नजरिया: यूक्रेन का हौसला और रूस की शर्म है मारियोपोल
रोमान गोंसारेंको
टिप्पणी
२१ मई २०२२
मारियोपोल के इतिहास का सबसे काला अध्याय खत्म हो रहा है. तीन महीने तक संघर्ष करने के बाद यूक्रेनी सैनिकों ने ओजोव्स्ताल स्टील प्लांट से बाहर निकल कर समर्पण कर दिया है.
विज्ञापन
रूस ने 2014 में क्राइमिया को अलग करने के साथ यूक्रेन के खिलाफ जो युद्ध शुरू किया था, उसमें मारियोपोल एक मिसाल है. इससे पहले 2014-15 में सिर्फ दोनेत्स्क के एयरपोर्ट की रक्षा में ही सैनिक इससे ज्यादा लंबे समय तक टिके रहे थे. हालांकि, मारियोपोल की स्थिति उसकी तुलना में बहुत ज्यादा खराब थी, क्योंकि घेरेबंदी में फंसे सैनिकों की यूक्रेन कोई सैन्य मदद नहीं कर पा रहा था.
जिन लोगों ने रूस के हाथों पकड़े जाना स्वीकार किया है, उन्हें उम्मीद है कि यूक्रेन की गिरफ्त में रूसी सैनिकों के बदले उनकी रिहाई हो जायेगी. यह उम्मीद कितनी उचित है, इस वक्त इसकी भविष्यवाणी मुश्किल है. रूस यूक्रेनी युद्धबंदियों को अपने अपमानजनक दुष्प्रचार के लिए इस्तमाल कर रहा है और उसे कोई जल्दी नहीं है.
अजोव सागर के तट पर बसा मारियोपोल आज वो नाम बन गया है, जो घर-घर में सुनाई देता है. यूक्रेन को खत्म करने के रूसी युद्ध के इतिहास की किताबों में उसका जिक्र प्रमुखता से होगा.
मारियोपोल यूक्रेन का पहला बड़ा शहर है, जिसे रूसी सेना ने आम लोगों की जान की परवाह किये बगैर पूरी तरह तबाह कर दिया. इस पर घेरेबंदी बहुत जल्दी शुरू हो गई, लेकिन प्रतिरोध जारी रहा और यह खुद यूक्रेन के लिए उसकी दृढ़ता का प्रतीक बन गया.
युद्ध शुरू होने से पहले 40 लाख से ज्यादा लोगों का घर रहे मारियोपोल में कितने लोगों की जान गई है, इसका अब तक कोई पता नहीं है. लेकिन, आशंका है कि यह संख्या दसियों हजार हो सकती है. कई हफ्तों तक अंधाधुंध गोलाबारी का निशाना रहे शहर में शायद ही कोई इमारत हो, जो युद्ध के पहले जैसी हालत में हो. यह युद्ध अपराध है, इसमें कोई संदेह नहीं है.
युद्ध में तबाह हुआ मारियोपोल अब ऐसा दिखता है
दक्षिण पूर्वी यूक्रेन का शहर मारियोपोल कभी एक संपन्न बंदरगाह शहर और छुट्टी के लिए पसंदीदा जगह थी. शहर की आबादी कभी चार लाख से अधिक थी. रूसी सेना ने इसे कब्रिस्तान में बदल दिया है.
तस्वीर: Maxar Technologies/picture alliance/AP
बंदरगाह शहर
जंग से पहले तक मारियोपोल को एक ऐसी जगह के रूप में जाना जाता था जहां लोग आराम कर सकते थे और अपने खाली समय का आनंद ले सकते थे. अजोव सागर के तट पर बसे इस शहर की रणनीतिक रूप से काफी अहमियत है. बंदरगाह पर स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता था. यहीं से कई कंपनियां दुनिया भर में लोहा, स्टील, अनाज और मशीनों का निर्यात करती थीं.
तस्वीर: Ivanov Stanislav/Ukrinform/IMAGO
मौजूदा हाल
बंदरगाह की पहले की तस्वीर और अब की तस्वीर में जमीन आसमान का फर्क है. युद्धग्रस्त बंदरगाह में पानी में तैरता एक टूटा हुआ जहाज नजर आ रहा है. लोग शहर को छोड़कर भाग रहे हैं. अभी भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है.
तस्वीर: Sergei Bobylev/ITAR-TASS/IMAGO
कभी ऐसा था शहर का केंद्र
20 जून, 2019 को ली गई इस तस्वीर में बच्चे सिटी सेंटर के एक पार्क में पानी के फव्वारे में खेलते हुए नजर आ रहे हैं. पीछे एक चर्च भी नजर आ रहा है.
तस्वीर: Thomas Imo/photothek/IMAGO
बमबारी के बाद ऐसा हुआ
उसी चर्च की हाल की तस्वीर कुछ और बयां करती है. तस्वीर 1 अप्रैल, 2022 को ली गई थी. कोई सोच भी नहीं सकता है कि यहां लोग बिना किसी भय के मस्ती करने आते थे.
तस्वीर: Sergei Bobylev/ITAR-TASS/IMAGO
रंगमंच के बाहर विरोध का स्थल
मारियोपोल क्राइमिया और रूस समर्थित अलगाववादियों वाले डोनबास इलाके के बीच में है. रूस की बमबारी यहां लगातार जारी है. क्राइमिया को 2014 में यूक्रेन से अलग कर दिया गया था, तब एक महिला यूक्रेनी झंडे के साथ रूस के खिलाफ अकादमिक क्षेत्रीय नाटक थिएटर के बाहर विरोध करतीं हुईं.
तस्वीर: EST&OST/IMAGO
अब कुछ नहीं बचा
16 मार्च को हुए रूसी हवाई हमले के बाद आज स्थिति बहुत अलग है. थिएटर में करीब एक हजार लोगों समेत बच्चों ने शरण ली थी, इसका इस्तेमाल हवाई हमले से बचने के लिए किया गया था. ऐसा माना जाता है कि हवाई हमले सैकड़ों मारे गए थे.
तस्वीर: Nikolai Trishin/ITAR-TASS/IMAGO
अजोव्स्ताल की स्टील फैक्ट्री
अजोव्स्ताल स्टील प्लांट की यह तस्वीर 2017 में ली गई थी. यह यूरोप के सबसे बड़े इस्पात संयंत्रों में से एक है. बंदरगाह के अलावा मारियोपोल में सबसे ज्यादा रोजगार इसी फैक्ट्री में मिलती थी.
तस्वीर: Musienko Vladislav/Ukrainian News/IMAGO
कबाड़ बनी स्टील फैक्ट्री
17 अप्रैल, 2022 को अजोव्स्ताल स्टील फैक्ट्री की ली गई तस्वीर रूसी न्यूज एजेंसी ने जारी थी. रूसी सेना के तेज हमले के बाद फैक्ट्री अब कुछ इस तरह से नजर आ रही है.
तस्वीर: Sergei Bobylev/ITAR-TASS/IMAGO
मारियोपोल की सड़क
यह तस्वीर जो 2018 की गर्मियों की है, जो मारियोपोल की सड़कों को दिखाती है.
तस्वीर: MAXPPP/picture alliance
मारियोपोल में मातम
मारियोपोल की आज की तस्वीरें भारी तबाही दिखाती हैं. शहर अब खंडहर की तरह नजर आता है.
तस्वीर: Maximilian Clarke/ZUMA Wire/IMAGO
10 तस्वीरें1 | 10
रूस ने मारियोपोल पर इतना कहर क्यों ढाया?
लड़ाई के पहले दिन से ही मारियोपोल, खारकीव और कीव के साथ उन तीन शहरों में था, जिन पर युद्ध की आग सबसे ज्यादा बरसी.
विज्ञापन
इसे रणनीतिक लिहाज से अहम होने के कारण सबसे पहले निशाना बनाया गया. मारियोपोल डोनबास के इलाके में दोनेत्स्क के बाद दूसरा सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र होने के साथ ही प्रमुख कारोबारी बंदरगाह भी है.
2014 के वसंत में इसका हाल भी दोनेत्स्क और लुहांस्क जैसा ही हुआ था और रूस समर्थित अलगाववादियों ने कुछ हफ्ते के लिए इस पर कब्जा कर लिया. हालांकि, जल्दी ही यूक्रेनी सेना ने इसे आजाद करा लिया. उसके बाद से युद्ध का मोर्चा शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही रहा है. हालांकि, अजोव स्टील और इलीच स्टील एंड आयरन वर्क्स अपना उत्पादन जारी रखने में सफल रहे.
आठ साल तक मारियोपोल के लोग बारूद के ढेर पर बैठे रहे. उधर 2015 में 30 लोगों की जान लेने वाले एक हमले के अलावा शहर मोटे तौर पर हिंसा और तबाही से बचा रहा.
इस दौरान मारियोपोल रूसी बोलने वाले, लेकिन यूक्रेनी विचारधारा के डोनबास का केंद्र बन गया. नीले और पीले रंगों वाले झंडे उनके लिए कांटों की तरह चुभने लगे, जो मारियोपोल को उन इलाकों में देखना चाहते थे, जिन्हें रूस अलगाववादियों की मदद से कब्जा करने में लगा है. रूसी सेना ने इतनी अधिक क्रूरता जो इस शहर में दिखाई है, इसकी एक वजह यह भी है.
इसके साथ ही मारियोपोल की स्थिति ऐसी है कि यह रूसी कब्जे वाले क्राइमिया प्रायद्वीप और रूस के बीच एक जमीनी पुल का काम कर सकता है. इस तरह का जमीनी संपर्क बनाना इस युद्ध में रूस के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है.
आखिरी में सबसे जरूरी कारण है अजोव रेजिमेंट का यहां मुख्यालय होना, जिसका गठन कट्टर राष्ट्रवादियों ने यहां मारियोपोल में किया था. इन्हीं लड़ाकों ने 2014 में मारियोपोल को आजाद कराने में निर्णायक भूमिका निभाई थी. अजोव रेजिमेंट का अस्तित्व एक छोटे, मगर बढ़िया हथियारों से लैस यूक्रेनियन नेशनल गार्ड की एक ईकाई के रूप में थी. वह बीते सालों में रूसी दुष्प्रचार का प्रमुख विषय रहा है. जब से रूस ने युद्ध के आधिकारिक लक्ष्यों में "डिनाजीफिकेशन" की घोषणा की, तभी से क्रेमलिन इस तरह के "नाजी" लेबल को मटियामेट करने में जुटा है.
रूसी युद्ध अपराधियों पर मारियोपोल में मुकदमा
इन सारी चीजों के लिए मारियोपोल ने जो कीमत चुकाई है, वह बहुत बड़ी है. मारियोपोल दुनिया के उन शहरों में शामिल हो गया है, जिन्हें युद्ध में पूरी तरह तबाह कर दिया गया. मारियोपोल की लड़ाई को उस मैटर्निटी हॉस्पिटल पर बमबारी के लिये याद रखा जायेगा, जहां से लहूलुहान मांओं को बाहर निकाला गया और उस थियेटर के लिए भी, जिसके अंदर आमलोगों ने पनाह ले रखी थी. मगर रूसी हमले में न थियेटर बचा, न उनकी जान. ये तस्वीरें भुलाई नहीं जा सकेंगी. मारियोपोल रूसी शर्म क शहर बन गया.
हालांकि, रूसी कब्जा इस शहर से यूक्रेन के इतिहास के खात्मे की शुरुआत नहीं कर सकेगा. जिस तरह से अजोव स्टील प्लांट से फिर लोहा निकलेगा, उसी तरह कभी न कभी यहां यूक्रेनी झंडा भी फिर लहरायेगा.
शहर के इतिहास का काला अध्याय तभी पूरा होगा, जब युद्ध अपराधियों के साथ न्याय होगा. द हेग के बजाय मारियोपोल में एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल की मांग पहले से ही बुलंद हो रही है. यूक्रेन में रूसी सेना के अपराधों के पर्याप्त गवाह मौजूद हैं.
आखिर आजादी की सांस मिली
हफ्तों तक यूक्रेन के मारियोपोल में एवोज्स्ताल स्टील फैक्ट्री में फंसे रहने के बाद आखिर लोगों को निकाला गया है. आजाद होने के बाद इन लोगों की तस्वीरें कई कहानियां कहती हैं.
तस्वीर: Andre Luis Alves/AA/picture alliance
आजादी का काफिला
जापोरिज्जिया प्रांत की ओर बढ़ता वाहनों का यह लंबा काफिला यूएन और रेड क्रॉस की मध्यस्थता के बाद आजाद हुए उन लोगों को लेकर जा रहा है जो हफ्तों से स्टील प्लांट में फंसे थे. मारियोपोल पर अब रूसी सेनाओं का कब्जा है.
जापोरिज्जिया पहुंचे लोग हताश और थके हुए नजर आ रहे थे. स्टील प्लांट में फंसे इन सैकड़ों लोगों के पास हफ्तों तक खाने के लिए बहुत कम खाना था और बाहर लगातार बमबारी हो रही थी.
तस्वीर: Andre Luis Alves/AA/picture alliance
फिर जुटानी होगी हिम्मत
जापोरिज्जिया पर यूक्रेन का कब्जा है, जहां इन लोगों को ले जाया गया है. कई लोगों ने हफ्तों बाद पेट भरकर खाना खाया. वे बताते हैं कि जहां वे फंसे थे वहां बस अधेरा था, भूख थी और बेबसी थी.
तस्वीर: Andre Luis Alves/AA/picture alliance
दुखों का अंत नहीं
युद्ध ने इन लोगों पर गहरा असर छोड़ा है. देखने में ये लोग राहत में नजर आ रहे थे लेकिन युद्ध के निशान देखे जा सकते थे.
तस्वीर: Diego Herrera Carcedo/AA/picture alliance
अपने पालतुओं के साथ
बहुत से लोग अपने पालतू जानवरों को साथ लेकर आए हैं. किसी के पास कुत्ता है तो किसी के पास बिल्लियां. इस महिला के पास अपने दो नन्हे कछुए थे जिन्हें वह बचा लाईं.
तस्वीर: Ukrinform/dpa/picture alliance
बस नींद चाहिए
इस महिला को यह कहने की जरूरत नहीं पड़ी कि फिलहाल वह बस सोना चाहती हैं. लगातार भारी बमबारी झेलने के बाद हफ्तों से चैन की नींद नसीब नहीं हुई थी.
तस्वीर: Andre Luis Alves/AA/picture alliance
जो बचे हैं उनके लिए उम्मीद
यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री इरीना वेरेश्चुंक को उम्मीद है कि जो लोग बचे हुए हैं उन्हें भी सुरक्षित निकाला जा सकेगा और इसमें संयुक्त राष्ट्र की मदद मिल पाएगी.
तस्वीर: Andre Luis Alves/AA/picture alliance
ताकि सनद रहे
जापोरिज्जिया में लोगों के स्वागत में आए कुछ लोगों ने उन सैनिकों को भी याद किया जो या स्टील प्लांट में फंसे हैं या फिर लड़ाई में मारे गए हैं. वे भी इंसान हैं, पोस्टर कहता है.