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नाटो सप्लाई रूट खोले जाने के खिलाफ प्रदर्शन

१३ जुलाई २०१२

पाकिस्तान ने सात महीने तक कड़ा रुख रखने के बाद आखिरकार अमेरिका के साथ समझौता कर लिया और नाटो सप्लाई रूट को खोल दिया. इस कदम से कट्टरपंथी काफी नाराज हैं. पूरे देश में हजारों लोग प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं.

तस्वीर: Reuters

इस्लामी कट्टरपंथियों ने नाटो सप्लाई को बंद करने के लिए सरकार पर दबाव डालने के लिए अफगान सीमा तक मार्च करने की घोषणा की है. अगले चार दिन पाकिस्तान में हजारों कट्टरपंथी सरकार के अमेरिका के समर्थन और नाटो सप्लाई रूट के खुलने के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. सोमवार को ही इस्लामाबाद में करीब तीस हजार प्रदर्शनकारी जमा हुए. संसद के बाहर खड़े हो कर उन्होंने अमेरिका विरोधी नारे लगाए.

उग्रदक्षिणपंथियों और इस्लामी कट्टरपंथीयों द्वारा बनाए गए "डिफेन्स ऑफ पाकिस्तान काउंसिल" (डीपीसी) ने लाहौर से इस्लामाबाद तक का यह मार्च आयोजित किया. डीपीसी के अध्यक्ष मौलाना समीउल हक ने कहा, "यह लंबा मार्च हमारे (मुस्लिमों) विरुद्ध धर्मयुद्ध और यहूदियों के खिलाफ है. यह आंदोलन अब चलता रहेगा और हम हर उस इलाके पर नजर रखेंगे जिस से नाटो का सामान अफगानिस्तान ले जाया जाता है."

यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख 13.14.15/07 और कोड 1209 हमें भेज दीजिए ईमेल के जरिए hindi@dw.de पर या फिर एसएमएस करें +91 9967354007 पर.तस्वीर: Fotolia

हक ने इस मोर्चे को पाकिस्तान के अन्य शहरों तक ले जाने के बारे में कहा, "14-15 जुलाई को हम इस रैली को क्वेटा से चमन और 16-17 जुलाई को पेशावर से तोर्खाम ले कर जाएंगे." अमेरिका मुर्दाबाद के नारों के बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान में सीआईए प्रमुख की गिरफ्तारी की भी मांग की.

लश्कर ए तैयबा के संस्थापक और 2008 के मुंबई हमलों की साजिश रचने के आरोपी हाफिज सईद भी इन प्रदर्शनों में दिखे. सईद ने पाकिस्तान के लोगों से अमेरिका की गुलामी करना बंद करने को कहा, "पाकिस्तान की असली समस्या है अमेरिका की गुलामी. हम इसे नहीं स्वीकारते. हमें आजादी चाहिए."

जानकारों का मानना है कि डीपीसी एक राजनैतिक पार्टी में तब्दील होना चाहती है और इन रैलियों के जरिए लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. पाकिस्तान में अगले साल आम चुनाव होने हैं.

पाकिस्तान के अधिकारियों ने कहा है कि पिछले सात महीनों की भरपाई करने के लिए सीमा पार करने वाले नाटो ट्रकों की संख्या को दोगुना कर दिया गया है. कट्टरपंथियों को यह बात और नाराज कर रही है.

आईबी/एमजे (एएफपी)

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