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नरेंद्र मोदी का हिन्दी प्रेम

एमजे/आईबी१४ सितम्बर २०१५

हिन्दी दिवस के मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि हिन्दी पारंपरिक और आधुनिक भारत के बीच की कड़ी है. वहीं पिछले सप्ताह हुए हिन्दी सम्मलेन में मोदी का हिन्दी प्रेम अब भी सुर्खियां बटोर रहा है.

10. Welt Hindi-Konferenz in Bhopal Narendra Modi und Sushma Swaraj
तस्वीर: UNI

इसे प्रधानमंत्री का हिन्दी प्रेम ही मानिए कि वे भोपाल में आयोजित हुए अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में पहुंचे. वैसे तो उनकी मातृभाषा गुजराती है लेकिन वे मानते हैं कि हिन्दी ने ही उन्हें भारत के लोगों से जुड़ने का मौका दिया. उन्हीं के शब्दों में, "मेरी भाषा हिन्दी नहीं, लेकिन मैं सोचता हूं अगर मुझे हिन्दी बोलना न आता, तो मैं लोगों तक कैसे पहुंचता."

इस तरह के सम्मेलन अक्सर भारत से बाहर रहने वाले भारतीयों के लिए एक दूसरे से मिलने का और अपनी धरती से जुड़े रहने का एक जरिया होते हैं. लेकिन इस बार यहां एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की मौजूदगी खास रही. ये सभी कंपनियां हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में निवेश कर रही हैं ताकि लोग अपनी भाषा में तकनीक का इस्तेमाल कर सकें. मोदी भी जल्द से जल्द हिन्दी को पूरी तरह डिजिटल कर देना चाहते हैं. वे मानते हैं कि "हम डिजिटल वर्ल्ड से अपनी भाषाओं को जितना अधिक जोड़ेंगे, उतनी ही तेजी से उनका प्रसार होगा."

इसी सिलसिले में वे कुछ दिनों बाद फेसबुक प्रमुख मार्क जकरबर्ग से मिलने अमेरिका भी जा रहे हैं. ट्विटर के माध्यम से मोदी ने ना केवल आमंत्रण के लिए उनका आभार व्यक्त किया, बल्कि बैठक की सही तारीख और समय तक बताया.

हालांकि हिन्दी के प्रति उनके इस स्नेह की कुछ लोग सराहना कर रहे हैं, तो कई इसकी कड़ी आलोचना भी कर रहे हैं. हिन्दी के विकास को सरकारी एजेंडा बता कर क्षेत्रीय पार्टियां इसे राजनीतिक मुद्दे के तौर पर उछाल सकती हैं. लेकिन अगर प्रधानमंत्री की योजना सफल रहती है, तो हिन्दी भविष्य में एक मुख्य अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में उभर सकती है.

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