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"निर्लज्ज और बेअसर" नेता

२६ फ़रवरी २०१५

आम नागरिकों को इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों से बचाने में दुनिया भर के नेता "निर्लज्ज और बेअसर" साबित हुए. ये टिप्पणी मनावाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने की है.

तस्वीर: Reuters/O. Orsal

कुल 415 पन्नों वाली अपनी वार्षिक रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 2014 को "विनाशकारी" साल करार दिया. 160 देशों में हुए नागरिक अधिकारों के हनन पर रिपोर्ट में गहरी चिंता जताई गई है. संगठन का आरोप है कि सरकारों ने यह सोचा कि "नागरिकों को बचाना उनकी शक्ति के बाहर है."

रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामिक स्टेट, बोको हराम और अल शबाब जैसे आतंकवादी संगठनों ने बीते साल करीब 35 देशों में आम नागरिकों को निशाना बनाया. सीरिया और इराक का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, "आईएस के लड़ाकों ने बड़े पैमाने पर युद्ध अपराध किए. जनसंहार में पुरुषों की हत्या की गई और महिलाओं और युवतियों को अपहरण, बलात्कार और अन्य यातनाओं का निशाना बनाया गया. ये अपराध किसी समुदाय विशेष या अल्पसंख्यकों के सफाये के लिए किए गए."

सुरक्षा परिषद "बुरी तरह नाकाम"तस्वीर: AP

आईएस से निपटने के लिए दूसरे धड़े को हथियार देने पर चेतावनी देते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा, "सरकार द्वारा समर्थित शिया उग्रवादियों ने सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों में बड़े पैमान में सुन्नी पुरुषों को अगवा किया और उनकी हत्या की."

बड़ी मानवीय त्रासदी

रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में सीरिया से यूक्रेन तक और गजा से नाइजीरिया तक लाखों लोग मारे गए. विस्थापित होने वालों की संख्या पांच करोड़ से ज्यादा रही. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार बीते साल ही दुनिया ने इतना बड़ा विस्थापन देखा है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं का जिक्र करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव सलिल शेट्टी ने कहा, "2014 एक विनाशकारी साल था जिसमें लाखों लोग हिंसा का शिकार बने. सरकारों या हथियारबंद गुटों द्वारा की गई हिंसा या इनके द्वारा हुए उत्पीड़न के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया शर्मनाक और बेअसर रही."

स्वार्थों में घिरी ताकतें

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तुरंत कार्रवाई नहीं की तो स्थिति और बिगड़ेगी. एमनेस्टी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भी आड़े हाथ लिया. शेट्टी ने सुरक्षा परिषद को आम लोगों की हिफाजत करने में "बुरी तरह नाकाम" बताया. सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों पर तंज कसते हुए शेट्टी ने कहा कि ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन और अमेरिका ने लगातार अपने वीटो अधिकार का दुरुपयोग किया, इन देशों ने "आम नागरिकों की रक्षा के बजाए अपने राजनैतिक या भूराजनैतिक हितों को बढ़ावा दिया."

आईएस के आतंक से लाखों लोग विस्थापिततस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Suna

एमनेस्टी ने सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों से जातिसंहार और जनसंहार जैसे मामलों में वीटो अधिकार त्यागने की अपील की है. फ्रांस 70 देशों के साथ मिलकर ऐसी ही मांग कर चुका है. एमनेस्टी को उम्मीद है कि फ्रांस के बाद की गई उसकी अपील मामले को आगे बढ़ाएगी.

शरणार्थी संकट

शरणार्थियों के मसले पर रिपोर्ट ने यूरोपीय संघ की खिंचाई की है. रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया से 40 लाख लोग भागे. 2014 के अंत तक इनमें से सिर्फ 1.5 लाख लोगों को यूरोपीय संघ के देशों ने शरण दी.

सुरक्षित आशियाना तलाशने की उम्मीद में यूरोप आ रहे 3,400 लोग भूमध्यसागर में हुए हादसों में मारे गए. यूरोपीय संघ के कुछ देशों पर शरणार्थियों को दूर रखने की कोशिश का आरोप लगाया गया है.

साथ आने की अपील

मानवाधिकार संगठन ने सभी देशों से अंतरराष्ट्रीय हथियार कारोबार को नियंत्रित करने वाली संधि को अमल में लाने की मांग भी की. संधि 2014 में हुई थी. एमनेस्टी का तर्क है कि इसका पालन करने से सीरिया और इराक जैसे देशों तक पहुंच रहा हथियारों का बड़ा जखीरा रोका जा सकेगा. रिपोर्ट में आबादी वाले इलाकों में मोर्टार और रॉकेट जैसे धमाका करने वाले हथियारों का इस्तेमाल बंद करने की सिफारिश भी की गई है.

ओएसजे/आरआर (एएफपी)

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