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नाटो ट्रकों के रास्ते में राजनीति

२५ मई २०१२

पाकिस्तान ने पिछले छह महीनों से अफगानिस्तान जाने वाले नाटो ट्रकों के लिए सीमा बंद की हुई है. जानकारों का मानना है कि अगले साल होने वाले चुनावों के चलते दोनों देशों के बीच चल रही अनबन खत्म होने की संभावना कम ही हैं.

तस्वीर: DW

अपना नाम न बताने की शर्त पर एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, "किसी भी देश के लिए यह ठीक नहीं है कि चुनाव से पहले ऐसे फैसले लिए जाएं जो राजनीतिक तौर पर नुकसान पहुंचा दें."

पाकिस्तान ने पिछले साल नवम्बर में नाटो के ड्रोन हमलों के बाद उसके लिए सीमा बंद कर दी. उस हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों की जान गई. अमेरिका ने घटना पर शोक जताया पर पाकिस्तान की शर्तें न मानने का फैसला किया. पाकिस्तान की शर्त थी अमेरिका हमले के लिए माफी मांगे और देश में ड्रोन हमले बंद करे. इसके अलावा पाकिस्तान ने सीमा पार किए जाने के लिए ट्रकों से ली जाने वाले फीस बढ़ाने की भी मांग की. अब तक अमेरिका प्रति ट्रक 250 डॉलर देता आया है. पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि समझौते पर बातचीत चल रही है, लेकिन अभी कुछ कहा नहीं जा सकता, "हो सकता है कि कल ही हो जाए, हो सकता है कि दो महीने लग जाएं."

तस्वीर: DW

अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तान सीमा को खोलने की स्थिति में तब तक नहीं होगा जब तक अमेरिका राजनीतिक तौर पर किसी स्थिर उपाय के साथ सामने नहीं आता. उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को देश को नागरिकों की भावनाओं का ख्याल रखना होगा. उनके अनुसार इस समय देश भर में अमेरिका को ले कर नाराजगी है और ऐसे में सरकार का अमेरिका का साथ देना चुनाव पर भारी पड़ सकता है.

पिछले साल मई में ओसामा बिन लादेन के खिलाफ चलाए गए अभियान के बाद से दोनों देशों के संबंध लगातार बिगड़ते रहे हैं. बुधवार को सीआईए की मदद करने वाले डॉक्टर शकील अफरीदी को 33 साल की कैद सुनाई जाने से इन रिश्तों में और खटास आ गई है. अमेरिका पाकिस्तान पर इल्जाम लगता रहा है कि बिना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की मदद के ओसामा बिन लादेन का इतने समय तक देश में रहना मुमकिन नहीं हो सकता. पाकिस्तान इन दोषों से इनकार करता आया है. अब तक देश में किसी व्यक्ति को बिन लादेन की मदद करने के सिलसिले में सजा नहीं सुनाई गई है. ऐसे में अमेरिका की मदद करने वाले को सजा सुनाना राजनीति से प्रेरित लगता है.

आईबी/एजेए (रॉयटर्स)

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