नागरिकता कानून के विरोध के साथ ही होगा नए साल का स्वागत
चारु कार्तिकेय
३१ दिसम्बर २०१९
नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन दो सप्ताह से भी ज्यादा समय से जारी हैं. अब प्रदर्शनकारियों ने नए साल का स्वागत भी प्रदर्शनों के साथ ही करने का फैसला लिया है.
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पिछले दो सप्ताह से भी ज्यादा समय से नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन भारत के अलग अलग हिस्सों में चल रहे हैं. राजधानी दिल्ली में तो इस बार ऐसी सर्दी देखी गई जैसी 118 सालों में नहीं देखी गई थी, लेकिन ऐसा जाड़ा भी प्रदर्शनकारियों के हौसले ठंडे करता नहीं दिख रहा. और अब जब साल का अंत होने वाला है और नए साल के स्वागत की तैयारियां हो रही है, प्रदर्शनकारियों ने फैसला किया है कि वे नए साल का स्वागत भी प्रदर्शनों के बीच ही करेंगे.
दक्षिणी दिल्ली का शाहीन बाग इलाका, जहां नागरिकता कानून के विरोध में बड़ी संख्या में महिलाएं हफ्तों से दिन-रात धरने पर बैठी हुई हैं, वह 31 दिसंबर की रात भी विरोध के गीत, भाषणों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से रौशन रहेगा.
शाहीन बाग के पास ही जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर भी इसी तरह के प्रदर्शन का आयोजन किया गया है.
इसके अलावा दिल्ली के ऐतिहासिक इंडिया गेट पर भी साल के आखिरी दिन प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा जमावड़ा होने की उम्मीद है. वहां रात 10 बजे शुरू होने वाले कार्यक्रम के आयोजकों ने वहां आने की इच्छा रखने वालों से कहा है कि वे रंग इत्यादि, पोस्टर, मोमबत्तियां, कुछ खाने पीने का सामान और कंबल साथ लाएं.
प्रशासन ने भी इन आयोजनों को गंभीरता से लेते हुए कई तरह के इंतजाम किये हैं. केंद्रीय दिल्ली में पुलिस की भारी तैनाती होने की उम्मीद है. जहां जहां बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है वहां कई तरह के ट्रैफिक प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
दिल्ली मेट्रो ने भी एहतियातन कुछ कदम उठाये हैं.
दिल्ली के अलावा कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, केरल के कासरगोड़ और पालक्काड में भी इसी तरह के प्रदर्शन होने की उम्मीद है.
इस बीच अलग अलग राज्यों में पुलिस की कार्रवाई भी तेजी से चल रही है. उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा चिन्हित किये गए प्रदर्शनकारियों को भरपाई नोटिस भेजे जाने के बाद अब दिल्ली पुलिस ने भी यही रास्ता अपनाने का फैसला लिया है.
खबर है कि दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि वे एक दावा आयुक्त को नियुक्त करें जो 15 दिसंबर को राजधानी में हुए प्रदर्शनों के दौरान नष्ट हुई सार्वजनिक संपत्ति के मूल्य का आंकलन कर सके. पुलिस उसके आधार पर प्रदर्शनकारियों को चिन्हित कर उनसे भरपाई की रकम वसूलेगी.
भारतीय रेल ने भी ऐसा ही करने का फैसला लिया है. रेलवे बोर्ड ने 30 दिसंबर को जानकारी दी कि प्रदर्शनों में उसकी लगभग 80 करोड़ रुपयों की संपत्ति नष्ट हो गई जिसकी भरपाई वो प्रदर्शनकारियों से ही करेगी.
संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बैनर, पोस्टर और ग्रैफिटी के जरिए छात्र अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
तस्वीर: Surender Kumar
दीवारें बोलती हैं!
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र कई दिन से मुख्य गेट के बाहर डटे हुए हैं. विरोध प्रदर्शनों में छात्रों ने क्रांतिकारी नारे के साथ ग्रैफिटी और बैनर बनाए हैं. जामिया के छात्र संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के साथ-साथ कैंपस में कथित पुलिस ज्यादती का विरोध कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि अगर सरकार उनकी आवाज नहीं सुन सकती है तो दीवारें बोलेंगी.
तस्वीर: DW/A. Ansari
बीजेपी पर वार
जामिया की दीवारों पर छात्रों ने इंकलाबी नारों के साथ-साथ बीजेपी के राजनीतिक 'एजेंडे' को भी उजागर करने की कोशिश की है. जामिया की एक दीवार पर छात्रों ने राम मंदिर, मूर्ति, मुस्लिम और गाय को बीजेपी का एजेंडा बताया है. ग्रैफिटी बनाने वाले छात्रों का कहना है कि इसके जरिए बहस की दशा और दिशा बदलेगी.
तस्वीर: DW/A. Ansari
पोस्टर-बैनर बना हथियार
हिंदुस्तान जिंदाबाद, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में सब भाई-भाई जैसे नारों के साथ दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सीएए और जामिया के छात्रों पर पुलिस की कथित ज्यादतियों के विरोध में लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Das
शायराना विरोध
दिल्ली में छात्रों के साथ अधिकार समूहों के सदस्य गीत, नारे, कविता, पोस्टर के साथ विरोध की आवाज बुलंद कर रहे हैं. कई बार विरोध प्रदर्शन में संविधान की प्रस्तावना के पोस्टर भी देखने को मिले. तस्वीर में एक प्रदर्शनकारी ने राहत इंदौरी के एक शेर की लाइन को विरोध का जरिया बनाया है.
तस्वीर: DW/D. Choubey
असंतोष का कैनवास
प्रदर्शन में शामिल कई लोगों का आरोप है कि केंद्र सरकार संशोधित नागरिकता कानून के जरिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन कर रही है. हालांकि संसद में गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि यह कानून आर्टिकल 14 समेत संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है.
तस्वीर: DW/S. Ghosh
'लाजिम है हम भी देखेंगे'
फैज अहमद फैज की मशहूर नज्म-'लाजिम है कि हम भी देखेंगे, वो दिन कि जिसका वादा है..' लिखे पोस्टर और बैनर के साथ सीएए के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे. छात्रों का कहना है कि पुलिस उनकी हड्डी तोड़ सकती है लेकिन उनके विचारों को नहीं तोड़ सकती.
तस्वीर: DW/S. Ghosh
विरोध की ढपली
धरने और प्रदर्शनों में कई बार कला और रचनात्मकता आगे आ जाती है और हिंसा पीछे चली जाती है. छात्र अपनी रचनात्मकता के साथ विचार और अंसतोष जाहिर कर रहे हैं.
तस्वीर: Surender Kumar
बाबा साहेब की तस्वीर के साथ प्रदर्शन
कई बार प्रदर्शनकारी तेज नारेबाजी और भाषणबाजी से दूर रहते हुए सिर्फ तस्वीरों के सहारे अपनी बात दुनिया तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इस तस्वीर में एक प्रदर्शनकारी डॉ. आंबेडकर की तस्वीर के साथ सीएए का विरोध करता हुआ.
तस्वीर: DW/S. Ghosh
'हिंदुस्तां हमारा'
'हिंदी है हम वतन हैं, हिंदुस्तां हमारा' के पोस्टर के साथ एक प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर देता है कि वह भी भारत देश का ही नागरिक है और इस देश पर भी उनके समुदाय के लोगों का उतना ही हक है जितना किसी और मजहब के लोगों का है.