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समाज

नशे से दूर अलग छवि की तलाश में है जापान का गांजा उद्योग

जूलियान रायल, टोक्यो से
२६ फ़रवरी २०२१

कई सदियों तक जापान में गांजे के उत्पाद का इस्तेमाल खाना बनाने, कपड़ों और पारंपरिक संस्कारों में किया जाता था. हालांकि, द्वितीय युद्ध के बाद से यह उद्योग अपनी पहचान को लेकर संघर्ष कर रहा है, जो अभी भी जारी है.

Hanfanbau
तस्वीर: Imago Images/Chromorange

जापान में किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है. दूसरे शब्दों में कहें तो यहां सभी प्रकार के नशीले पदार्थों पर रोक है. हालांकि 2020 में टोक्यो में कस्टम अधिकारियों ने साल 2019 के मुकाबले 70 गुना अधिक गांजा जब्त किया. ये सभी तरल पदार्थ के रूप में थे. जब अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी तो यह पूरे देश की सुर्खियों में शामिल हो गया है. हालांकि,हेंप म्यूजियम के संस्थापक यूनीची ताकायासु के लिए इस आंकडें का नाटकीय मीडिया कवरेज काफी दुर्भाग्यपूर्ण रहा. वे कहते हैं, "जापान की मीडिया, पुलिस, स्थानीय अधिकारी और जनता, सभी लोग गांजा और भांग को एक साथ मिला देते हैं. जबकि गांजा एक ऐसी फसल है जिसका इतिहास जापान में सदियों पुराना है.”

ताकायासु एक बार फिर गांजे के खेतों को लहलहाते देखना चाहते हैं. हालांकि, वे यह भी स्वीकार करते हैं कि परंपरागत रूप से जापानी संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगों को फसल के लाभ के लिए प्रेरित करना कठिन काम है. उन्होंने डॉयचे वेले से कहा, "जापानी लोग अतीत में कई चीजों के लिए गांजे का उपयोग करते थे लेकिन कानून बनने के कारण लोग भूल गए कि गांजे का किस तरह से इस्तेमाल किया जाता था.”

ताकायासु कहते हैं, "देश के कई हिस्सों में गांजा उगाया जाता था. इसका इस्तेमाल कपड़ों, घरेलू सामान और यहां तक कि धार्मिक आयोजनों में भी होता था लेकिन अब यह सब नहीं होता. मैं लोगों को गांजे से जुड़ी हमारी संस्कृति के बारे में याद दिलाना चाहता हूं और इसीलिए मैंने 2001 में म्यूजियम खोला. हालांकि, मुझे लगता है कि लोगों की मानसिकता को बदलना मुश्किल हो रहा है.” ताकायासु का म्यूजियम तोचीगी शहर में है. इनके समुदाय ने गांजा से काफी संपत्ति अर्जित की थी.

सदियों तक गांजा पूरे जापान में एक सामान्य फसल थी जिसका इस्तेमाल पवित्र रस्सियों में किया जाता था. इन रस्सियों का इस्तेमाल मंदिरों और सूमो पहलवानों के औपचारिक बेल्ट में होता था. गांजे के पौधों के डंठल के रेशों का इस्तेमाल कपड़े बनाने के लिए किया जाता था. इससे शर्ट के साथ मच्छरदानी, मछली पकड़ने के जाल, कागज और पारंपरिक दवा बनती थी, जबकि पौधे के बीजों का इस्तेमाल खाना पकाने में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता था.

द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद देश में अमेरिका के नियंत्रण वाली सरकार बनी. नया कानून लागू किया गया. इस कानून के तहत गांजा और उससे जुड़े उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसका असर यह हुआ कि जहां साल 1952 में 5,000 हेक्टेयर में 37,300 किसान इसकी खेती कर रहे थे, वहीं 2015 में मात्र 7.6 हेक्टेयर में इसकी खेती हुई. मार्च 2017 तक टोक्यो के उत्तर में तोचीगी प्रांत से 90 प्रतिशत घरेलू उत्पादन के लिए मात्र 30 लोगों को इसकी खेती करने की अनुमति थी.

2017 में उद्योग के परमिट और ओवरसाइट के लिए शर्तों को कड़ा किया गया था. जापान के सुदूर दक्षिण-पश्चिम में टोटोरी प्रांत में गांजा उगाने वाली कंपनी के अध्यक्ष को कई स्थानीय लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था. यह गिरफ्तारी धूम्रपान के लिए सूखे गांजे के साथ पकड़े जाने को लेकर की गई थी. अब प्रांत में गांजे के सभी तरह के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

नए नियमों के तहत गांजे की खेती के लिए हर साल लाइसेंस लेना जरूरी है. जापान के पारंपरिक खेतिहर समुदायों में मजदूरों की कमी की वजह से गांजा किसानों के लिए कारोबार में बने रहना मुश्किल होता जा रहा है. ताकायासू के साथ कई अन्य लोग देश की इस कृषि विरासत को बचाना चाहते हैं. हालांकि, उन्हें डर है कि अगली पीढ़ी के बाद यह उद्योग समाप्त हो जाएगा. वजह यह है कि जापान में सिर्फ 10 लोग अब कथित तौर पर गांजा फैक्ट्री से यार्न और स्पिन कपड़े बनाने का काम जानते हैं.

इस उद्योग को अन्य मादक पदार्थों से दूरी बनाने के प्रयास में उत्पादकों ने पौधे की बढ़ती किस्मों पर स्विच किया है, जिनका कोई मादक प्रभाव नहीं है. फिर भी इस बात के बहुत कम संकेत हैं कि अधिकारी गांजे पर अपना रुख बदलने की योजना बना रहे हैं.

जापान में एक लंबे इतिहास के बावजूद, द्वितीय विश्व युद्ध के सरकार का नजरिया इस फसल को लेकर बदल गया था जो अब तक वही है. जबकि कनाडा, यूरोप के कुछ देशों और अमेरिका के कुछ राज्य "नरम दवाओं" को वैध कर रहे हैं. अधिकारी व्यक्तिगत उपयोग के लिए थोड़ी मात्रा में मनोरंजक नशीले पदार्थों के साथ पकड़े गए लोगों के प्रति सख्ती नहीं दिखा रहे हैं. वहीं, जापान ने सभी तरह के ड्रग्स पर एक समान पाबंदी लगा रखी है.

इन सब के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की पत्नी अकई आबे का विचार आधिकारिक नियम से थोड़ा अलग है. वे गांजे की घरेलू खेती का समर्थन करती हैं. उन्होंने दावा किया कि गांजे की खेती के लिए बढ़ते लाइसेंस के आवेदन पर एक बार उन्होंने विचार किया था. इसी तरह से, कई विदेशी कंपनियां, विशेष रूप से कनाडा की, गांजा आधारित खाद्य उत्पादों के आयात की संभावनाएं जापान में तलाश रही हैं, जैसे पतवार गांजे के बीज, गांजे के बीज का तेल और गांजा आधारित प्रोटीन पाउडर.

ताकाहीरो याशीरो ने घरेलू स्तर पर उत्पादित गांजे के उत्पादों की सीमित रेंज और दूसरे देशों से आयात किए गए वस्तुओं को बेचने के लिए आठ साल पहले तोचीगी में असमोहा की गांजा की दुकान खोली थी. उनका ज्यादातर कारोबार ऑनलाइन होता है. उनका कहना है कि मांग बढ़ रही है. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "हम गांजा के कपड़े से बने टी-शर्ट और अन्य वस्तुओं के साथ-साथ गांजा और तेल भी बेचते हैं. फिलहाल, हमारा उत्पाद विदेशों से आ रहा है. खासकर, यूरोप, कनाडा या चीन से. अभी हम जो भी बेच रहे हैं वह विदेशों से आ रहा है. हमें पता कि स्थानीय स्तर पर इसकी मांग है. मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में स्थिति में बदलाव होगा. हालांकि, अगर देश में इस उद्योग को भूला दिया जाता है तो यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण होगा.”

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