तुर्की द्वारा रूस के लड़ाकू विमान को गिराए जाने ने आईएस विरोधी गठबंधन बनाने के फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद के प्रयासों पर पानी फेर दिया है. मियोद्राग सोरिच का कहना है कि फ्रांस के पास इसके लिए राजनीतिक वजन की भी कमी है.
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और अब ये भी, तुर्की की वायु सेना ने रूसी लड़ाकू विमान को मार गिराया. जैसे कि सीरिया के साथ लगी सीमा पर स्थिति पहले से ही जटिल नहीं रही हो. औपचारिक रूप से नाटो ने अपने सदस्य तुर्की का समर्थन किया है. सिर्फ नाटो के मुख्यालय ब्रसेल्स में ही नहीं, फ्रांस और अमेरिका के राष्ट्रपतियों ने भी वॉशिंग्टन में अपनी भेंट में कहा कि अंकारा को अपनी हवाई सीमा की रक्षा का अधिकार है.
स्थितिविनावजहबिगड़ी
लेकिन अनौपचारिक तौर से तुर्की को आलोचना भी सुननी होगी. स्थिति ऐसे समय में गरमा रही है जब राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद मॉस्को जा रहे हैं, क्रेमलिन प्रमुख को इस बात के लिए राजी करवाने कि वे सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन छोड़ें. बिना किसी वजह के.
रूस अपने हिस्से का दोषी है. वह सीरिया में जो चाहता है कर रहा है, अपनी सैनिक कार्रवाइयों के बारे में पश्चिम के साथ बात नहीं कर रहा है. यह जोखिम भरा है. इसकी कीमत इस बार एक रूसी पाइलट की जान थी. इस घटना का अंत में कोई दूरगामी नतीजा नहीं होगा. कम से कम यदि तुर्की आग में घी न डाले और रूसी राष्ट्रपति अपने गुस्से को काबू में रखें. मामला बिगड़ने से सिर्फ तथाकथित इस्लामिक स्टेट को फायदा होगा.
काफीनहींफ्रांसीसीनेतृत्व
लेकिन इस घटना की वजह से ओलांद का मॉस्को मिशन आसान नहीं रहेगा. रूस और ईरान के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ महागठबंधन बनाने की उनकी कोशिश काबिले तारीफ है. लेकिन अंत मे फ्रांस का नेतृत्व काफी नहीं होगा. फ्रांस के पास महाशक्ति का वजन नहीं है. और यूरोपीय देश हमेशा की तरह एकमत नहीं हैं, रक्षा के लिए खर्च नहीं करना चाहते. अमेरिका अकेला देश है जो पाषाणयुगीन कट्टरपंथियों के खिलाफ गठबंधन बना सकता है.
सीरिया में शक्ति प्रदर्शन
यूरोप शरणार्थी संकट और आतंकी हमलों की आशंका से जूझ रहा है तो सीरिया में विश्व और स्थानीय ताकतें शक्ति प्रदर्शन में लगी हैं. तुर्की का रूसी बमवर्षक को गिराना इसी प्रहसन का हिस्सा है.
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रूस का एसयू-24 विमान नीचे से उड़ते हुए बमबारी कर सकता है. तुर्की की सेना ने ऐसे ही रूसी बमवर्षक को सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाकर गिरा दिया. विमान तुर्क सीमा से चार किलोमीटर दूर सीरिया के अंदर गिरा.
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तुर्की ने 24 नवंबर को रूस का एक बमवर्षक मार गिराया. तुर्की का आरोप है कि उसने रूसी लड़ाकू विमान को दस बार चेतावनी दी जिसे पाइलट ने नजरअंदाज कर दिया. उसके बाद तुर्की ने हमले की प्रक्रिया को सक्रिय किया.
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विदेशी विमान के तुर्की की सीमा के 20 किलोमीटर के अंदर आने पर उन्हें चेतावनी दी जाती है. आठ किलोमीटर करीब आने पर एफ-16 को तैयार कर दिया जाता है. सीमा के हनन पर विदेशी विमान को गिरा दिया जाता है.
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रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने तुर्की की कड़ी आलोचना की है और उसे आतंकवाद का समर्थक बताया है. पुतिन ने विदेश मंत्रालय द्वारा नागरिकों को तुर्की की यात्रा पर न जाने की सलाह का समर्थन किया है. उन्होंने इसे आवश्यक कदम बताया.
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रूस और तुर्की के रिश्तों में खटास का आर्थिक असर भी होगा. हर साल करीब 33 लाख रूसी तुर्की जाते हैं. विदेश मंत्री लावरोव की चेतावनी के बाद विमान कंपनी एयरोफ्लोत का शेयर भाव भी गिरा है जो रूसी पर्यटकों को तुर्की ले जाता है. अंताल्या में क्रेमलिन पैलेस होटल.
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रूसी बमवर्षक तुर्की-सीरिया सीमा पर सीरिया के उस इलाके में गिरा जहां तुर्क मूल के तुर्कमान जाति के लोग रहते हैं. वे सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार का विरोध कर रहे हैं. तुर्की उन्हें समर्थन देता है. रूस का कहना है कि वह आईएस के ठिकानों पर बमबारी कर रहा है.
मार गिराए गए विमान में दो पाइलट थे. वे हमले के बाद इजेक्ट हो गए. उनमें से एक की मौत हो गई जबकि दूसरे पाइलट को रूसी और सीरियाई स्पेशल फोर्स ने रात की कार्रवाई के बाद बचा लिया. वह लताकिया में रूसी हवाई चौकी पर सुरक्षित पहुंच गया है.
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रूसी विमान को गिराए जाने के बाद तुर्की के राष्ट्रपति एरदोवान और प्रधानमंत्री दावोतोग्लू अपनी हवाई सीमा की रक्षा के तुर्की के अधिकार पर जोर दे रहे हैं. उन्हें अमेरिका सहित नाटो के दूसरे सदस्यों का समर्थन भी मिला है.
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पेरिस पर आतंकी हमले के बाद रूस और पश्चिमी देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहमति के संकेत दिख रहे थे. पुतिन और एरदोवान अंताल्या में मिले थे. लेकिन तुर्की द्वारा रूसी बमवर्षक को गिराए जाने के बाद इस बात की उम्मीद कम हुई है कि सीरिया में सहमति संभव होगी.
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जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने मॉस्को और अंकारा से समझदारी की अपील की है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस घटना का असर सीरिया समस्या के समाधान के लिए हाल ही में शुरू हुई बातचीत पर नहीं पड़ेगा.
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वॉशिंग्टन अंकारा को अनुशासित कर सकता है, मॉस्को को खुली मान्यता दे सकता है, सऊदी अरब और अमीरात पर दबाव डाल सकता है, कम से कम अंतरिम काल के लिए असद सरकार के प्रतिनिधि के साथ एक मेज पर बैठ सकता है. सीरिया समस्या के राजनीतिक समाधान में सभी को शामिल करना होगा. अमेरिका को मिसाल देनी होगी. उसे नेतृत्व देना होगा. अतीत में इस पर संदेह रहे हैं. लेकिन सीरिया जैसे विवाद अपने आप खत्म नहीं होते.