नागरिकता कानून के विरोध में भारत के कई हिस्सों में शुक्रवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ऐसे में, प्रशासन ने कई तरह के कदम उठाए हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Fadnavis
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शुक्रवार को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद समेत देश के अलग अलग हिस्सों में कई संगठनों और समूहों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की घोषणा की है. उत्तर प्रदेश में पुलिस की भारी तैनाती की गई है और राज्य के कुल 75 में से 21 जिलों में इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी गई हैं. प्रशासन का कहना है कि जुमे की नमाज को देखते हुए भी ये इंतजाम किए गए हैं. उत्तर प्रदेश में इन प्रदर्शनों में अभी तक कम से कम 16 लोग मारे गए हैं. वहीं देश भर में दो हफ्तों से जारी प्रदर्शनों में 25 लोगों की जान जा चुकी है.
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा है कि वैसे तो प्रदेश में पिछले चार दिन से शांति है, फिर भी पुलिस सतर्क है. उन्होंने लोगों को अफवाहों से दूर रहने की नसीहत दी है.
पिछले सप्ताह राज्य में प्रदर्शनों के दौरान जो हिंसा हुई थी, उसके बाद यह पहली जुमे की नमाज है. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में 1,113 लोग हिरासत में हैं और इनके अलावा और 5,558 लोगों को एहतियातन हिरासत में रखा गया हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जरूरत से ज्यादा बल का प्रयोग करने के आरोप लगे हैं. सोशल मीडिया पर कई वीडियो आए हैं जिनमें पुलिस को लोगों के घरों और दुकानों में घुसकर उन्हें मारते पीटते देखा जा सकता है.
दूसरी तरफ, यूपी पुलिस ने वीडियो फुटेज की मदद से प्रदर्शनकारियों की पहचान भी की है और उनकी तस्वीरें के पोस्टर बना कर जगह जगह लगाए हैं. कई जगह प्रदर्शनकारियों को सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए नोटिस भेजे गए है और चेतावनी दी गई है कि अगर भरपाई की राशि समय से जमा नहीं की तो उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी. यह राशि कुल मिला के 50 लाख रुपये के आसपास है. उत्तर प्रदेश के अलावा बीजेपी शासित एक और राज्य कर्नाटक में भी प्रदशर्नकारियों को ऐसे ही नोटिस भेजे गए हैं.
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इस बीच, दिल्ली में भी कुछ इलाकों में भी धारा 144 लागू कर दी गई है, जिसके तहत चार से ज्यादा लोगों के एक जगह पर जमा होने पर प्रतिबंध है. दिल्ली पुलिस ने सिपाहियों और अर्धसैनिक बलों की 15 टुकड़ियों की तैनाती की है. पुलिस ने यह भी कहा कि वो सीलमपुर, जाफराबाद, वेलकम और मुस्तफाबाद में फ्लैग मार्च कर रही है.
दिल्ली में जामिया की कोआर्डिनेशन समिति ने दिल्ली स्थित यूपी भवन का घेराव आयोजित किया. वहां पहले से ही पुलिस की घेराबंदी थी और प्रदर्शन शुरू होते ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.
इसके अलावा दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के बाहर जुम्मे की नमाज के तुरंत बाद नागरिकता कानून के विरोध में भारी भीड़ इकठ्ठा हो गई.
कुछ प्रदर्शनकारियों ने जोर बाग से प्रधानमंत्री आवास तक पैदल मार्च निकालने की कोशिश की. मार्च का उद्देश्य नागरिकता कानून के विरोध के साथ साथ पुलिस से ये मांग करना भी था कि वो हिरासत से लोगों को रिहा करे.
संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बैनर, पोस्टर और ग्रैफिटी के जरिए छात्र अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
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दीवारें बोलती हैं!
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र कई दिन से मुख्य गेट के बाहर डटे हुए हैं. विरोध प्रदर्शनों में छात्रों ने क्रांतिकारी नारे के साथ ग्रैफिटी और बैनर बनाए हैं. जामिया के छात्र संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के साथ-साथ कैंपस में कथित पुलिस ज्यादती का विरोध कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि अगर सरकार उनकी आवाज नहीं सुन सकती है तो दीवारें बोलेंगी.
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बीजेपी पर वार
जामिया की दीवारों पर छात्रों ने इंकलाबी नारों के साथ-साथ बीजेपी के राजनीतिक 'एजेंडे' को भी उजागर करने की कोशिश की है. जामिया की एक दीवार पर छात्रों ने राम मंदिर, मूर्ति, मुस्लिम और गाय को बीजेपी का एजेंडा बताया है. ग्रैफिटी बनाने वाले छात्रों का कहना है कि इसके जरिए बहस की दशा और दिशा बदलेगी.
तस्वीर: DW/A. Ansari
पोस्टर-बैनर बना हथियार
हिंदुस्तान जिंदाबाद, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में सब भाई-भाई जैसे नारों के साथ दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सीएए और जामिया के छात्रों पर पुलिस की कथित ज्यादतियों के विरोध में लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.
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शायराना विरोध
दिल्ली में छात्रों के साथ अधिकार समूहों के सदस्य गीत, नारे, कविता, पोस्टर के साथ विरोध की आवाज बुलंद कर रहे हैं. कई बार विरोध प्रदर्शन में संविधान की प्रस्तावना के पोस्टर भी देखने को मिले. तस्वीर में एक प्रदर्शनकारी ने राहत इंदौरी के एक शेर की लाइन को विरोध का जरिया बनाया है.
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असंतोष का कैनवास
प्रदर्शन में शामिल कई लोगों का आरोप है कि केंद्र सरकार संशोधित नागरिकता कानून के जरिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन कर रही है. हालांकि संसद में गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि यह कानून आर्टिकल 14 समेत संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है.
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'लाजिम है हम भी देखेंगे'
फैज अहमद फैज की मशहूर नज्म-'लाजिम है कि हम भी देखेंगे, वो दिन कि जिसका वादा है..' लिखे पोस्टर और बैनर के साथ सीएए के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे. छात्रों का कहना है कि पुलिस उनकी हड्डी तोड़ सकती है लेकिन उनके विचारों को नहीं तोड़ सकती.
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विरोध की ढपली
धरने और प्रदर्शनों में कई बार कला और रचनात्मकता आगे आ जाती है और हिंसा पीछे चली जाती है. छात्र अपनी रचनात्मकता के साथ विचार और अंसतोष जाहिर कर रहे हैं.
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बाबा साहेब की तस्वीर के साथ प्रदर्शन
कई बार प्रदर्शनकारी तेज नारेबाजी और भाषणबाजी से दूर रहते हुए सिर्फ तस्वीरों के सहारे अपनी बात दुनिया तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इस तस्वीर में एक प्रदर्शनकारी डॉ. आंबेडकर की तस्वीर के साथ सीएए का विरोध करता हुआ.
तस्वीर: DW/S. Ghosh
'हिंदुस्तां हमारा'
'हिंदी है हम वतन हैं, हिंदुस्तां हमारा' के पोस्टर के साथ एक प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर देता है कि वह भी भारत देश का ही नागरिक है और इस देश पर भी उनके समुदाय के लोगों का उतना ही हक है जितना किसी और मजहब के लोगों का है.