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नगा शांति प्रक्रियाः क्या टूटेगा गतिरोध

२ मार्च २०१०

नगालैंड में बीते छह दशकों से जारी उग्रवाद की समस्या के समाधान के लिए एक दशक से भी लंबे अरसे से जारी शांति प्रक्रिया का अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है.

नगा शांति प्रक्रियातस्वीर: Fotoagentur UNI

नगा संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नगालैंड यानी एनएससीएन का इसाक-मुइवा गुट असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नगा-बहुल इलाक़ों को मिला कर वृहत्तर नगालैंड के गठन और संप्रभुता की मांग कर रहा है. लेकिन सरकार ने साफ़ कर दिया है कि अलग राज्य का गठन संभव नहीं है. बीते लगभग 12 वर्षों से जारी शांति प्रक्रिया में शामिल दोनों पक्षों के गतिरोध की मुख्य वजह यही है कि कोई भी अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि देश-विदेश में हुई पचास से ज्यादा बैठकों के बावजूद अब तक यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी है.

मंगलवार से दिल्ली में शुरू हुई शांति बैठक के ताजा दौर से भी सबसे बड़ा सवाल यही उभर रहा है कि क्या इस बार गतिरोध टूटेगा. एनएससीएन (आई-एम) के महासचिव टी. मुइवा इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से मध्यस्थ पूर्व पेट्रोलियम सचिव आर.एस.पांडेय के साथ बातचीत के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम से भी मुलाकात की.

भूलभुलैया शांति प्रक्रिया

नगालैंड में उग्रवाद की समस्या के समाधान के लिए कोई 12 साल पहले शुरू हुई शांति प्रक्रिया अब तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है. नगा संगठन संप्रभुता की मांग कर रहा है तो केंद्र सरकार फिलहाल किसी नए राज्य के गठन के मूड में नहीं है. दोनों पक्षों के अड़ियल रवैए की वजह से ही जो शांति प्रक्रिया, उग्रवाद से जूझ रहे पूर्वोत्तर के लिए एक मिसाल बन सकती थी, वह खुद ही एक भूलभुलैया बन गई है.

इस बातचीत के लिए दिल्ली पहुंचे संगठन के महासचिव टी. मुइवा ने केंद्र सरकार पर इस मसले को उलझाने का आरोप लगाया है. वे कहते हैं कि दस साल से भी ज्यादा समय गुज़रने के बावजूद भारत सरकार अब तक नगा समस्या का कोई समाधान नहीं निकाल सकी है. हम लंबे अरसे से सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं. भारत सरकार को अब इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए. नगा नेताओं ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मुलाकात की.

तस्वीर: UNI

पड़ोसी राज्यों का विरोध

एनएससीएन का इसाक-मुइवा गुट असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नगा-बहुल इलाकों को मिला कर वृहत्तर नगालैंड के गठन और संप्रभुता की मांग कर रहा है. लेकिन नगालैंड के पड़ोसी राज्य इस मांग का विरोध कर रहे हैं. दूसरी ओर, सरकार ने साफ़ कर दिया है कि अलग राज्य का गठन संभव नहीं है. केंद्रीय गृह सचिव जी.के.पिल्लै ने अपने नगालैंड दौरे पर साफ कहा कि बिना सोचे-समझे नए राज्यों का गठन संभव नहीं है. वे कहते हैं लोग तो बहुत कुछ मांग सकते हैं. लेकिन मांग उठाना ही काफी नहीं है. हमें ऐसे राज्य बनाने होंगे जो आत्मनिर्भर हों. ऐसा नहीं हुआ तो नए राज्यों की व्यवस्था खुद ही ढह जाएगी.

लेकिन नगा संगठन संप्रभुता की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है. मुइवा कहते हैं "मैंने अपने लोगों को भरोसा दिया है कि हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे. हम भारत और उसके हितों का आदर करते हैं. लेकिन अपने हितों की कीमत पर हम ऐसा नहीं कर सकते."

मौजूदा हालात में लाख टके का सवाल यह है कि क्या एक दशक से भी ज्यादा पुराना गतिरोध इस बार टूटेगा ? लेकिन दोनों पक्षों के रुख को देखते हुए इसकी उम्मीद तो कम ही है.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः आभा मोंढे

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