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नमी नहीं, बादलों से स्विंग होती है गेंद

३० मई २०१२

हवा में लहराती गेंदों ने क्रिकेट पिचों पर काफी तहलका मचाया है. चाहे वसीम अकरम और ग्लेन मैक्ग्रा हों या फिर स्टुअर्ट ब्रॉड. माना जाता रहा कि इन गेंदबाजों ने हवा में मौजूद नमी में का फायदा उठाया. लेकिन मामला कुछ और ही है.

तस्वीर: REUTERS

एक नया शोध सामने आया है जो कहता है कि नमी से नहीं बल्कि बादलों से बॉल को स्विंग कराने में मिलती है. ब्रिटेन के शेफील्ड हालेन यूनिवर्सिटी और न्यूजीलैंड के ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि, "इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि हवा में मौजूद नमी का हवा में गेंद के घूमने में कोई सीधा संबंध है. प्रयोग के बाद ऐसा कहा जा सकता है कि नमी का गेंद के घुमाव पर कोई असर नहीं पड़ता."

इससे पहले 1985 में नासा के वैज्ञानिक रविंद्र महेता ने दावा किया था कि नमी की वजह से गेंद को स्विंग कराने में मदद मिलती है.

इसके उलट इन वैज्ञानिकों ने नया सिद्धांत पेश किया है. 'प्रोसीडिया इंजीनियरिंग' के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित रिसर्च में कहा गया है कि आसमान पर छाए बादलों से गेंद लहराने में मदद मिलती है. आसमान में बादल होने से हवा का विचलन कम हो जाता है. हवा में गेंद के घुमाव के लिए ये आदर्श परिस्थिति होती है. वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि अब वक्त आ गया है जब क्रिकेट के बारे शोध करने वालों को नमी के बजाय बादल पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए.

तस्वीर: AP

इस नतीजे तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने थ्री-डी स्कैनर का इस्तेमाल किया. इसके लिए अलग से एक वातावरण चैंबर बनाया गया. और उसके अंदर अलग अलग नमी के साथ वैज्ञानिकों ने गेंद पर पड़ने वाले प्रभावों पर शोध किया. प्रयोग से साफ हुआ है कि नमी का गेंद के घुमाव से कोई सीधा संबंध नहीं है. प्रयोग प्रोसीडिया इंजीनियरिंग के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित हुआ है. लेकिन वैज्ञानिक यह नहीं बता पाए हैं कि बादलों के बिना गेंदबाज कैसे गेंद को स्विंग कराते हैं. डे नाइट मैचों में अक्सर रात में गेंद क्यों ज्यादा स्विंग होती है.

वीडी/ओएसजे (एएफपी)

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