देश में ऑक्सीजन की भारी कमी के संकट के बीच नाशिक में एक बड़ा हादसा हो गया है. एक कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन लीक हो जाने के बाद कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई है.
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हादसा नाशिक के जाकिर हुसैन म्युनिसिपल अस्पताल में हुआ, जहां आजकल केवल कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है. अस्पताल में करीब 150 ऐसे मरीज भर्ती थे, जिन्हें या तो ऑक्सीजन लगातार दी जा रहा थी, या वे वेंटिलेटर पर थे. मरने वाले सभी मरीज वेंटीलेटर पर थे. अब तक आई खबरों में बताया जा रहा है कि अस्पताल में एक ऑक्सीजन टैंकर से रिसाव होने के बाद अस्पताल को मिलने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई लगभग दो घंटों के लिए बंद हो गई थी. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने पत्रकारों को बताया कि मरीजों तक जिस ऑक्सीजन की टंकी से ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही थी, उसी में से ऑक्सीजन का रिसाव होने लगा.
टोपे ने कहा कि हादसे की जांच की जा रही है लेकिन संभव है कि इसी रिसाव की वजह से मरीजों को ऑक्सीजन मिलने में जो रुकावट हुई, उसी के वजह से उनकी मौत हुई हो. सोशल मीडिया पर घटना के कई वीडियो चल रहे हैं जिनमें पूरे परिसर में गैस को फैलते हुए देखा जा सकता है.
रिसाव पर काबू पाने के लिए वहां दमकल वाहन भेजे गए और दमकल कर्मियों ने गैस पर पानी की बौछार की. रिसाव पर अब काबू तो पा लिया गया है लेकिन करीब 30 मरीजों को बचाने के लिए उन्हें दूसरे अस्पताल में भेज दिया गया है. राज्य सरकार ने मरने वालों के परिवारों के लिए पांच लाख रुपयों की अनुग्रह राशि की घोषणा की है. महाराष्ट्र से ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की जान जाने की खबरें पहले भी आई थीं, लेकिन इस तरह का हादसा पहली बार हुआ है.
इस समय पूरे देश में ऑक्सीजन की भारी कमी का संकट छाया हुआ है. दिल्ली में मंगलवार रात लगभग सभी बड़े अस्पतालों में सिर्फ कुछ घंटों की ऑक्सीजन बची थी, जिसकी वजह से ऑक्सीजन पर निर्भर सैकड़ों मरीजों की जिंदगी दांव पर लगी हुई थी. सुबह होने तक किसी तरह इन अस्पतालों तक ऑक्सीजन पहुंचाई गई और लोगों की जान बचा ली गई.
कोरोना लहर के बीच कुंभ में शाही स्नान
देश में कोरोना वायरस की खतरनाक लहर के बीच हरिद्वार में लगे कुंभ में लाखों लोग दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इन तस्वीरों को देख कर आपको विश्वास नहीं होगा कि देश में महामारी ने फिर से पांव पसार लिए हैं.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
ना मास्क, ना सामाजिक दूरी
हरिद्वार में महाकुंभ एक अप्रैल से चल रहा है और इसमें शामिल होने के लिए पूरे देश से लाखों लोग लगातार जा रहे हैं. 12 अप्रैल को एक शाही स्नान की तिथि थी और इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए मेले में लाखों लोगों की भीड़ देखी गई.
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कर्फ्यू भी, कुंभ भी
यह जमावड़ा ऐसे समय पर हो रहा है जब देश में एक दिन में संक्रमण के इतने नए मामले सामने आ रहे हैं, जितने महामारी की शुरुआत से आज तक नहीं आए. कई राज्यों में रात का कर्फ्यू और सप्ताहांत की तालाबंदी लागू है और कई राज्य एक बार फिर पूरी तालाबंदी लगाने का विचार कर रहे हैं. हरिद्वार और उत्तराखंड के दूसरे इलाकों में भी पहले से कहीं ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं.
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प्रशासन लाचार
देश के दूसरे इलाकों में पुलिस कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों का चालान कर रही है और कई तरह के जुर्माने लगा रही है. लेकिन हरिद्वार में कुंभ के लिए उमड़ी भीड़ को प्रशासन बस लाचार हो कर देख रहा है. मेले में आए कुछ संतों समेत कई लोगों को संक्रमण हो चुका है, लेकिन आयोजन जस का तस चल रहा है.
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नियम बेकार
कुंभ शुरू होने से पहले प्रशासन ने कहा था कि मेले में शामिल होने के लिए ई-पास उन्हीं को मिलेंगे जो आरटी-पीसीआर टेस्ट में नेगेटिव पाए जाने का सर्टिफिकेट दिखाएंगे. लेकिन मेले में ही लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद यह इंतजाम बेकार साबित हो गए हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
दी गई थी चेतावनी
मेला शुरू होने से पहले कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रशासन से इस तरह के जमावड़ों की अनुमति ना देने की अपील की थी. उनका कहना था कि इससे महामारी तेजी से फैलेगी, लेकिन आयोजन के समर्थकों ने इन चिंताओं को नकार दिया था.
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चिंताजनक स्थिति
दूसरे शहरों में लगे रात के कर्फ्यू और सप्ताहांत की तालाबंदी की तस्वीरों को कुंभ की तस्वीरों से मिला कर देखें तो यह कहा मुश्किल हो जाएगा कि यह सब एक साथ एक ही देश के अंदर चल रहा है. वो भी ऐसा देश जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में दूसरे पायदान पर खड़ा है. इस समय पूरी दुनिया में संक्रमण के हर छह मामलों पर एक मामला भारत में है.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
अभी बढ़ेगा संकट
कुंभ मेला अभी 18 दिन और चलेगा. 12 अप्रैल जैसे दो और शाही स्नान अभी आने बाकी हैं, जिनमें से एक 14 अप्रैल को होना है और दूसरा 27 अप्रैल को. दूसरे तरफ हरिद्वार के साथ साथ पूरे देश में संक्रमण पहले से भी तेज गति से फैल रहा है.
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क्या लग पाएगा अंकुश?
कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आस्था के नाम पर लोगों की जान के साथ ऐसी लापरवाही ठीक है?