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अपराध

निर्भया केस में अभी न्याय का इंतजार

१८ दिसम्बर २०१९

निर्भया कांड के एक दोषी की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी, डेथ वारंट पर दिल्ली की अदालत में सुनवाई 7 जनवरी तक टली.

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तस्वीर: DW/B. Das

दिल्ली के निर्भया कांड के एक दोषी अक्षय ठाकुर सिंह की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के चार दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा दी है.  सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि दोषी तय समय में दया याचिका के विकल्प का इस्तेमाल कर सकता है. दरअसल दोषी अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को ही फैसला होने वाला था, लेकिन चीफ जस्टिस ने खुद को बेंच से अलग कर लिया था, जिसके बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने याचिकाकर्ता और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस मामले में पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सही फैसला दिया है.

निर्भया की मां आशा देवी ने सर्वोच्च अदालत के फैसले पर खुशी जाहिर की है. निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों में से एक अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. हम अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं. जब तक पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी नहीं किया जाता है, हम संतुष्ट नहीं होंगे."

निर्भया की मां कई सालों ने कर रही हैं दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलने का इंतजार.तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khanna

सुप्रीम कोर्ट में दलील

दोषी अक्षय ठाकुर के वकील एपी सिंह ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि इस मामले में मीडिया और जनता का दबाव है, उन्होंने निर्भया के आखिरी बयान पर सवाल उठाते हुए कहा, "बयान संदिग्ध है और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है." एपी सिंह ने अपनी दलील में कहा कि अक्षय को फांसी की सजा सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि वह गरीब परिवार से आता है. इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि यह सब दलीलें पहले भी दी जा चुकी हैं, इसमें नया क्या है. फांसी की सजा के खिलाफ अपना पक्ष रखते हुए एपी सिंह ने दूसरे देशों का हवाला दिया कि वहां मौत की सजा नहीं होती है. दिल्ली सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब तक फांसी की सजा का प्रावधान कानून की किताब में है वह कानून ही रहेगा. इसके आगे मेहता ने बेंच से कहा, कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें 'मानवता रोती' है. मेहता ने कहा, "कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे.ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए."

मेहता ने कहा निर्भया के दोषियों की तरफ से बार-बार केस को लंबित किया जा रहा है. ऐसे में देरी किए बिना मामले का निपटारा होना चाहिए. एपी सिंह ने फांसी की सजा को मानवाधिकार का हनन बताया. उन्होंने अपनी दलील में कहा कि फांसी से जुर्म खत्म होता है, अपराधी नहीं.

अब आगे क्या होगा

अक्षय के अलावा बाकी और दोषियों के पास सर्वोच्च अदालत में फांसी की सजा के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने का विकल्प है. दरअसल क्यूरेटिव पिटीशन में फैसले पर तकनीकी तौर पर सवाल उठाया जा सकता है. क्यूरेटिव पिटीशन में इस बात को बताना होता है कि आखिर याचिकाकर्ता किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहा है. इस पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट के तीन वरिष्ठ जज सुनते हैं और उसके बाद फैसला सुनाने वाले जजों के पास भी इसे भेजना जरूरी होता है. क्यूरेटिव पिटीशन के खारिज हो जाने के बाद दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा सकते हैं. राष्ट्रपति से दया याचिका के खारिज होने के बाद स्थानीय कोर्ट से डेथ वारंट हासिल कर दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाता है. 

डेथ वारंट

डेथ वारंट या ब्लैक वारंट, दरअसल दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) का फॉर्म नंबर 42 दोषी को फांसी की सजा का अनिवार्य आदेश है. यह वारंट जेल प्रभारी के नाम होता है जहां फांसी की सजा पाए दोषी कैद में रखा गया है. इस वारंट में दोषी के नाम के साथ ही मौत की सजा की पुष्टि होती है. वारंट में तारीख, समय और जगह का भी जिक्र होता है.

हालांकि बुधवार को निर्भया मामले के चारों दोषियों के डेथ वारंट को लेकर दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई 7 जनवरी तक के लिए टल गई है. निर्भया के माता-पिता के वकील ने कोर्ट से जल्द डेथ वारंट जारी करने की अपील की है. कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रपति के पास दया याचिका के खारिज होने के बाद ही डेथ वारंट जारी होगा. कोर्ट ने तिहाड़ जेल से कहा है कि वो दोषियों से पूछे की क्या वे राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करेंगे. कोर्ट के इस फैसले पर निर्भया की मां कोर्टरूम में ही रो पड़ीं और पूछा कि हमारे अधिकारों का क्या? इस पर कोर्ट ने कहा, "हमारी संवेदना पूरी तरह से आपके साथ हैं, हमें मालूम है कि किसी की मौत हुई है, लेकिन यहां उनके (दोषी) के अधिकारों की भी बात है. हम यहां आपको सुनने के लिए हैं लेकिन हम भी कानून से बंधे हुए हैं."

सुप्रीम कोर्ट पिछले साल ही दोषी विनय शर्मा, मुकेश और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है. पांचवें दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. एक अन्य आरोपी को नाबालिग होने का लाभ मिला और उसे तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा गया था एक और नाबालिग आरोपी तीन साल सुधार गृह में बिता कर छूट गया है.

गौरतलब है कि भारत में आखिरी बार फांसी 1993 के बम धमाके में दोषी याकूब मेमन को 2015 में दी गई थी.

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