कि नया कानून इसलिए जरूरी है क्योंकि इंटरनेट पर रोजाना ऐसी सामग्री अपलोड हो रही है जिसका वास्तव में कॉपीराइट किसी और के पास है और बाकी बस उसे अपलोड कर रहे हैं.
विकीपीडिया और अन्य आईटी विशेषज्ञों का कहना है कि नए काननू से रचनात्मक स्वतंत्रता पर हमला तो हुआ ही है, इसके लिए पर्याप्त बहस भी नहीं की गई है. आरोप है कि टेक्नोलॉजी की कम समझ रखने वाले यूरोपीय संसद के सदस्यों ने मुद्दे को समझा ही नहीं और वोट डाल दिया. फिलहाल इटली में विकीपीडिया गुरुवार तक अंधेरे में रहेगा और इसी दिन ब्रसेल्स में बिल को लेकर वोटिंग होगी.
अमेरिका से ज्यादा फेसबुक इस्तेमाल करता है भारत
अमेरिका से ज्यादा फेसबुक इस्तेमाल करता है भारत
दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन पब्लिकेशन हाउस द नेक्स्ट वेब की एक रिपोर्ट मुताबिक फेसबुक के सबसे अधिक यूजर्स भारत में हैं. एक नजर सोशल साइट फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले टॉप 10 देशों पर
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भारत
24.1 करो़ड़ यूजर्स के साथ भारत में इस सोशल साइट का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है.
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अमेरिका
फेसबुक यूजर्स अमेरिका में 24 करोड़ है, उपयोगकर्ताओं की इस सूची में भारत के बाद अमेरिका का दूसरा स्थान है.
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ब्राजील
ब्राजील, तकरीबन 13.9 करोड़ फेसबुक यूजर्स के साथ तीसरे स्थान पर है.
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इंडोनेशिया
इंडोनेशिया में यूजर्स की संख्या लगभग 12.6 करोड़ है, जो सूची में चौथे स्थान पर है.
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मैक्सिको
पांचवे स्थान पर अपने 8.5 करोड़ यूजर्स के साथ मैक्सिको का नंबर है
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फिलीपींस
फेसबुक यूजर्स की संख्या फिलीपींस में करीब 6.9 करोड़ है.
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वियतनाम
वियतनाम में इस सोशल मीडिया साइट का तकरीबन 6.4 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं.
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थाईलैंड
टूरिस्टों के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन थाईलैंड में तकरीबन 5.7 करोड़ फेसबुक यूजर्स हैं.
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तुर्की
तुर्की में फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 5.6 करोड़ है.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन में फेसबुक की लोकप्रियता घटी है, यहां तकरीबन 4.4 करोड़ यूजर्स है.