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नट बोल्ट के कलाकार

७ नवम्बर २०१३

ये मूर्तियां खूब ऊंची हैं और बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन्हें बनाने के लिए रोजमर्रा की ही चीजों का इस्तेमाल किया गया है और ये मूर्तियां अधूरी हैं.

तस्वीर: DW-TV

इंसानी जिस्म के हिस्से हजारों जंग लगे नट के इस्तेमाल से बनाए गए हैं. चेहरा और उसके हाव भाव दिखाने के लिए ग्रिल का इस्तेमाल किया गया है. इस तरह की आकृतियां स्पेन के कलाकार मार्टी मोरेनो बनाते हैं. बिलकुल ही सामान्य वस्तुओं के इस्तेमाल से वह कला गढ़ने में माहिर हैं.

भ्रम पैदा करने वाली अधूरी कला

सबसे अहम बात है कि मोरेनो पूरा आकार नहीं बनाते. वे 3डी भ्रम पैदा करते हैं. उनकी इंसानी आकृतियां पूरी नहीं होती लेकिन देखने वाले के जहन में पूरी आकृति अनायास ही बन जाती है. मोरेनो कहते हैं, "मुझे अपनी कला को अधूरा छोड़ना पसंद है. और मैं इसके अधूरे हिस्से ही लगा देना पसंद करता हूं. ताकि दर्शकों को इसे अपने दिमाग में पूरा करना पड़ें. मैं उन्हें खास कंपोनेंट और खास पैटर्न देता हूं. इसके बाद दर्शक के पास जानकारी होती है और वह कला के बाकी हिस्से को पूरा कर सकता है."

33 साल के इस कलाकार की ज्यादातर प्रदर्शनियां स्पेन में ही लगती हैं, उनके अपने शहर वेलेंसिया के पास. लेकिन विदेशों में भी उनकी अच्छी पूछ है. शिकागो के एक होटल में उनकी दो मीटर ऊंची मूर्ति लगी है. मोरेनो अपनी कलाकृतियों के जरिए भावनाओं को दिखाना चाहते हैं, "जैसे इस वक्त मैं जो महसूस कर रहा हूं, वो कुछ देर में नहीं रहेगा. इसी को मैं अपनी कला में उकेरने की कोशिश करता हूं कि चीजें क्षणिक हैं."

एक ढांचा में मार्टी 10,000 नट इस्तेमाल करते हैं.तस्वीर: DW-TV

धातु का इस्तेमाल

अपने स्टूडियो में मोरेनो एकदम तल्लीन हो जाते हैं. उनका नया काम धातु से बना हुआ है. हार्डवेयर की दुकान से नट लाना और उससे कलाकृति बनाना उनका पसंदीदा काम है. वह प्लास्टर का एक मॉडल लेते हैं और उसकी मदद से शक्ल तैयार करते हैं. ऐसा ख्याल उन्हें कहां से आया, इस बारे में वह बताते हैं, "मेटल के साथ काम करने का आइडिया आया क्योंकि मैं लोहे जैसी धातु के साथ काम करना चाहता था, जो काफी मजबूत हो. लेकिन इसे ऐसा होना चाहिए था कि वह मॉडल के ढांचे में इस्तेमाल हो सके. एक दिन मैंने अपनी वर्कशॉप में नट से भरा बक्सा देखा और मैंने उन्हें ढांचे में डाल दिया. मैंने देखा कि यह तरीका बहुत अच्छा है." एक ढांचा तैयार करने में उन्हें 10,000 नट लगते हैं. वह शक्ल तैयार करने के लिए अलग अलग तरीके अपनाते हैं. एक मूर्ति पर उन्हें दो से चार महीने तक काम करना पड़ता है. इसके बाद उन्हें पेंट करते हैं. या फिर ऐसा तरल इस्तेमाल करते हैं, जिससे लगे कि कला में जंग लगी हुई है. इसके बाद तैयार नमूने डेढ़ हज़ार से बारह हज़ार यूरो में बिकते हैं यानि सवा लाख से दस लाख रुपये.

मोरेनो रोजाना की जिंदगी में लोगों पर नजर रखते हैं. यहीं से उन्हें अपनी कला के लिए प्रेरणा मिलती है. उनके शब्दों में, "फोटोग्राफी से मुझे शहरी जिंदगी को कैमरे में कैद करने में मदद मिलती है. जरूरत यह है कि लोगों की भावनाओं को कैद करें और उन्हें अपनी कला में उतारें."

आने वाले दिनों में वे और बड़ी मूर्तियां बनाना चाहते हैं, जिन्हें खुले में लगाया जा सके. यह उनकी कला के लिए भी अच्छा है. बाहर रहेगी, तो बारिश के पानी में जंग लगेगा. उनकी कला की यही तो खासियत है.

रिपोर्टः क्रिस्टीना लाउबे/आभा मोंढे

संपादनः ईशा भाटिया

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