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नए रास्ते पर दौड़ी भारतीय रेल

१४ मार्च २०१२

भारत में रेल बजट रस्म अदायगी थी. भले ही यह मंत्रालय बड़े नेताओं के पास रहा हो लेकिन अगर इसका इंतजार होता भी था, तो सिर्फ लालू यादव के चुटकुलों के लिए. अचानक क्षितिज पर उभरे दिनेश त्रिवेदी ने रेल बजट को अहम बना दिया.

तस्वीर: picture alliance/dpa

पिछले 10 साल में अगर रेल मंत्रियों की सूची देखी जाए, तो रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, लालू यादव और ममता बनर्जी जैसे दिग्गज नेता. रेल मंत्रालय जब पिछले साल ममता के पास से छूटी तो लगा कि दिनेश त्रिवेदी जैसे कम जाने जाने वाले मंत्री से ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती. लेकिन त्रिवेदी का ब्रीफकेस जब खुला, तो जानकारों का मुंह भी खुला रह गया.

त्रिवेदी ने टिकट किराया न बढ़ा कर लोगों को खुश करने की रिवायत बदल दी. नौ साल में बड़े बड़े नेताओं ने टिकट किराया बढ़ाने की हिम्मत नहीं की लेकिन त्रिवेदी ने ऐसा कर दिया. भले ही लालू रेल की हालत पर वाहवाही लूटते रहे हों लेकिन मौजूदा मंत्री का कहना है कि भारतीय रेल की सेहत ठीक नहीं है और वह सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकते.

शिकागो से एमबीए की पढ़ाई कर चुके त्रिवेदी का कहना है, "मैंने रेलवे को आईसीयू से बाहर निकाला है. अगर मेरे पास पैसा नहीं होगा तो मैं सुरक्षा का वादा नहीं कर सकता हूं. मैं एक भी व्यक्ति को ट्रैक पर मरते नहीं देखना चाहता. मेरा फोकस है- सुरक्षा, सुरक्षा और सुरक्षा." भारतीय रेल में होने वाले हादसों से हर साल 15000 लोगों की जान जाती है. रेलवे ने नौ साल से किराया नहीं बढ़ाया. हालांकि इस दौरान भारत की प्रति व्यक्ति आय 236 डॉलर से बढ़ कर 1519 डॉलर हो गई है. आम तौर पर रोजमर्रा की चीजें कम से कम दोगुनी महंगी हो गई हैं और पेट्रोल की कीमत उस वक्त 30 रुपये प्रति लीटर थी, आज 70 रुपये के आस पास है.

तस्वीर: Reuters

महंगाई के हिसाब से 2003 में 100 रुपये में जितना सामान मिलता था, वह अब करीब 198 रुपये में मिलता है. सरकारी दफ्तरों में भी तनख्वाह लगभग तीनगुनी हो गई है. भारत में सबसे ज्यादा सैलरी कैबिनेट सचिव को मिलती है. नौ साल पहले उस पद की तनख्वाह 30,000 रुपये थी, जो अब बढ़ कर 90,000 रुपये कर दी गई है.

भारतीय रेल दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है, जिसकी पटरियां 65,000 किलोमीटर तक फैली है. यहां 1853 में पहली रेल चली लेकिन रेल सुविधाओं में कभी भी बड़ा बदलाव नहीं देखा गया. रेल के डिब्बे आज भी ज्यादातर वैसे ही बन रहे हैं, जैसे 100 साल पहले. हजारों हजार रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक नहीं है, जहां सबसे ज्यादा दुर्घटना होती है.

त्रिवेदी ने जापान और यूरोप के रेल को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेल का कायाकल्प करने की योजना बनाई है. आधुनिक डिब्बे और इंजन खरीदे जाएंगे और रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट की तरह चमकाया जाएगा. महानगरों में चार नए स्टेशन बनाए जाएंगे. अमेरिका सहित दुनिया भर की बड़ी रेल सेवाओं की सुविधा देख चुके भारतीय मंत्री ने कहा, "ब्रिटिश काल के रेल नेटवर्क को सुधारने और सुरक्षा के लिए 14000 अरब रुपये की जरूरत है. अगले 10 साल में इसकी जरूरत होगी और किराया बढ़ाना एकमात्र विकल्प है."

जिन लोगों ने लालू यादव का बजट देखा हो उन्हें त्रिवेदी से मजाहिया जुमलों की आस न रही होगी. अंग्रेजी और हिन्दी एक समान बोलने वाले त्रिवेदी ने यहां भी निराश नहीं किया और इन लाइनों के साथ भाषण खत्म किया.

रेलगाड़ी की छुकछुक में ही आम आदमी की धक धक है.

रेलगाड़ी की बरकत में ही, देश की बरकत है.

रेलगाड़ी को थोड़े दुलार की जरूरत है. थोड़ी राहत, थोड़े प्यार की जरूरत है.

रेलगाड़ी की छुकछुक में ही आम आदमी की धक धक है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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