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नड्डा पर हमले से बंगाल की राजनीति में तूफान

प्रभाकर मणि तिवारी
११ दिसम्बर २०२०

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर कथित तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हमले के बाद विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है.

Indien | Anschlag auf Konvoi von BJP Vorsitzendem J. P. Nadda
तस्वीर: Prabhakarmani Tewari/DW

केंद्रीय गृह मंत्रालय के कहने पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को राज्य की कानून व व्यवस्था की स्थिति के बारे में केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेज दी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस घटना पर राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को 14 दिसंबर को दिल्ली बुलाया है. इसके साथ ही इस मामले पर राज्य सरकार से भी रिपोर्ट मांगी गई है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना की निंदा करते हुए अपने एक ट्वीट में कहा है, ''तृणमूल शासन में बंगाल अत्याचार, अराजकता और अंधकार के युग में जा चुका है. टीएमसी के राज में पश्चिम बंगाल के अंदर जिस तरह से राजनीतिक हिंसा को संस्थागत कर चरम सीमा पर पहुंचाया गया है, वो लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले सभी लोगों के लिए दुखद भी है और चिंताजनक भी.''

शाह के 19 व 20 दिसंबर को कोलकाता दौरे पर आने की संभावना है. इससे इस मामले के और तूल पकड़ने का अंदेशा है. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह घटना बंगाल में कानून व व्यवस्था की गिरती स्थिति का सबूत है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है, "लोकतंत्र में राजनीतिक नेताओं को इस तरह से निशाना बनाना बेहद चिंताजनक है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के काफिले पर हुए हमले की गंभीरता को देखते हुए इसकी पूरी जांच की जानी चाहिए और इस घटना की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए."

इस हमले के विरोध में बीजेपी ने सड़कों पर उतर कर विरोध जताने का फैसला किया है. लेकिन दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पूरे मामले को बीजेपी की नौटंकी करार दिया है.

कब और कैसे हुआ नड्डा पर हमला?

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा बुधवार को दो दिन के दौरे पर कोलकाता पहुंचे थे. उन्होंने पहले दिन राज्य में पार्टी के कई कार्यालयों का उद्घाटन किया और ममता बनर्जी के चुनाव क्षेत्र भवानीपुर में पार्टी के गृह संपर्क अभियान के तहत दर्जनों घरों तक जा कर लोगों की समस्याएं सुनीं. नड्डा को पहले दिन भी काले झंडे दिखाए गए और नड्डा मुर्दाबाद के नारे लगाए गए. लेकिन उस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने उसी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर अंदेशा जताया था कि गुरुवार को डायमंड हार्बर में नड्डा के कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा का खतरा पैदा हो सकता है. उसके बाद राज्यपाल धनखड़ ने भी इस मुद्दे पर मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख से बात की थी. लेकिन गुरुवार को नड्डा का काफिला जब इलाके से गुजर रहा था तो नारेबाजी कर रहे तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पहले तो काफिले का रास्ता रोका और फिर उस पर पथराव किया. इस हमले में कई कारों के शीशे टूट गए और कुछ कार्यकर्ता घायल हो गए.

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमलातस्वीर: Prabhakarmani Tewari/DW

ममता बनर्जी को बताया जिम्मेदार

नड्डा ने कोलकाता दौरे की शुरुआत से ही ममता पर तीखे हमले शुरू कर दिए थे. उनका कहना था, "बंगाल में हिंसा, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद बढ़ा है. असहिष्णुता का दूसरा नाम अब ममता बनर्जी हैं. राज्य की राजनीति में अहिष्णुता बढ़ गई है. राज्य में बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याओं का सिलसिला लगातार तेज हो रहा है.”

नड्डा ने आरोप लगाया है कि यह हमला तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी नेताओं की हत्या के मकसद से कराया था. उनका कहना है कि यहां प्रशासन ही नहीं है और अगर केंद्रीय सुरक्षा बल नहीं हो तो बंगाल में घूमना ही मुश्किल हो जाएगा, "मैं समझ सकता हूं कि कार्यकर्ताओं की क्या हालत होती होगी."

नड्डा के काफिले पर जिस इलाके में हमला हुआ वह ममता के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी का संसदीय क्षेत्र है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम नेता लगातार अभिषेक का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते रहे हैं. हमले के बाद कैलाश विजयवर्गीय का कहना था, "भतीजा यहां काफी ताकतवर है. उसने अपराधियों के सहारे हमें खत्म करने का प्रयास किया है. लेकिन हम अगले चुनावों में इस इलाके में भी जीतेंगे.”

आरोप-प्रत्यारोप तेज

नड्डा के काफिले पर हमले के बाद बीजेपी और टीएमसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने इसे एक सुनियोजित हमला करार दिया है. दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने इस हिंसा के लिए बीजेपी नेताओं को ही जिम्मेदार ठहराया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस हमले को नौटंकी करार देते हुए सवाल उठाया है कि केंद्रीय बलों की सुरक्षा में आखिर पथराव कैसे संभव है. उनका कहना था कि नड्डा की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य पुलिस पर नहीं थी.

पुलिस इस घटना की जांच कर रही है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का कहना है कि जब बीजेपी के कार्यक्रमों में लोग नहीं जुटते तो वे अपने कार्यकर्ताओं से ऐसी नौटंकियां करवाते हैं. इसके साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष पर हिंसा को उकसावा देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.

डायमंड हार्बर के सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा है, "नड्डा गड्ढे में गिर गए हैं. उन पर हमला आम लोगों की नाराजगी का संकेत है.” तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी भी बीजेपी के आरोपों को निराधार बताते हैं, "नड्डा ने एक दिन पहले ममता बनर्जी के चुनाव क्षेत्र में जाकर लोगों को उकसाया था. लेकिन पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और अगर टीएमसी का कोई व्यक्ति इसमें शामिल हुआ तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा.”

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टीएमसी और बीजेपी में तनातनी

पश्चिम बंगाल में अगले विधानसभा चुनावों से पहले टीएमसी और बीजेपी में तनातनी लगातार बढ़ रही है. पहले अमित शाह ने कोलकाता पहुंच कर दो सौ सीटें जीतने का दावा किया. उसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने जनवरी में बंगाल में सीएए लागू करने की बात कह कर तृणमूल की नाराजगी बढ़ा दी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि बंगाल में किसी भी कीमत पर सीएए लागू नहीं किया जाएगा.

यहां इस बात का जिक्र किया जा सकता है कि सीएए कानून के संसद में पारित होने से पहले और बाद में असम के साथ ही पश्चिम बंगाल में भी इसका हिंसक विरोध हुआ था. खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इसके खिलाफ सड़कों पर उतरी थीं. सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि विधानसभा चुनावों में फिलहाल कुछ देरी है. लेकिन बीजेपी और टीएमसी ने अभी से इसके लिए किलेबंदी शुरू कर दी है. पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "सीएए के मुद्दे पर दोनों दलों के बीच टकराव बढ़ने का अंदेशा है. अब जेपी नड्डा के दौरे और उन पर हुए हमले के बाद बंगाल की राजनीति अचानक गरमा गई है. इसी महीने अमित शाह भी दो दिन के दौरे पर बंगाल आने वाले हैं. बीजेपी इस घटना को अपने पक्ष में भुनाने का पुरजोर प्रयास करेगी. ऐसे में हिंसा के अंदेशे से इंकार नहीं किया जा सकता.”

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