नजर न आएं गरीब
९ अक्टूबर २०१३सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार बेघरबार लोगों को अपराधी की तरह देख रही है और इस समस्या का हल करना नहीं चाहती. कुछ लोगों का कहना है कि हंगरी की रुढ़िवादी सरकार प्रधानमंत्री विक्टोर ओरबान के नेतृत्व में 2010 से बेघरबारों के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए है. कई बार यह देश की संसदीय अदालत में भी उलझा. पहले तो अदालत ने कचरे के डिब्बे से सामान निकालने पर और सड़कों पर सोने की रोक हटा दी थी, लेकिन बाद में इस कानून में सुधार कर इसे फिर से लागू कर दिया गया.
हंगरी की संसद ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक कानून पारित किया जिसके तहत बेघर लोग कुछ सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे घूम फिर नहीं सकते जैसे 'वो वहीं रह रहे हों'. इस प्रतिबंध के साथ हंगरी की उन सभी जगहों पर गरीब लोगों के होने पर रोक लग गई है जो यूनेस्को की सांस्कृतिक विश्व धरोहर का हिस्सा हैं. इसके अलावा कुछ ऐसी जगहें भी हो सकती हैं जिन्हें नगर पालिका के अधिकारियों ने बेघरों के लिए प्रतिबंधित कर दिया हो. जो इस कानून को तोड़ेंगे उन्हें या तो आर्थिक दंड दिया जाएगा या फिर सामाजिक सेवा करने का आदेश दिया जाएगा. उन्हें जेल की सजा भी दी जा सकती है.
बेघर यानी अपराधी?
हंगरी की सिविल लिबर्टीज यूनियन ने लिखा, "बेघरों को अपराधी के तौर पर देखना मूल अधिकारों का हनन है और अस्वीकार्य है." वहीं बेघरबार लोगों के लिए काम कर रही संस्था "शहर सभी का है" की टेसेजा उद्वारहेली ने डॉयचे वेले से कहा, "कई लोगों को नहीं पता कि उन्हें काम मिलेगा कहां से.. सरकार ने वादा किया है कि सभी बेघर लोगों को रहने के लिए घर मिलेगा लेकिन इतने घर हैं ही नहीं."
उनकी संस्था के मुताबिक बुडापेस्ट की 20 लाख की जनसंख्या में 10 से 15 हजार के करीब लोग बेघर हैं. वे बताती हैं कि शहर में बेघरबार लोगों के लिए बनाए होस्टलों में सिर्फ छह हजार लोग रह सकते हैं. बुडापेस्ट के 80 फीसदी बेघरबार हंगरी के दूर दराज इलाकों के हैं. इनमें से कई पूर्वी हिस्सों के हैं. 1990 तक इन बेघरबार लोगों में से अधिकतर स्टील कंपनियों में भारी काम कर रहे थे. इन उद्योगों के बंद होने के बाद इलाके में भारी बेरोजगारी हुई और पूर्वी इलाके गरीब हो गए. कई लोग बुडापेस्ट आ गए, जहां नौकरी की तो संभावनाएं थी ही, बेघरों के लिए ज्यादा सुविधाएं भी थी.
सरकार की दलील
हंगरी की सरकार का कहना है कि बेघरों के साथ अपराधियों की तरह व्यवहार करने की बात बेसिरपैर की है. हंगरी के विदेश मंत्रालय में सचिव गेर्गेली प्रोएहले कहते हैं, "हम ये नहीं चाहते कि बेघर लोग खास सार्वजनिक स्थलों पर नहीं रहें, जहां पर्यटक बहुत ज्यादा आते हैं. यह पूरी तरह कानूनी है." लेकिन उद्वारहेली कहती हैं कि होमलेस पॉलिसी ओरबान सरकार की नीति का हिस्सा है. वह दलील देती हैं कि उन्हें एक बलि का बकरा चाहिए, इसलिए वह अति गरीबों को इस्तेमाल कर रहे हैं, बेघरों, रोमा और शरणार्थियों को.
हंगरी में पहले की सरकारों ने भी बेघरों के खिलाफ नीतियां बनाई हैं, हालांकि वह इतना योजनाबद्ध नहीं था. बेघरबारों के लिए काम करन वाले गैबर इवायनी बताते हैं कि उनका चर्च गरीब लोगों को खाना और आवास देता है. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "सरकार खुद को ईसाई बताती है लेकिन बेघरों के लिए नया कानून अमानवीय और असहयोग वाला है. बेघरों के होस्टल्स में पुलिसकर्मी अक्सर आ कर डराते धमकाते हैं, भले ही ये लोग सिर्फ खड़े हो कर कुछ खा रहे हों. ये सब ईसाइयत नहीं है."
यूरोपीय संघ, अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय नागरिक अधिकार संगठनों ने हंगरी की बेघरों, धर्म और न्याय व्यवस्था के बारे में नीतियों की आलोचना की है. सितंबर में ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा था कि बेघरों को लेकर हंगरी कानून यूरोपीय संघ के कानून को 'नजरअंदाज' करता है.
रिपोर्टः केनो वेर्सेक/आभा मोंढे
संपादनः ईशा भाटिया