नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके परिवार की गोपनीय जानकारी अब सामने आएगी. पश्चिम बंगाल ने नेताजी से जुड़ी 64 फाइलें सार्वजनिक की हैं.
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भारत की आजादी के नायकों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी कई फाइलें कलकत्ता पुलिस म्यूजियम में हैं. 64 फाइलों को सार्वजनिक करने का एलान करते हुए कोलकाता के पुलिस कमिश्नर सुरजीत कर पुराकायस्थ ने कहा, "फाइलों को सार्वजनिक करना काफी मेहनत का काम है. 64 फाइलें हैं जिनमें 12,744 पन्ने हैं और सार्वजनिक करने से पहले इनका डिजिटजल वर्जन तैयार किया जाएगा."
असली फाइलों को पुलिस म्यूजियम में शीशे के कैबिन में रखा गया है. शुक्रवार को म्यूजियम को नेताजी के परिवार और मीडिया के लिए खोला गया. आजादी के बाद यह पहला मौका है जब नेताजी के जीवन से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक तौर पर सामने आईं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 11 सितंबर को इन फाइलों को सार्वजनिक करने का एलान किया.
सोशल मीडिया पर यह मुद्दा छाया हुआ है. न्यूज चैनलों का दावा है कि इन फाइलों में दबी जानकारी उनके पास धीरे धीरे पहुंच रही है. कुछ न्यूज चैनलों का यह भी दावा है कि आजादी के बाद नेताजी के परिवार की जासूसी हुई.
लेकिन एक बात तय है कि ये फाइलें कांग्रेस की मुश्किल जरूर बढ़ाएंगी. आजादी के बाद तीन दशक तक देश में सिर्फ कांग्रेस की सरकार थी. जब जब नेताजी से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने की बात हुई तब तब कोई न कोई बहाना सामने आया.
ओएसजे/एसएफ
भारत के प्रधानमंत्री
एक नजर आजादी से अब तक भारत के प्रधानमंत्रियों और उनके कार्यकाल पर.
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जवाहरलाल नेहरू
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू धर्मनिरपेक्ष नेता थे. उनके कार्यकाल में समाजवादी नीतियों पर जोर रहा. विज्ञान, शिक्षा और समाज सुधारों की शुरुआत हुई. हालांकि नेहरू के कार्यकाल में देश ने अकाल भी देखे. आलोचक कहते हैं कि नेहरू ने देश से ज्यादा विदेशों पर ध्यान दिया और प्राथमिक शिक्षा पर भी कम ध्यान दिया.
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लाल बहादुर शास्त्री
दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की छवि बेहद मेहनती और जमीन से जुड़े नेता की रही. चुपचाप ईमानदारी से अपना काम करने वाले शास्त्री देश को अकाल से निकालने से सफल रहे. कृषि में क्रांति करने वाले इस नेता ने ही "जय जवान, जय किसान" का नारा दिया.
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इंदिरा गांधी
लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं. कांग्रेस पार्टी टूट गई, लेकिन बांग्लादेश युद्ध के दौरान उनकी छवि लौह महिला की बनी. आपातकाल लगाने और पार्टी लोकतंत्र को खत्म करने के लिए इंदिरा गांधी की आलोचना होती है. उन्हीं के कार्यकाल में खालिस्तान आंदोलन भी शुरू हुआ.
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मोरारजी देसाई
इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्री रहे मोरारजी देसाई आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनावों में इंदिरा की हार के बाद पीएम बने. लेकिन उनकी जनता पार्टी सरकार दो ही साल चली. चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने और फिर इंदिरा गांधी सत्ता में लौटीं.
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राजीव गांधी
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव ने संचार, शिक्षा और लाइसेंस राज में बड़े सुधार किये. शाहबानो केस, बोफोर्स घोटाले, भोपाल गैस कांड और काले धन के मामले उन्हीं के कार्यकाल में सामने आए.
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विश्वनाथ प्रताप सिंह
1989 के चुनावों में कांग्रेस की हार से जनता पार्टी की गठबंधन सरकार बनी. वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. उन्हीं के कार्यकाल में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुई. 1990 में वीपी सिंह की सरकार गिरी और चंद्र शेखर की अगुवाई में सरकार बनी. ये भी 1991 में गिर गई.
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पीवी नरसिंह राव
राजीव गांधी की हत्या के बाद जून 1991 में कांग्रेस के नरसिंह राव देश के पहले दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री बने. वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की मदद से उन्होंने उदारीकरण के रास्ते खोले. उन्हीं के कार्यकाल में हिंदू कट्टरपंथियों ने बाबरी मस्जिद तोड़ी.
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एचडी देवगौड़ा
1996 के चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार सिर्फ 13 दिन चल सकी. इसके बाद जनता दल यूनाइटेड ने एचडी देवगौड़ा (बाएं से तीसरे) के नेतृत्व में सरकार बनाई. भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझती ये सरकार साल भर में धराशायी हो गई.
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आईके गुजराल
पढ़े लिखे, सौम्य और विनम्र छवि के इंद्र कुमार गुजराल 1997 में प्रधानमंत्री बने. उनकी गठबंधन सरकार बहुत कुछ नहीं कर पाई, ज्यादातर वक्त सरकार बचाने की जोड़ तोड़ ही होती रही.
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अटल बिहारी वाजपेयी
1998 में हुए चुनावों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की गठबंधन सरकार बनी. पर सरकार 13 महीने ही चली. फिर चुनाव हुए और वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी. इस दौरान आर्थिक विकास तेज हुआ. पाकिस्तान के साथ संबंध बेहतर हुए. लेकिन कारगिल युद्ध ने संबंधों में दरार डाल दी. वाजपेयी के कार्यकाल में कंधार विमान अपहरण कांड भी हुआ.
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मनमोहन सिंह
एनडीए का "इंडिया शाइनिंग" नारा नाकाम रहा. 2004 में केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए गठबंधन सरकार बनी. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया जाना आश्चर्यजनक था. सूचना अधिकार, शिक्षा अधिकार, मनरेगा जैसे बड़े फैसले सरकार ने लिए. लेकिन दूसरी पारी में सरकार भ्रष्टाचार के लिए बदनाम हुई. देश ने कई बड़े घोटाले देखे.
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नरेंद्र मोदी
मई 2014 को जबरदस्त बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी भारत के 14वें प्रधानमंत्री बने. तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके मोदी विकास, सुशासन और सबको साथ लेने का नारा देकर बहुमत में आए. विरोधी उन पर गुजरात दंगों में ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाते हैं.