ब्रिटेन में एक बार फिर नर्व एजेंट के जरिए दो लोगों की जान जोखिम में है. यह वही जहर है जिसका इस्तेमाल रूसी डबल एजेंट सेर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर किया गया था.
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ब्रिटेन ने एक बार फिर रूस से जिम्मेदारी लेने की बात कही है, तो रूस ने फिर से आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है. दरअसल ब्रिटेन के एमेसबरी इलाके में 45 वर्षीय एक महिला के अपने अपार्टमेंट में बेहोश होने की खबर आई. अभी उनका इलाज चल ही रहा था कि शाम को वहीं पर 44 वर्षीय डॉन स्ट्रूगेस भी बेहोश पाए गए.
डॉक्टरों को नर्व एजेंट के इस्तेमाल का शक हुआ और इन दोनों को सेलिसबरी के उसी अस्पताल में पहुंचाया गया जहां सेर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी का इलाज हुआ था. बुधवार शाम डॉक्टरों ने पुष्टि की कि दोनों मामलों में उसी जहर का इस्तेमाल हुआ है.
हालांकि जांच के दौरान अभी यह साफ नहीं हुआ है कि क्या पिछली बार वाला जहर ही अब भी सक्रीय है और लोगों के लिए खतरा बना हुआ है या फिर एक बार फिर हमला किया गया है. यह जरूर पता लगा लिया गया है कि दोनों मामलों में जहर बिल्कुल वही था.
जानिए नर्व एजेंट की एबीसी
नर्व एजेंट की एबीसी
2018 में रूस के पूर्व जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर नर्व एजेंट से हमला किया गया था. नर्व एजेंट आखिर होता क्या है और कैसे शरीर पर असर करता है?
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क्या होता है नर्व एजेंट?
नर्व एजेंट ऐसे जहरीले रसायन हैं जो सीधे नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र पर असर करते हैं. ये दिमाग तक जाने वाले संकेतों को रोक देते हैं, जिससे शरीर ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है. इसका असर सबसे पहले मांसपेशियों पर लकवे के रूप में देखने को मिलता है.
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कैसा दिखता है?
यह पाउडर के रूप में भी होते हैं और गैस के भी, लेकिन ज्यादातर द्रव का इस्तेमाल किया जाता है, जो भाप बन कर उड़ जाता है. अक्सर यह गंधहीन और रंगहीन होता है, इसलिए किसी तरह का शक भी नहीं होता.
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कैसे दिया जाता है?
यह भाप अगर सांसों के साथ शरीर के अंदर पहुंचे, तो कुछ सेकंडों में ही अपना असर दिखा सकती है. कई बार द्रव को त्वचा के जरिये शरीर में भेजा जाता है. ऐसे में असर शुरू होने में कुछ मिनट लग जाते हैं.
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कैसा होता है असर?
नर्व एजेंट के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को फौरन ही सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. आंखों की पुतलियां सफेद हो जाती हैं, हाथ-पैर चलना बंद कर देते हैं और व्यक्ति कोमा में पहुंच जाता है. ज्यादातर मामलों में कुछ मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है.
जहर देने के तरीके
कई बार इन्हें खाने में या किसी ड्रिंक में मिला कर दिया जाता है. लेकिन ऐसे में असर देर से शुरू होता है. ऐसे भी मामले देखे गए हैं जब इन्हें सीधे व्यक्ति पर स्प्रे कर दिया गया हो. इससे वे सीधे त्वचा के अंदर पहुंच जाते हैं.
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क्या है इलाज?
जहर को जहर काटता है. इसके असर को कम करने के लिए एक एंटीडोट दिया जा सकता है लेकिन जरूरी है यह जल्द से जल्द दिया जाए. एंटीडोट देने से पहले यह पता लगाना भी जरूरी है कि किस प्रकार का नर्व एजेंट दिया गया है.
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किस प्रकार के होते हैं?
नर्व एजेंट को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. जी-एजेंट, वी-एजेंट और नोविचोक. शुरुआत 1930 के दशक में हुई जब सस्ते कीटनाशक बनाने के चक्कर में एक घातक जहर का फॉर्मूला तैयार हो गया और यह जर्मन सेना के हाथ लग गया.
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क्या है जी-एजेंट?
'जी' इसलिए क्योंकि यह जर्मनी में बना. 1936 में सबसे पहला जी-एजेंट जीए बना. उसके बाद जीबी, जीडी और जीएफ तैयार किए गए. जीबी को ही सारीन के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिका युद्ध की स्थिति में रासायनिक हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल कर चुका है.
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क्या है वी-एजेंट?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने भी नर्व एजेंट बनाना शुरू किया. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 1950 के दशक में वीएक्स तैयार किया. वीएक्स के अलावा वीई, वीजी, वीएम और वीआर भी हैं लेकिन वीएक्स सबसे घातक है.
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क्या है नोविचोक?
रूसी भाषा में नोविचोक का मतलब है नया. इन्हें 70 और 80 के दशक में सोवियत संघ में बनाया गया था. इनमें से एक ए-230, वीएक्स की तुलना में पांच से आठ गुना ज्यादा जहरीला होता है और मिनटों में जान ले सकता है.
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कैसे ट्रांसपोर्ट होते हैं?
यह इतने जहरीले होते हैं कि इन्हें ले जाने वाले पर भी खतरा बना रहता है. जरा सा संपर्क भी जानलेवा साबित हो सकता है. इसलिए इनके लिए खास तरह की शीशी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कस कर बंद किया जाता है. साथ ही ट्रासंपोर्ट करने वाला खास तरह के कपड़े भी पहनता है.
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कहां से आया?
नर्व एजेंट कोई आम जहर नहीं है जिसे घर पर बना लिया जाए. यह सैन्य प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है और हर एक फॉर्मूले में थोड़ा बहुत फर्क होता है. इसलिए हमले के मामले में पता किया जाता है कि फॉर्मूला कौन से देश का है. इसके अलावा जिस शीशी या कंटेनर में जहर लाया गया, उसकी बनावट से भी पता किया जाता है.
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कितना असरदार?
नर्व एजेंट के हमले के बाद बचने की संभावना बहुत ही कम होती है. हालांकि खतरा कितना ज्यादा है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि जहर किस मात्रा में दिया गया है.
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ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वैलेस ने इस बारे में कहा, "अभी हम इसी पूर्वानुमान पर काम कर रहे हैं कि या तो इन लोगों पर पिछले हमले का ही असर हुआ है और या फिर ये कुछ और है लेकिन हमें नहीं लगता कि सीधे इन्हीं को निशाना बनाया गया होगा."
वैलेस ने कहा कि रूस अभी भी अपने "गलत को सही" में बदल सकता है, अगर वह स्क्रिपाल पर किए गए हमले की पूरी जानकारी दे दे. उन्होंने कहा, "वो हमें बताएं कि क्या हुआ. उन्होंने क्या क्या किया. मैं रूस सरकार की ओर से फोन कॉल का इंतजार कर रहा हूं. हमारी तरफ से पेशकश है. अब ये उन पर है कि लोगों को सुरक्षित रखने के लिए मदद करें."
वहीं रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि उन्हें दोनों ही मामलों में खेद है लेकिन उनकी सरकार का इनसे कोई लेना देना नहीं है. अपने बयान में उन्होंने कहा, "वहां जो हो रहा है, उससे किसी भी तरह के संबंध से, रूस पहले भी स्पष्ट रूप से इंकार कर चुका है और अब भी स्पष्ट रूप से इंकार करता है."
पेस्कोव ने कहा कि ब्रिटेन रूस के संयुक्त जांच के प्रस्ताव को पहले ही ठुकरा चुका है. उन्होंने आगे कहा, "ब्रिटेन की ओर से इस मामले में रूस का हाथ होने का कोई प्रमाण पेश नहीं किया गया है, सिर्फ बेबुनियादी आरोप लगाए गए हैं."
ताजा मामला ब्रिटेन के एमेसबरी इलाके का है, जो सेलिसबरी से 13 किलोमीटर ही दूर है. पुलिस को पहले लगा कि इन दोनों लोगों ने पुराने या खराब हो चुके ड्रग्स लिए हैं जिसके कारण उनकी हालत बिगड़ी. लेकिन बाद में नोविचोक नर्व एजेंट की बात सामने आई.
जानिए कहां कहां इस्तेमाल हुए रासायनिक हथियार
कहां कहां इस्तेमाल हुए रासायनिक हथियार
अक्सर युद्ध की स्थिति में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बारे में सुनने को मिलता है. जंग के अलावा इनका इस्तेमाल किसी ना किसी साजिश के तहत भी होता रहा है. जानिए कब और कहां इस्तेमाल हुए रासायनिक हथियार.
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सीरिया
साल 2012 से सीरिया में कई बार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जा चुका है. इनमें सारीन, क्लोरीन और मस्टर्ड गैस शामिल हैं. सबसे ताजा हमला पूर्वी गूटा प्रांत के डूमा शहर में हुआ है. 7 अप्रैल 2018 को हुए इस हमले में 70 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. अमेरिका ने रूस को इस हमले के लिए जिम्मेदार बताया है.
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सेर्गेई स्क्रिपाल
4 मार्च 2018. पूर्व रूसी जासूस सेर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी यूलिया को इंग्लैंड के सैलिसबरी इलाके में एक बेंच पर बेहोश पाया गया. जांच के दौरान पता चला कि उन पर नर्व एजेंट से हमला किया गया था, जो संभवतः उनके घर के दरवाजे पर रखा गया था. इस हमले के बाद से रूस और ब्रिटेन के रिश्तों में काफी खटास आई.
किम जोंग नाम
13 फरवरी 2017. मलेशिया के क्वालालम्पुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दो महिलाएं वीएक्स नर्व एजेंट से एक व्यक्ति पर हमला करती हैं. 15 से 20 मिनट के बीच इस व्यक्ति की जान चली जाती है. यह शख्स था उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन का सौतेला भाई किम जोंग नाम. माना जाता है कि किम जोंग उन ने ही इस हत्या की साजिश रची.
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आलेक्सांडर लित्विनेंको
1 नवंबर 2006. पूर्व रूसी जासूस आलेक्सांडर लित्विनेंको अचानक ही बीमार हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. तीन हफ्ते बाद उनकी मौत हो गई. जांच में पता चला कि उनकी चाय में रेडियोधर्मी पोलोनियम 210 मिलाया गया था. पहली बार किसी पर इस जहर का इस्तेमाल किया गया था. रूस इसमें अपना हाथ होने से इंकार करता है.
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टोक्यो
20 मार्च 1995. टोक्यो मेट्रो में पांच हमले किए गए. मेट्रो की तीन लाइनों में नर्व एजेंट सारीन से भरे थैले छोड़े गए. इसमें 12 लोगों की जान गई, 50 घायल हुए और एक हजार लोगों की देखने की क्षमता चली गई. इसे जापान में घरेलू आतंकवाद का अब तक का सबसे संगीन मामला माना जाता है.
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इसके बाद 100 पुलिसकर्मियों को इस मामले पर लगाया गया. ये लोग जहां जहां भी गए, उन जगहों को सील कर दिया गया है. इनमें एक चर्च, दवा की दुकान और एक पार्क भी शामिल है. यह उसी पार्क के करीब है जहां सेर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी को बेहोश पाया गया था.
ये मामला ऐसे समय में आया है जब रूस में फुटबॉल का वर्ल्ड कप चल रहा है और ब्रिटेन की टीम वहां खेल रही है. ऐसे में रूस इसे देश को बदनाम करने की ब्रिटेन की साजिश बता रहा है. एक सांसद सेर्गेई जेलेजन्याक ने कहा है कि यह ब्रिटिश सरकार के रूस विरोधी प्रोपेगंडा का हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि यह ऐसे समय में हो रहा है जब ब्रिटेन से लोग अपनी टीम का उत्साह बढ़ाने के लिए रूस आए हैं और ब्रिटेन की सरकार को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा कि उनके लोग रूस की सकारात्मक छवि देख रहे हैं.