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नागालैंड-मणिपुर सीमा पर लगी आग अब तक बेकाबू

प्रभाकर मणि तिवारी
४ जनवरी २०२१

पूर्वोत्तर में नागालैंड और मणिपुर सीमा पर स्थित जोकू घाटी में एक सप्ताह से लगी भयावह आग पर सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक काबू नहीं पाया जा सका है.

USA | Kalifornien Waldbrände | Napa Valley | Weinberge
सांकेतिक तस्वीर तस्वीर: Justin Sullivan/Getty Images

सरकार ने अगले दो दिनो में आग पर काबू पाने की उम्मीद जताई है. आग लगने की वजह का भी पता नहीं लग सका है. पर्यावरणविदों ने ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग की तर्ज पर इस इलाके में आग से प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताया है. लेकिन आग नहीं बुझने तक नुकसान के बारे में ठोस आकलन करना संभव नहीं है. आग पर काबू पाने के लिए वायु सेना के हेलीकॉप्टरों की भी सहायता ली जा रही है. लेकिन इलाके में चलने वाली तेज हवाओं ने समस्या को गंभीर बना दिया है. यह आग दो सौ एकड़ में फैल चुकी है.

नागालैंड के कोहिमा जिले और मणिपुर के सेनापति जिले के बीच फैली बेहद सुंदर जोकू घाटी देश-विदेश के सैलानियों के लिए ट्रैकिंग का पसंदीदा ठिकाना रही है. यह आग बीते 29 दिसंबर को नागालैंड की सीमा में शुरू हुई थी और धीरे-धीरे मणिपुर तक पहुंच गई. नागालैंड में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी जानी रूआंगमी बताते हैं, "नागालैंड सीमा में आग पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया है. लेकिन मणिपुर सीमा में यह अब भी धधक रही है.”

मणिपुर की राजधानी इंफाल में वन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, "पहाड़ी के पश्चिमी सिरे पर तो आग पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया है लेकिन दुर्गम दक्षिणी इलाके में यह अब भी धधक रही है. वायुसेना के हेलीकॉप्टर वहां आग बुझाने का प्रयास कर रहे हैं.” इलाके में एनडीआरएफ और पुलिस के 20 से ज्यादा कैंप लगाए गए हैं ताकि इस अभियान में बेहतर तालमेल बनाया जा सके. इलाके में कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की वजह से दिक्कत और बढ़ गई है.

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के लिए तेल ला रहे टैंकर में आग

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नागालैंड की राजधानी कोहिमा से महज तीस किलोमीटर दूर जोकू घाटी में पक्षियों व जानवरों की हजारों प्रजातियां रहती हैं. इनमें से कई तो दुर्लभ प्रजाति के हैं. समुद्रतल से लगभग ढाई हजार मीटर की ऊंचाई पर बसा यह इलाका पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र तो है ही, अपनी जैव-विविधता के लिए भी मशहूर है. यहां जाड़ों में कई किस्म के फूल उगते हैं. इस घाटी के मालिकाना हक पर अकसर नागालैंड और मणिपुर के बीच विवाद हो चुका है. इलाके में पहले भी आग लगती रही है लेकिन वह इतनी भयावह कभी नहीं रही. वर्ष 2006 में घाटी के दक्षिणी हिस्से में 20 किलोमीटर क्षेत्रफल में आग लगी थी. वर्ष 2018 में भी यहां भयावह आग लगी थी. उससे घाटी को काफी नुकसान हुआ था.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जितेंद्र सिंह ने नागालैंड और मणिपुर सरकारों को आग पर काबू पाने के लिए हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया है. तीन जनवरी से वायुसेना के चार हेलीकॉप्टर प्रभावित इलाकों पर लगातार पानी की बौछार कर रहे हैं.

रक्षा विभाग के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पी खोंगसाई ने बताया कि जोकू घाटी में लगी आग पर काबू पाने में सेना भी केंद्रीय और राज्य सरकारी संगठनों की सहायता कर रही है. भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवान आग बुझाने में एनडीआरएफ को हर संभव मदद प्रदान कर रहे हैं. सेना राहतकार्यों में शामिल विभिन्न एजेंसियों को आवास, तंबू और रसद मुहैया कर रही है. इसके अलावा सेना ने बांबी बाल्टी ऑपरेशन के लिए एक एयरबेस प्रदान किया है. वह इलाका दुर्गम होने की वजह से प्रभावित इलाकों के तीन किलोमीटर के दायरे में कई कैंप लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को राज्य प्रशासन के साथ बैठक भी की ताकि आग बुझाने के अभियान को बेहतर बनाया जा सके.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आग की भयावहता का जायजा लेने के लिए इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया है. उन्होंने बताया, "आग से पहाड़ों, जंगल और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है. यह आग मणिपुर की सबसे ऊंची चोटी माउंट ईसो को पार कर चुकी है. मुख्यमंत्री ने अंदेशा जताया कि अगर हवाएं दक्षिण की ओर बहीं तो इस आग के मणिपुर के सबसे घने जंगल कोजिरी तक पहुंचने का अंदेशा है. वहां नजदीक ही एक वाइल्डलाइफ पार्क भी है.” मुख्यमंत्री ने आग लगने के अगले दिन ही अमित शाह को फोन कर इस पर काबू पाने में केंद्रीय सहायता मांगी थी.

नागालैंड के राज्यपाल एन रवि ने भी प्रभावित इलाके का दौरा करने के बाद राज्य सरकार से सेटेलाइट आधारित रियल टाइम अर्ली वॉर्निंग सिस्टम समेत कई अन्य उपाय अपनाने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके.

दरअसल, आग पर काबू पाने में मुश्किल इसलिए हो रही है कि यह इलाका बेहद दुर्गम है. कोई सड़क नहीं होने की वजह से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां इलाके में नहीं पहुंच सकतीं. इलाके में एक ट्रेकिंग ट्रैक बना हुआ है. उसके जरिए कई घंटे पैदल चलकर ही वहां पहुंचा जा सकता है. इसी वजह से हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है.

नागालैंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनएसडीएमए) के अधिकारियों ने राजधानी कोहिमा में बताया है कि अज्ञात कारण से बड़े पैमाने पर आग लग गई. इससे होने वाले नुकसान का फिलहाल पता नहीं चला है. घाटी में लगी यह आग इतनी भयावह है कि इसकी लपटें और रोशनी कोहिमा से दिखाई दे रही हैं.

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