नावाल्नी मामले के कारण रूस पर बढ़ेगा प्रतिबंधों का घेरा
२५ जनवरी २०२१
यूरोपीय संघ रूस पर नए प्रतिबंध लगाने पर बहस कर रहा है. जर्मनी में भी गैस पाइपलाइन का काम रोकने की मांग हो रही है. शनिवार को रूस में अलेक्सी नावाल्नी की रिहाई की मांग कर रहे 3000 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.
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अलेक्सी नावाल्नी बीते दो दशकों से रूस की सत्ता पर काबिज व्लादीमिर पुतिन और उनकी नीतियों के कड़े आलोचक हैं. कुछ महीने पहले उनपर जहर का हमला हुआ था, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए जर्मनी लाया गया था. इलाज के बाद वापस लौटने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिकों की नावाल्नी की गिरफ्तारी और उसके विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के मुद्दे पर एक अहम बैठक होने जा रही है.
इस बैठक के लिए ब्रसेल्स पहुंचे लिथुआनिया के विदेश मंत्री ने कहा है, "रूस में बदलाव के आसार बन रहे हैं." उनका कहना है कि यूरोपीय संघ को इसका समर्थन करना होगा खासतौर से रूस लौटने पर नावाल्नी को हिरासत में लेने के बाद. विदेश मंत्री गाब्रेलियस लांडबेर्गिस ने रूसी अधिकारियों पर प्रतिबंधों की मांग करते हुए एक वीडियो बयान में कहा है, "यूरोपीय संघ को एक बिल्कुल साफ और निर्णायक संदेश देना होगा कि यह स्वीकार्य नहीं है."
मास्को में विरोध प्रदर्शन करने जमा हुए लोग.तस्वीर: Anton Vaganov/REUTERS
पहले से ही कई प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने पहले से ही रूस पर ऊर्जा, आर्थिक और हथियार से जुड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं. ये प्रतिबंध 2014 में क्राइमिया को रूस में मिलाने के बाद लगाए गए. इसके अलावा बीते साल अगस्त में नावाल्नी को जहर देने के बाद राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के करीबी कुछ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए गए.
बाल्टिक देशों में लातविया और एस्तोनिया भी रूसी अधिकारियों पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे है. उधर इटली ने भी रविवार को कहा है कि वह अधिकारियों पर और ज्यादा ट्रैवल बैन और संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई का समर्थन करेगा. जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास ने प्रदर्शनकारियों को तत्काल रिहा करने की मांग की है.
प्रतिबंधों के बारे में यूरोपीय संघ के सबसे ताकतवर देश जर्मनी और फ्रांस की प्रमुख भूमिका होगी. रूस यूरोपीय संघ को तेल और गैस का एक प्रमुख निर्यातक है. हालांकि अधिकारियों के नाम तय हो जाने की इतनी जल्दी उम्मीद नहीं है.
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प्रदर्शन के बाद हजारों गिरफ्तारियां
शनिवार को रूस के कई इलाकों में भारी ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में लोग नावाल्नी की रिहाई की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करने निकले. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मास्को में ही करीब 40,000 लोग शनिवार को प्रदर्शन करने निकले. इसे हाल के कई वर्षों में सरकार के खिलाफ सबसे बड़ी रैली कहा जा रहा है. तस्वीरों में पुलिस लोगों को पकड़ कर वैन में भर कर ले जाती दिखी है.
आलेक्सी नावाल्नी का कहना है कि अगस्त में उन्हें राष्ट्रपति पुतिन के आदेश पर जहर दिया गया. पुतिन इन आरोपों से इनकार करते हैं. राष्ट्रपति के दफ्तर से जारी बयानों में कहा गया है कि नावाल्नी को जहर दिए जाने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि नावाल्नी को हिरासत में लिए जाने पर पश्चिमी देशों की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों की भी रूस कोई परवाह नहीं करता क्योंकि यह उसका घरेलू मामला है.
एनआर/एमजे (रॉयटर्स)
पुतिन को डराने वाला यह शख्स कौन है?
रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नावाल्नी पुतिन विरोधी मुहिम का सबसे प्रमुख चेहरा हैं. लेकिन इस वक्त वह आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. शक है कि उन्हें जहर दिया गया है.
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रूसी विरोध का चेहरा
रूस में विरोध करने वालों के बीच एक बुलंद आवाज और मजबूत छवि अलेक्सेई नावाल्नी की है. नावाल्नी ने 2008 में एक ब्लॉग लिख कर रूसी राजनीति और सरकारी कंपनियों के कथित गंदे कामों की ओर लोगों का ध्यान खींचा. उनके ब्लॉग में लिखी बातें अकसर इस्तीफों की वजह बनती हैं जो रूस की राजनीति में दुर्लभ बात है.
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विवादित संसदीय चुनाव
2011 में नावाल्नी को पहली बार गिरफ्तार किया गया. मॉस्को में डूमा के बाहर हुई रैली में उनकी भूमिका के लिए उन्हें 15 दिन की सजा हुई. संसदीय चुनाव में पुतिन की यूनाइटे़ड रसिया जरूर जीती लेकिन सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों की तरफ से डाली तस्वीरों ने चुनाव के दौरान हुई धांधलियों को उजागर किया. बाहर निकलने पर नावाल्नी ने विरोध प्रदर्शनों के लिए "असाधारण कोशिशों" को जारी रखने की शपथ ली.
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दूसरी बार जेल
2012 में दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने रूस की जांच कमेटी को नावाल्नी के अतीत की आपराधिक जांच का आदेश दिया. इसके अगले साल नावाल्नी पर आरोप लगे और उन्हें सजा दी गई. इस बार उन्हें किरोव शहर में हुई कथित आगजनी के लिए पांच साल की सजा मिली. हालांकि उन्हें अगले ही दिन रिहा कर दिया गया क्योंकि उच्च अदालत से सजा की पुष्टि नहीं हो सकी. बाद में उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया.
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क्रेमलिन का विरोध बढ़ा
कानूनी पचड़ों में फंसने के बावजूद नावाल्नी को 2013 में मॉस्को के मेयर का चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गई. पुतिन के सहयोगी सर्गेई सोब्यानिन से मुकाबले में दूसरे नंबर पर आकर नावाल्नी पुतिन विरोध की मुहिम को आगे बढ़ाने में कामयाब हो गए.
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सोशल मीडिया पर नावाल्नी की लड़ाई
राष्ट्रपति के विरोध में गढ़े नारों के कारण नावाल्नी को रूस के सरकारी टेलिविजन पर दिखाने की रोक लग गई. मजबूर हो कर नावाल्नी ने अपना राजनीतिक संदेश सोशल मीडिया और ब्लॉग के जरिए लोगों तक पहुंचाने लगे. अच्छा भाषण देने, पुतिन और उनके सहयोगियों पर तीखे व्यंग्य और हास्य के जरिए उनका मजाक बना कर नावाल्नी ने युवा प्रशंसकों की एक फौज खड़ी कर ली है.
तस्वीर: Alexei Navalny/Youtube
राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा
दिसंबर 2016 में विपक्षी नेता ने मार्च 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी के अभियान की औपचारिक शुरूआत की. हालांकि लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई. उनके समर्थकों का कहना है कि उन पर लगे सारे आरोप राजनीति से प्रेरित थे.
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भ्रष्टाचार के दोषी
2016 में यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने फैसला दिया कि किरोव मामले में रूस की सरकार ने नावाल्नी की उचित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन किया. रूस की सर्वोच्च अदालत ने पांच साल कैद की सजा उलट दी लेकिन इस फैसले को किरोव की अदालत में वापस भेज दिया गया. 2017 में फिर उन्हें पांच साल के निलंबित कैद की सजा सुनाई गई. नावाल्नी ने फैसले को चुनौती दी और इस पर सुनवाई जारी है.
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6 साल में मॉस्को का सबसे बड़ा प्रदर्शन
फरवरी 2017 में भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्जनों शहरों में हुई रैलियों के कारण देश भर में नावाल्नी समेत 1000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार हुए. 2012 के बाद यह विरोध प्रदर्शन सबसे ज्यादा बड़े थे. नावाल्नी ने अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेद्वेव को एक अरब यूरो के एक इम्पायर से संबंधित बताया. 15 दिन बाद नावाल्नी को रिहा कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Evgeny Feldman for Alexey Navalny's campaign
शारीरिक हमला
नावाल्नी पर शारीरिक हमले भी हुए. अप्रैल 2017 में उनकी एक आंख में किसी ने केमिकल डाइ फेंक दिया इसकी वजह से उनके दक्षिणी कॉर्निया को भारी क्षति हुई. नावल्नी ने रूसी अधिकारियों पर आरोप लगाया कि किरोव मामले की आड़ लेकर उन्हें इलाज के लिए बाहर नहीं जाने दिया जा रहा. हालांकि रूसी राष्ट्रपति दफ्तर से जुड़े मानवाधिकार परिषद की दखल के बाद उन्हें स्पेन जा कर आंख का ऑपरेशन कराने की अनुमति मिली.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Feldman
जहर दिया गया?
20 अगस्त 2020 को नावाल्नी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. वह मॉस्को जा रहे थे कि विमान की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई और उन्हों तुरंत आईसीयू में दाखिल कराया गया. डॉक्टर उनकी हालत को गंभीर बता रहे हैं. नावाल्नी की प्रवक्ता का कहना है कि शायद चाय के जरिए उन्हें जहर देने की कोशिश की गई है.