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नया देश बना दक्षिण सूडान

९ जुलाई २०११

अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे बड़ा देश सूडान दो हिस्सों में बंटा. ईसाई बहुल आबादी वाला देश का दक्षिणी हिस्सा आधिकारिक रूप से दुनिया का 193वां राष्ट्र बना. दशकों के खून खराबे के बाद दक्षिण सूडान को आजादी मिली है.

Im Januar 2011 fand ein Referendum statt, in dem sich die Abstimmenden mit großer Mehrheit für die Unabhängigkeit entschieden.[1][2] Die Unabhängigkeitserklärung ist für den 9. Juli 2011 vorgesehen.[3][4] Als künftiger offizieller Landesname wurde Republic of South Sudan (RoSS) festgelegt.
दुनिया का 193वां देश

शुक्रवार शाम से ही दक्षिण सूडान में जश्न का माहौल बन गया. नई नवेली राजधानी जुबा में संगीत बजने लगा, लोग गाड़ियों के हॉर्न बजाकर शहर भर में घूमने लगे. हर चेहरे पर मुस्कान दिखाई पड़ी. हर ओर दक्षिण सूडान के झंडे फहरे हुए दिखाई पड़े. बसों, कारों और ट्रकों को भी राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में रंग दिया गया.

अंधेरे के बीच रात के 12 बजते ही शनिवार शुरू हुआ और दक्षिण सूडान में आधी रात को चर्च की घंटियां बजने लगी. चर्च की घंटियां ऐतिहासिक बदलाव की गवाह बनीं और अफ्रीकी महाद्वीप के 54वें देश का जन्म हुआ. इस मौके पर उत्तरी सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी जुबा में मौजूद रहे. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा, "मुझे यकीन है कि नया देश जल्द ही संयुक्त राष्ट्र का नया सदस्य बनेगा, हमारा 193वां सदस्य देश."

हर तरफ खुशी का माहौलतस्वीर: dapd

मून ने बशीर और दक्षिण सूडान के नेता सलवा कीर बधाई भी दी, "ऐतिहासिक मील के पत्थर तक पहुंचने के लिए मैं राष्ट्रपति बशीर और राष्ट्रपति कीर की सराहना करता हूं. दोनों राष्ट्रपतियों ने शांति के लिए एक लंबा रास्ता तय किया." शनिवार को पूरे दक्षिण सूडान में देश की स्थापना का जश्न मनाया जाएगा. राजधानी जुबा में सलवा कीर पद की शपथ लेकर दक्षिण सूडान के पहले राष्ट्रपति बनेंगे.

अगले हफ्ते दक्षिण सूडान को संयुक्त राष्ट्र दुनिया के 193वें राष्ट्र का आधिकारिक रूप से दर्जा देगा. जर्मनी ने शनिवार रात दक्षिण सूडान के आजादी के एलान के साथ ही उसे मान्यता दे दी है. नौ साल बाद यह पहला मौका है जब किसी नए देश का जन्म हुआ है. इससे 2002 में पहले ईस्ट तिमोर 192वां देश बना था.

अफ्रीका के सबसे बड़े देश सूडान का विभाजन लंबी हिंसा का नतीजा है. उत्तर की मुस्लिम बहुल आबादी और दक्षिण की ईसाई बहुत आबादी के बीच कई दशकों से चले आ रहे संघर्ष में 20 लाख लोगों की मौत हुई. उत्तरी सूडान के दारफूर इलाके में बशीर पर जनसंहार के आरोप है. उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया है.

संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद 2005 में हिंसा को खत्म करने के लिए एक शांति प्रस्ताव आया, जिसमें दो राष्ट्रों का जिक्र किया गया. शांति संधि में दक्षिण सूडान को नया देश बनाने की बात कही गई. सूडानीज पीपल्स लिबरेशन मूवमेंट और सूडान सरकार के बीच हुए इस समझौते में जनमत संग्रह कराने पर रजामंदी हुई. जनवरी 2011 में दक्षिण सूडान में जनमत संग्रह हुआ. वहां के लोगों ने बहुमत से अलग देश बनाने के पक्ष में वोट दिया.

जल्द ही मिल जाएगी यूएन से मान्यता भीतस्वीर: picture alliance/dpa

लेकिन दो देशों में बंट चुके सूडान के लोगों की मुश्किलें अब भी कम नहीं हुई हैं. दक्षिण सूडान में खनिज तेल के भंडार हैं. इन्हें लेकर उत्तर और दक्षिण सूडान के बीच तकरार हो रही है. हालत नियंत्रण में करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वहां शांति सेना तैनात की है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के मुताबिक साल भर तक दक्षिण सूडान में 7,000 सैन्य और पुलिस जवान रहेंगे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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