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नकली त्वचा को असली अहसास

१४ सितम्बर २०१०

वैज्ञानिकों ने बनाई नई त्वचा. यह कृत्रिम त्वचा इस तरह के पदार्थ से बनाई गई है कि हर तरह के दबाव को महसूस कर सकती है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस नई त्वचा के कारण कृत्रिम हाथ बनाने में बड़ा बदलाव आएगा.

वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे कृत्रिम हाथ अंडे जैसी चीजों को उठाने और भारी वस्तुओं जैसे तवे को उठाने में फर्क कर सकेंगे. साथ ही इस त्वचा से बने हाथ की पकड़ भी अच्छी होगी.

अमेरिकी वैज्ञानिक काफी समय से रोबोट को इस तरह से बनाना चाह रहे हैं कि वे अपने आप वजन में फर्क कर सकें. किस चीज को उठाने में कितने जोर की आवश्यकता है इसमें अंतर कर सकें. चूंकि उनमें संवेदना नहीं होती तो वे इसे महसूस भी नहीं कर सकते. लेकिन नई त्वचा में सेंसर लगे होने के कारण रोबोट अब फूल और हथौड़े में फर्क कर सकेंगे.

आर्टिफिशियल स्किन की खोज करने वाली टीम में से एक, कैलिफोर्निया की बर्कले यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अली जावे कहते हैं, "मनुष्य जानता है कि कैसे नाजुक अंडे को पकड़ा जाए कि वह टूटे नहीं. अगर हम ऐसा एक रोबोट चाहते हैं जो प्लेटें रखे, वाइन के ग्लास बिना तोड़े उठा ले लेकिन हम साथ ही यह भी चाहते हैं कि वह भारी बर्तन भी बिना गिराए उठाए."

जावे की टीम ने सिलिकॉन और जर्मेनियम की मिश्र धातु से बहुत ही छोटे नैनोवायर्स बनाए हैं. इन वायर्स को एक छोटे से ड्रम पर लपेटा गया और फिर इस ड्रम को एक चिपकने वाली सतह में लपेट दिया गया.

कृत्रिम अंगों के लिए अहम खोजतस्वीर: AP

यह चिपकने वाली फिल्म सेमीकंडक्टर है. इस सेमीकंडक्टर वाली फिल्म पर दबाव महसूस करने वाले रबर का लेप चढ़ाया गया. इस पदार्थ का परीक्षण करने से पता लगा कि यह वज़न को महसूस कर सकता है.

वहीं वैज्ञानिकों की एक दूसरी टीम जेनान बाओ के नेतृत्व में काम कर रही थी. बाओ कैलिफोर्निया की स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी में केमिकल इंजीनियर हैं. उनकी टीम ने एक बिलकुल ही अलग तरीके से काम किया. वे कृत्रिम त्वचा को इतना संवेदनशील बनाने में जुटे कि वह तितली के दबाव को भी पकड़ ले.

बाओ के सेंसर बहुत लचीले रबर के बीच दो इलेक्ट्रॉड वाले पिरामिड्स को रख कर बनाए गए. बाओ ने बताया, "हमने इसे ऐसे बनाया कि इसमें हवा फंस जाए. अगर रबर में हवा बीच में हो तो यह दबेगा."

बाओ का कहना है कि जब यह पदार्थ खिंचेगा या दबेगा तो विद्युतीय क्रिया में बदलाव होगा. रबर की मोटाई में बदलाव होने इलेक्ट्रिकल सिग्नल पैदा होते हैं. और दबाव के हिसाब से बदलते भी हैं.

दोनों ही टीमों को उम्मीद है कि यह कृत्रिम त्वचा उन लोगों के बहुत काम आएगी जिन्हें कृत्रिम हाथ लगाया गया है. लेकिन इससे पहले वैज्ञानिकों को अपना दिमाग और खर्च करना होगा यह समझने में कि किस तरह से यह पदार्थ (रबर वाली कृत्रिम त्वचा) मनुष्य के दिमाग के साथ तालमेल बिठाता है.

जावे की आर्टिफिशयल स्कीन ताजा उदाहरण है कि कैसे सिलिकॉन जैसे भंगुर पदार्थ लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स और सेंसर के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इसी साल की शुरुआत में कैलिफोर्निया के तकनीकी संस्थान के एक प्रयोग में सिलिकॉन वायर से कपड़ों में इस्तेमाल किए जा सकने वाले सौर सेल बनाए गए.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः वी कुमार

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