नीदरलैंड्स में किसी भी सार्वजनिक स्थल पर चेहरा ढंकने पर जुर्माने और नो एंट्री का प्रावधान लागू कर दिया गया है.
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उदार छवि वाले नीदरलैंड्स ने भी एक अगस्त 2019 से बुर्का बैन लागू कर दिया. नए कानून के मुताबिक सार्वजनिक स्थलों पर ऐसा कोई भी पहनावा जो "चेहरे को ढंके" प्रतिबंधित है. इसके साथ ही स्कूल, अस्पताल, सार्वजनिक भवनों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में गुरुवार से बुर्के पर पाबंदी लागू हो गई.
अब प्रशासनिक अधिकारी लोगों से अपना चेहरा दिखाने के लिए कह सकेंगे. अगर किसी ने चेहरा दिखाने से इनकार किया तो उसे सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोका जा सकता है, साथ ही 150 यूरो के जुर्माने का भी प्रावधान है. नीदरलैंड्स के तटीय शहर रोटरडाम की इस्लामिक पार्टी ने प्रतिबंध का विरोध किया है. पार्टी का कहना है कि जो भी सार्वजनिक जगहों पर प्रतिबंधित कपड़े पहने हुए पकड़ा जाएगा, उसका जुर्माना इस्लामिक पार्टी भरेगी.
नीदरलैंड्स में पूरा चेहरा ढंकने वाला बुर्का और नकाब पहनने वाली महिलाओं की संख्या करीब 150 है. प्रतिबंध के दायरे में फुल फेस हेल्मेट पहनने वाले भी आएंगे. यूरोप में बुर्के पर प्रतिबंध की बहस लंबे समय से चल रही है. एक धड़ा बुर्के को महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की तरह देखता है तो दूसरा पक्ष धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए मनचाही पोशाक पहनने की वकालत करता है.
नया कानून कैसे लागू होगा, इस पर सवाल हैं. नीदलैंड्स के कई शहरों में अस्पतालों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों ने प्रतिबंध को अमल में लाने से इनकार किया है. पुलिस भी कह रही है कि वह जबरदस्ती नहीं करेगी.
फ्रांस, यूरोप में बुर्के पर बैन लगाने वाला पहला देश है. फ्रांस ने करीब 10 साल पहले ऐसा प्रतिबंध लगाया. बाद में कुछ और देशों ने भी यह पाबंदी लागू की. डेनमार्क में भारी विरोध के बावजूद बीते एक साल से बुर्के पर प्रतिबंध लागू है. 2018 में संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने कहा कि बुर्के पर बैन लगाने वाला कानून मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है.
2019 में ऑस्ट्रिया ने भी प्राइमरी स्कूलों में छात्राओं के हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया. ऑस्ट्रिया में 2017 से ही पूरा चेहरा ढंकने पर प्रतिबंध है. जर्मनी के हेसे प्रांत में भी सिविल सेवा के कर्मचारियों के बुर्का पहनने पर पाबंदी है. छह महीने पहले जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी ने भी खुले संवाद और भाव भंगिमा का हवाला देकर पूरा चेहरा ढंकने वाली पोशाक पर प्रतिबंध लगा दिया.
फ्रांस के बाद अब जर्मनी में बुरके पर प्रतिबंध लगाए जाने की चर्चा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे पहले भी कई बार पहनावे से जुड़ी कई चीजों पर बैन लगाने की चर्चाएं होती रहीं हैं. देखिए ये पांच मिसालें.
तस्वीर: BortN66 - Fotolia.com
पूर्वी जर्मनी में जींस पर
एक जमाने में पूर्वी जर्मनी में जींस पहनने वालों पर बड़ी पाबंदियां थीं. जैसे कि कई क्लबों के दरवाजे पर लिखा होता कि "जींस के साथ प्रवेश नहीं." जींस पहन कर पहुंचे कई छात्रों को कक्षाओं से भी वापस लौटा दिया जाता था. लेकिन बाद में पूर्वी जर्मन शासन को ही जिद छोड़नी पड़ी और उनके नेता एरिष होनेकर ने खुद देश में भारी मांग को देखते हुए 10 लाख लीवाइस जींस मंगवाने का ऑर्डर दिया.
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तुर्की में फेज पर
1920 के दशक तक तुर्की में फेज सिर पर पहने जाने वाली एक लोकप्रिय टोपी थी. ओटोमन साम्राज्य के खत्म होने के बाद और राष्ट्रपति अतातुर्क के शासन में आधुनिक तुर्की के पुनर्निर्माण के दौर पर वे ऐसी पुरानी चीजों को सर्वजनिक जीवन में नहीं देखना चाहते थे. 1930 का दशक आते आते फेज आम पहनावे से लगभग गायब ही हो गई. उस पर अब भी बैन जारी है लेकिन इसे लागू नहीं करवाया जाता.
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स्कॉटलैंड में किल्ट पर
आज यह स्कॉटिश संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. लेकिन 18वीं सदी में अंग्रेजों ने किल्ट को कुछ समय के लिए बैन कर दिया था. लंदन को यह बिल्कुल पसंद नहीं आता कि स्कॉटिश लोग उनके प्रति प्रतिरोध और अपनी विरासत के प्रति गर्व दिखाने के लिए पारंपरिक स्कर्ट किल्ट पहना करते. 1747 में सरकार ने किल्ट पर बैन ही लगा दिया जो 37 सालों तक लागू रहा.
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रूस में लॉन्जरी पर
रूस में आज भी ऐसे किसी अंडरवियर पर बैन है जिसमें कम से कम 6 फीसदी कॉटन ना हो. इसका अर्थ हुआ कि लेस, वेलवेट और रेशम के बने महिलाओं के अंत:वस्त्र नहीं बिक सकते. यह कानून दो सालों से लागू है. इसका आधिकारिक कारण यह बताया जाता है कि ज्यादा सिंथेटिक चीजें लोगों की सेहत के लिए बुरी हैं. हकीकत ये है कि अब तक देश में बिकने वाली ऐसी सारी लॉन्जरी विदेशों से आती थीं जिन पर रोक लग गई है.
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यूएस, यूके में हुडी पर
यूके में कुछ जगहों पर इसकी मनाही है. जैसे केंट के ब्लूवॉटर शॉपिंग सेंटर में हुडी नहीं पहन सकते. हालांकि यहां हुडी खरीदा जा सकता है लेकिन इसे पहनने पर पिछले 10 साल से प्रतिबंध है. अमेरिका में कई स्कूलों में क्लास में हुडी पहनना मना है. ओक्लाहोमा स्टेट के सीनेटर तो पूरे राज्य में इसे बैन करना चाहते हैं.