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नशे में नए साल का स्वागत

१ जनवरी २०१४

बहुत से लोगों के लिए नए साल की शुरुआत नशे की खुमारी और देर तक सोने के साथ होती है. लेकिन किशोर और नौजवान लोग सिर्फ नए साल के मौके पर भी छक कर नहीं पीते. डॉक्टर चेतावनी दे रहे हैं.

तस्वीर: Fotolia/lassedesignen

शुरुआत में एकाध बीयर, बाद में जगने के लिए वोदका के साथ रेड बुल, नए साल के आने पर बारह बजे शैम्पेन और उसके बाद फिर से हार्ड ड्रिंक. खास कर नए साल का मौका बहुत से नौजवानों के लिए जम कर पीने का मौका होता है. जर्मनी में बाल चिकित्सक संघ के प्रवक्ता उलरिष फेगेलर कहते हैं, "इन दिनों अलकोहल और आसानी से मिल जाता है."

दारू की बोतलों का इंतजाम या तो वयस्क नौजवान करते हैं या फिर पार्टियों में यूं ही बिना किसी रोकटोक के उपलब्ध होता है. लेकिन कुछ किशोर अपनी सीमा नहीं समझ पाते और बेहोश होने तक पीते रहते हैं. जर्मनी में नए साल के मौके पर 31 दिसंबर की रात अस्पताल आने वाले लोगों में दुर्घटना और पटाखों से लगी आग के बाद सबसे ज्यादा लोग अलकोहल के असर के कारण आते हैं.

तस्वीर: Fotolia/runzelkorn

लेकिन यह हालत सिर्फ साल की आखिरी रात नहीं होती. जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े बुरी तस्वीर पेश करते हैं. 2013 में करीब 27,000 किशोर बहुत ज्यादा शराब पीने के कारण अस्पताल ले जाए गए. स्वास्थ्य संबंधी अभियान चलाने वाली जर्मन संस्था इसके लिए इस समय चल रही दो रुझानों को जिम्मेदार मानती है. उसका कहना है कि स्वास्थ्य के लिए जागरूकता बढ़ने के साथ किशोरों में शराब का साप्ताहिक इस्तेमाल घटा है, लेकिन जब पी जाती है, तो जम कर पी जाती है. एक शाम में पांच अलग अलग तरह की शराब पीने का ट्रेंड बिंग ड्रिंकिंग जारी है.

लड़कियां भी पीछे नहीं

एक स्टडी के मुताबिक करीब 40 फीसदी किशोर हफ्ते में एक बार पूरे नशे में होते हैं. बेलगाम पीने का सबसे ज्यादा खतरा लड़कों के लिए है. बिंग ड्रिंकिंग के मौकों पर लड़कियों से उनकी तादाद दोगुनी होती है. नशा विशेषज्ञ मिषाएला गोएके का कहना है, "युवा मर्द समझते हैं कि मर्दों को ज्यादा पीने की हालत में होना चाहिए." लड़कियों में यह दिखावा इस रूप में तो नहीं होता, लेकिन वे भी अब पीछे नहीं हैं, खासकर मीठे जूस के साथ शराब पीने के मामले में. स्वास्थ्य बीमा कंपनी एओके के अनुसार नशे के कारण अस्पताल पहुंचने वाली लड़कियों की संख्या 1.3 फीसदी बढ़ी है.

ज्यादा शराब पीने से खुमारी और सिरदर्द तो होता ही है, लेकिन स्वास्थ्य को इसका नुकसान बहुत ज्यादा होता है. गोएके कहती हैं, "युवाओं के अंग वयस्कों की तुलना में उतने ज्यादा विकसित नहीं होते. दिमाग का भी विकास 20 साल की उम्र तक पूरा होता है." शराब शरीर में इतनी जल्दी खत्म नहीं होता, वह शारीरिक अंगों के विकास पर असर डालता है. इसका मतलब यह हुआ कि जो नियमित रूप से पीता है उसके दिमाग को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है. बाल रोग विशेषज्ञ फेगेलर चेतावनी देते हैं कि नियमित पीने से लत भी लग जा सकती है.

पीने के खिलाफ अभियान

स्वास्थ्य शिक्षा देने वाला जर्मन संस्थान कुछ सालों से अलकोहल के खतरों के बारे में जानकारी देने के लिए पोस्टर अभियान चला रहा है. उधर जर्मनी के कुछ प्रांत कोशिश कर रहे हैं कि युवा आसानी से शराब न खरीद सकें. बाडेन वुर्टेमबर्ग ने रात में 10 बजे से सुबह पांच बजे तक शराब की बिक्री पर रोक लगा दी है. इसका मकसद रात में होने वाली पीने की होड़ को रोकना है. फ्रैंकफर्ट में युवा टेस्ट खरीदारों को दुकान में भेजा जा रहा है ताकि पता किया जा सके कि दुकानदार शराब बेचने से पहले युवाओं की उम्र जांचते हैं या नहीं.

जर्मनी में वोदका जैसे हार्ड ड्रिंक 18 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों को ही बेचे जा सकते हैं, जबकि बीयर 16 की उम्र से खरीदी जा सकती है. फेगेलर शराब की बिक्री पर रोक वाले इन कदमों को नाकाफी मानते हैं. उनका कहना है कि सरकार को और सख्ती दिखानी चाहिए और अलकोहल के विज्ञापन पर रोक लगाई जानी चाहिए. उनका कहना है कि शराब की बोतलों पर भी सिगरेट के डिब्बों की तरह लिखा होना चाहिए, "शराब का सेवन मौत का कारण बन सकता है."

रिपोर्ट: श्टेफानी होएपनर/एमजे

संपादन: अनवर जे अशरफ

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