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निजी एयरलाइन कंपनियों की हड़ताल

१ अगस्त २००९

भारत की निजी एयरलाइन कंपनियों ने 18 अगस्त को एक भी घरेलू उड़ान न भरने का एलान किया है. एयरलाइन कंपनियां विमान के ईंधन में लगाए जाने वाले टैक्स और एयरपोर्ट शुल्क को घटाने की मांग कर रही हैं.

अल्टीमेटम नहीं है: माल्यातस्वीर: UNI

भारत की सभी आठ प्रमुख निजी एयरलाइन कंपनियों ने ये एलान शुक्रवार को मुबंई में किया. एक दिन की हड़ताल करने वाली कंपनियों में जेट एयरवेज़, किंगफिशर एयरलाइन्स, किंगफिशर रेड, जेटलाइट, जेट कनेक्ट, इंडिगो और स्पाइस जेट शामिल हैं. इन कंपनियों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) की ओर जारी साझा बयान में कहा गया है कि एयरलाइन कंपनियों का मकसद सरकार को अल्टीमेटम देना नहीं है.

एफआईए के एलान के बाद सरकार भी हरकत में आई है. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वह इस मसले पर नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल से बातचीत करेंगे. उधर प्रफुल्ल पटेल ने निजी एयरलाइन कंपनियों को सरकार से बातचीत करने की सलाह दी है.

भारत की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज़ के प्रमुख नरेश गोयल का कहना है कि, ''अगर इस उद्योग को चलाने के लिए हमें धंधे की ज़रूरत है. लेकिन चाहे वो सरकारी हो या निजी, सभी लहुलूहान हैं.''

किंगफिशर एयरलाइंस के चैयरमैन विजय माल्या का कहना है कि, ''हम टैक्स को बोझ से मरे जा रहे हैं. हम राहत पैकेज की बात नहीं कर रहे. हमारी मांग है कि विमान के ईँधन में लगने लगने वाला सेल्स टैक्स और एयरपोर्ट शुल्क की ऊंची दरें कम की जाएं.''

दरअसल भारत में घरेलू उड़ानों के ज़रिए ही हर दिन आठ लाख यात्रियों को उनकी मंज़िल तक पहुंचाने वाली इन एयरलाइन कंपनियों की हालत बेहद ख़स्ता हो गई है. मंदी और एयर टरबाइन फ़्यूल की महंगी कीमतों को चलते एयरलाइन कंपनियों की कमर टूट गई है.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस के मुताबिक 2007-08 में निजी एयरलाइन कंपनियों को 2,444 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन आशंका जताई जा रही है कि बीते साल तो 10 हज़ार करोड़ रुपये से भी ज़्यादा का नुकसान उठाना पड़ना है.

बहरहाल अब सरकार को तय करना है कि बीच का रास्ता कैसे निकाला जाए. भारत में निजी एयरलाइन कंपनियों का 78 फीसदी बाज़ार पर कब्ज़ा है. ऐसे में साफ है कि अगर सरकार और एफआईए के बीच समझौता नहीं हुआ तो यात्रियों को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन साथ ही डर इस बात की भी है कि अगर सरकार ने एयरलाइन कंपनियों की मांगें मान ली तो कई और उद्योग भी इसी राह पर चल सकते हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एस जोशी


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