भारत में तमाम कोशिशों के बावजूद बाघों की मौत के मामलों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है. इस दौरान अवैध शिकार की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं.
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इस साल की पहली छमाही में देश के विभिन्न राज्यों में 74 बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें से 14 शिकारियों के हाथों मारे गए हैं. वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से जारी ताजा आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है.
ताजाआंकड़े
वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी के अनुसार इस साल पहली जनवरी से 26 जून तक देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग वजहं से 74 बाघ मारे जा चुके हैं. इनमें से 14 की मौत बिजली के तारों का झटका लगने या अवैध शिकार की वजह से हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 बाघों की मौत बीमारियों, बुढ़ापे या कई अनजान कारणों से हुई है. अठारह बाघ आपसी संघर्ष में मारे गए जबकि दो की मौत इंसानों के हाथों हुई.
क्यों इनकी जान पर आई
भारत में बाघों और बारहसिंगों के संरक्षण के लिए काम कर रहे तमाम संगठनों के दबाव के चलते उनका शिकार तो कम हो गया, लेकिन आफत दूसरे जानवरों के सिर आ गई...
तस्वीर: Roberto Schmidt/AFP/Getty Images
पैंगोलिन
इसका शिकार इसके मांस और खाल के लिए होता है. इसकी परतदार खाल का इस्तेमाल चीनी दवाइयां बनाने में और पोशाक बनाने में भी किया जा रहा है. 1990 से 2008 के बीच भारत में इनके शिकार का औसत सालाना तीन था. लेकिन ताजा आंकड़ों के अनुसार 2009 से 2013 तक हर साल औसतन 320 साल मारे गए.
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स्टार कछुआ
पीठ पर स्टार का निशान लिए ये कछुए पसंदीदा पालतू जीवों में शुमार हैं. कस्टम अधिकारियों के मुताबिक हवाई अड्डो और तटीय सीमाओं पर 2002 से 2013 के बीच हर साल औसतन 3000 स्टार कछुए बरामद किए गए.
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छिपकली
मॉनीटर छिपकली का मांस, हड्डियां और खाल तक मांग में है. महंगे बैग और बेल्ट बनाने में इसका इस्तेमाल होता है. जबकि छिपकली के जिगर और जीभ के बारे में धारणा है कि इससे कामोत्तेजना बढ़ती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बाघों का संरक्षण
सरकार का ध्यान बाघों को बचाने पर क्या गया कि शिकारियों ने अपना शिकार ही बदल डाला. कई जंगलों को राष्ट्रीय उद्यानों में बदल दिए जाने से बाघों के शिकार में कमी आई है.
तस्वीर: picture-alliance/AP
विलुप्ति पर
प्रकृति के संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय संघ की ताजा रेड लिस्ट के मुताबिक भारत में 274 प्रजातियां खतरे में हैं और ध्यान नहीं दिया गया तो बहुत जल्द विलुप्त हो सकती हैं.
तस्वीर: CC2.0/USFWS Headquarters
तस्करी के गढ़
इन जानवरों की ज्यादातर तस्करी भारत की सीमा से लगे देशों म्यांमार, चीन, नेपाल और बांग्लादेश में होती है.
तस्वीर: Roberto Schmidt/AFP/Getty Images
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इसके अलावा सड़क व रेल हादसों में भी कम से कम चार बाघ मारे गए. इससे पहले बीते साल 91 बाघों की मौत हुई थी. दूसरी ओर, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल विभिन्न वजहों से 52 बाघ मारे गए हैं जबकि 15 बाघों के शव या शव के हिस्से बरामद हुए हैं. वर्ष 2014 में हुई गिनती के मुताबिक देश में 2,296 बाघ थे.
मध्य प्रदेशपहलेनंबरपर
बाघों की मौतों के मामले में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है. वहां सबसे ज्यादा 19 बाघ मारे गए. उसके बाद महाराष्ट्र व उत्तराखंड संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं. इन दोनों राज्यों में इस साल अब तक नौ-नौ बाघों की मौत हो चुकी है. अवैध शिकार के मामले में भी छह मौतों के साथ मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है. इस दौरान देश के 15 राज्यों से बाघों के शिकार के मामले सामने आए हैं. बाघों की तादाद बढ़ने के साथ उनकी मौत की घटनाओं में तेजी पर पशुप्रेमियों ने गहरी चिंता जताई है.
वन्यजीव कार्यकर्ता रोहन सामंत कहते हैं, "देश में प्रोजेक्ट टाइगर के नाम पर हर साल करोड़ों की रकम खर्च की जाती है. बावजूद उसके बाघों की मौत के मामलों में वृद्धि चिंताजनक है." वन्यजीव कार्यकर्ताओं का कहना है कि बाघों की तादाद बढ़ने की वजह से इंसानों के साथ उनके संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ी हैं. लेकिन केंद्र सरकार और प्राधिकरण ने अब तक इस मामले पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है.
थाईलैंड का बाघ वाला मंदिर
बाघ को देखने के लिए लोग चिड़ियाघर या फिर वन्य अभयारण्यों में जरूर जाते हैं लेकिन मंदिर के बारे में कभी आपने सुना है? भारत में चूहों और नाग देव के मंदिर मशहूर हैं और थाईलैंड में है बाघ वाला मंदिर.
तस्वीर: Getty Images/N. Asfouri
कंचनबुरी नाम की जगह के बौद्ध मठ में बाघ रहते हैं, ये बात थाईलैंड के लिए कतई नई नहीं है. 2001 से इन्हें यहां से हटाने की कोशिशें चल रही थीं. आखिरकार सरकार ने सख्ती दिखा ही दी.
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जहां दुनिया भर में बाघों की घटती संख्या को ले कर चिंता जताई जा रही है, वहीं किसी मंदिर या मठ में एक साथ 300 बाघों का होना और वह भी सरकार के नियंत्रण से पूरी तरह बाहर, यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी के गले से नीचे नहीं उतर पा रहा था.
तस्वीर: Getty Images/T. Weidman
अगर आप बाघ के साथ सेल्फी खिंचवा रहे हैं, तो या तो आप बहुत ही बहादुर हैं या फिर बाघ के साथ कुछ तो गड़बड़ है. जांच होना अभी बाकी है लेकिन ऐसी खबरें हैं कि मंदिर में रखे गए इन बाघों को नशीली दवाएं दी जाती थीं.
तस्वीर: Getty Images/T. Weidman
चीन और मध्य एशिया में पारंपरिक रूप से बाघ की हड्डियों से कई तरह की दवाएं बनती हैं. इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय है मर्दानगी बढ़ाने वाली दवा. लोगों को यह गलतफहमी है कि बाघ की हड्डियां इस्तेमाल करने से पुरुषों की मर्दानगी भी उन्हीं जैसी हो जाएगी.
तस्वीर: Getty Images/T. Weidman
दवाएं बनाने के लिए बाघों को मारा गया या उनकी तस्करी की गयी, इस बात से मंदिर प्रशासन लगातार इंकार करता रहा है लेकिन रेड के दौरान मंदिर के एक फ्रीजर में से 40 मरे हुए शावकों का मिलना शक को यकीन में बदलता है.
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बाघों के अलावा थाईलैंड के बाजारों में और भी कई तरह के वन्य जीवों से बनी दवाएं मिल जाती हैं. इनमें कई ऐसे पक्षी, सांप और कीड़े भी मौजूद होते हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. रेड के दौरान मंदिर से भी कुछ ऐसे पक्षी मिले हैं.
तस्वीर: Reuters/C. Subprasom
इन बाघों को अब यहां से सुरक्षित अभयारण्यों में ले जाया जा रहा है. बाघों के लिए यह अच्छी खबर है, तो वहीं मंदिर प्रशासन का कथित धंधा चौपट हो रहा है. और साथ ही टूरिस्ट निराश हैं कि अब "सेल्फी विद टाइगर" के टैग के साथ फेसबुक पर क्या पोस्ट करेंगे!
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संरक्षणकेलिएधनकीकमी
इस स्थिति के बावजूद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से संरक्षण के लिए समय पर धन जारी करने में होने वाली देरी से चिंता बढ़ गई है. देश के 48 टाइगर रिजर्वों में से प्राधिकरण ने प्रोजेक्ट टाइगर योजना के तहत अब तक महज छह रिजर्वों के लिए ही धन जारी किया है, जबकि अधिकारी अब तक 17 टाइगर रिजर्वों को धन जारी करने का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि वेबसाइट पर अब तक महज छह का आंकड़ा ही दिया गया है. इनमें महाराष्ट्र का एक भी टाइगर रिजर्व शामिल नहीं है जबकि महाराष्ट्र वन्यजीव शाखा ने राज्य के छह टाइगर रिजर्वों के लिए 155 करोड़ रुपए की मांग की है.
प्राधिकरण की ओर से धन जारी करने में होने वाली देरी पर चिंता जताते हुए वन्यजीव अधिकारियों ने कहा है कि इससे वन मजदूरों और स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जा सकेगा. नतीजतन मानसून के दौरान शिकार का खतरा बढ़ने के बावजूद बाघों की सुरक्षा में बाधा पहुंचेगी.