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नक्सलियों से बातचीत से इनकार

२८ मई २०१३

भारत सरकार ने नक्सलियों से किसी तरह की शांति वार्ता की संभावना से इनकार कर दिया है. छत्तीसगढ़ में 24 से ज्यादा लोगों की हत्या की जिम्मेदारी माओवादियों ने ले ली है.

तस्वीर: DW

भारत के गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह का कहना है कि पहले भी कई बार सरकार ने बातचीत का प्रस्ताव रखा है लेकिन कोई सामने नहीं आया. उनका कहना है कि माओवादियों ने हमेशा से मांग रखी है कि पहले वहां तैनात अर्धसैनिक बलों को हटाया जाए.

सिंह ने कहा, "बातचीत का वक्त खत्म हो चुका है. मुझे लगता है कि हमें इस तरह ताजा स्थिति का आकलन करना चाहिए." लगभग चार दशक से नक्सली सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं. उनकी मांग है कि किसानों और गरीबों को जमीन और नौकरी दी जानी चाहिए. पिछले आठ साल में नक्सली हिंसा में 6000 लोग मारे गए हैं.

पिछले शनिवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा इलाके में नक्सलियों ने घात लगा कर हमला किया, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सहित 24 से ज्यादा लोग मारे गए. हजारों की संख्या में सुरक्षा बलों ने इलाके की तलाशी शुरू कर दी है और हमलावरों को खोजा जा रहा है. मारे गए लोगों में कांग्रेस के महेंद्र कर्मा भी शामिल हैं, जिन्होंने सलवा जुडुम की स्थापना की थी. यह आम नागरिकों की सेना थी, जो नक्सलियों पर काबू पाने के लिए बनाई गई थी.

तस्वीर: UNI

इस बीच नक्सलियों ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि हमला उन्होंने ही किया है. समाचार एजेंसियों ने ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय समाचार सेवा बीबीसी के हवाले से रिपोर्ट दी है कि नक्सलियों ने उन्हें बताया कि हमला उन्होंने ही किया. कहा गया है कि उन्होंने सरकारी नीतियों के खिलाफ हमला किया और "उन्हें इस बात का अफसोस है कि हमले में कई निर्दोष लोग भी मारे गए."

इन्होंने अपने चार पन्ने के बयान में कहा, "हमने उन एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत का बदला लिया है, जो सलवा जुडुम और सरकारी अधिकारियों के हाथों मारे गए हैं."

भारत के ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि नक्सलियों से प्रभावित इलाके में "भारी सुरक्षा और पुलिस की तैनाती होनी चाहिए." उन्होंने कहा कि सरकार इन इलाकों के आदिवासियों की समस्या सुलझाने की कोशिश कर रही है.

नक्सलियों के हमले में पुलिस और सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले के अलावा सरकारी अधिकारियों का अपहरण भी शामिल है. उन्होंने कई बार ट्रेन की पटरियां भी उड़ा दी हैं और पुलिस से हथियार लूट लिए हैं.

यह विद्रोह 1967 में शुरू हुआ, जब कोलकाता के पास नक्सलबाड़ी में युवाओं को इसमें शामिल किया गया. अनुमान है कि अब नक्सल विद्रोहियों की संख्या बढ़ कर 30,000 के पार पहुंच चुकी है. उनकी प्रतिज्ञा है कि वे भारत सरकार को उखाड़ फेंकेंगे. समझा जाता है कि देश के 28 में से 20 प्रांतों में नक्सलियों का प्रभाव है.

एजेए/एमजे (एपी, एएफपी)

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