पुणे में आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया है. घटना में शामिल सभी आरोपियों की उम्र 12-19 साल के बीच है.
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डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची के साथ पिछले 5 महीने से बलात्कार किया जा रहा था. मामला उस वक्त सामने आया जब बच्ची ने पेट दर्द की शिकायत की. इसके बाद बच्ची के पिता उसे अस्पताल ले गए और वहां पूरे मामले का पता चला. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पुलिस ने इस मामले में 19 साल के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और बाकी चार को भी हिरासत में ले लिया है. इनकी उम्र 12, 10, 9 और 6 साल बताई जाती है.
पुलिस के मुताबिक पीड़ित बच्ची और ये सभी आरोपी एक ही परिसर में रहते थे. यहां तक कि बच्ची और ये नाबालिग लड़के एक ही स्कूल में पढ़ते थे. पुलिस ने बताया कि जब पेट दर्द की शिकायत के बाद पिता अपनी बच्ची को डॉक्टर के पास ले गए, तो परीक्षण के वक्त डॉक्टर को समझ आया कि कुछ गलत हुआ है. डॉक्टर ने बच्ची के पिता से अनुरोध किया कि वह उसकी मां को क्लीनिक में बुलाए. जब मां क्लीनिक पहुंची तो डॉक्टर ने उसे बलात्कार की घटना के बारे में बताया. साथ ही डॉक्टर ने पुलिस को भी जानकारी देने की बात कही.
औरतों के लिए खतरनाक भारतीय शहर
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2015 के आंकड़े दिखाते हैं कि किस शहर में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध हुए. ये छह शहर सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुए.
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नंबर 6: दुर्ग-भिलाई, छत्तीसगढ़
दुर्ग और भिलाई दोनों नगरों को मिलाकर आंकड़े खतरनाक रहे. 10 लाख लोगों के इन शहरों में क्राइम रेट 16.4 रहा और रेप की दर रही 7.9.
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नंबर 5: नागपुर, महाराष्ट्र
राज्य की दूसरी राजधानी नागपुर में 2015 में रेप के 166 मामले दर्ज हुए और हिंसा 392. यानी रेप की दर रही 6.6 और हिंसक अपराधों की दर रही 15.7.
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नंबर 4: भोपाल, मध्य प्रदेश
राजधानी भोपाल में भी महिलाएं ज्यादा सुरक्षित नहीं हैं. 2015 में यहां 133 रेप हुए और हिंसा के 322 मामले दर्ज हुए. यानी रेप की दर 7.1 रही. हिंसक अपराधों की दर 17.1 रही.
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नंबर 3: ग्वालियर, मध्य प्रदेश
महिलाओं के खिलाफ रेप की दर यहां रही 10.4. हिंसक अपराधों की दर 17.1 रही. 2014 में भी यहां हालात कुछ अच्छे नहीं थे.
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नंबर 2: दिल्ली
भारत की राजधानी दिल्ली को कई बार लोग रेप कैपिटल भी बोलते हैं. आंकड़े भी खतरनाक हैं. यहां 1893 रेप केस हुए और हिंसा के 4563 मामले हुए. यहां रेप की दर रही 11.6 और हिंसा की 28.
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नंबर 1: जोधपुर
राजस्थान के किलों का शहर महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हुआ है. यहां रेप के 152 मामले सामने आए और हिंसा के 440 मामले दर्ज हुए जिनमें यौन हिंसा भी शामिल है. यानी रेप की दर रही 13.4 और हिंसा की 38.7.
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इसके बाद पुलिस कुछ महिला कांस्टेबल के साथ अस्पताल पहुंची और बेहद ही सहज माहौल में बच्ची से पूछताछ की. बच्ची ने बताया कि उसके पड़ोस के पांच लड़के उसे अकसर पड़ोस के अपार्टमेंट या किसी सुनसान जगह बुलाते और उसके साथ दुष्कर्म करते. साथ ही उसे जान से मारने की धमकी देते. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है साथ ही नाबालिग लड़कों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.
भारत में महिला सुरक्षा को लेकर आये दिन सवाल उठते हैं. नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक देश में सबसे अधिक बलात्कार की घटना मध्यप्रदेश में होती है.
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले
बलात्कार और हत्या जैसे मामले हर बार इन मुद्दों पर नई बहस खड़ी करते हैं. इस मामले में आंकड़े भी कहते हैं कि स्थिति बहुत ही भयानक है. पढ़िए कि हाल के सालों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कितने मामले दर्ज किये गये हैं.
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सामाजिक दबाव
2015 में भारत में महिलाओं से बलात्कार के 34651 मामले सामने आए थे. लेकिन ऐसे मामलों की संख्या भी कम नहीं जिनमें समाजिक दबाव के चलते बलात्कार के मामले पुलिस में दर्ज नहीं कराये जाते.
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बलात्कार के प्रयास
इसी तरह 2015 में बलात्कार के प्रयास के 4434 मामले दर्ज किये गये थे. 2014 में इस तरह के 4232 मामले सामने आये थे. 2014 की तुलना में इन आंकड़ों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी.
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अपहरण
अपहरण के मामलों में 2014 की तुलना में 2015 में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2015 में महिलाओं के अपहरण के 59277 मामले दर्ज किये गये. वहीं 2014 में यह आंकड़ा 57311 मामलों का था.
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दहेज
दहेज के चलते हुई मौतों का आंकड़ा 2015 में 7,634 था. 2014 में दहेज के चलते मौतों के 8455 मामले दर्ज हुए थे. इस कमी के बावजूद हर साल महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के कुल आंकड़े बढ़ ही रहे हैं.
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छेड़खानी
छेड़खानी के मामलों का आंकड़ा काफी बड़ा है. साल 2015 में महिलाओं से छेड़खानी के 82,422 मामले दर्ज हुए. इसमें तेज वृद्धि हुई है. यह आंकड़ा 2011 में 42,968 मामलों का था.
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घरेलू हिंसा
सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के दर्ज हुए. इस मामले में 2015 में 1,13,403 मामले दर्ज किये गये. यही आंकड़ा 2011 में 99,135 का रहा. रिपोर्ट के अनुसार घरेलू हिंसा के मामले हर साल बढ़ रहे हैं.
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हिंसा के मामले
गृह मंत्रालय की 2016-17 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कुल 3,27,394 मामले दर्ज किए गए थे. जबकि 2011 में इनकी तादाद 2,28,650 थी.
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वैवाहिक बलात्कार
महिला संगठन वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाना चाहती हैं, जबकि भारत सरकार का कहना है कि ऐसा करने से महिलाओं को पतियों को तंग करने का हथियार मिल जायेगा.