भ्रष्टाचार पर खेल संगठनों का रुख सख्त होता जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संगठन फीफा ने नेपाल के फुटबॉल संघ के प्रमुख पर रिश्वतखोरी के लिए दस साल का प्रतिबंध लगाया है, जबकि लाओस के फेडरेशन प्रमुख पर दो साल की रोक लगी.
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ऑल नेपाल फुटबॉल एसोसिएशन के प्रमुख गणेश थापा पर 10 साल का प्रतिबंध नेपाली फुटबॉल की छवि को एक और धक्का है. इससे पहले कई राष्ट्रीय खिलाड़ियों पर मैच फिक्सिंग के आरोप लग चुके हैं. थापा ने एक साल पहले गबन के आरोपों की जांच शुरू होने के बाद इस्तीफा दे दिया था. उन पर अपने 19 साल के कार्यकाल के दौरान लाखों डॉलर की राशि के गबन का आरोप था.
फीफा ने गणेश थापा पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए कहा, उन्होंने "कई सालों तक कदाचार की कई कार्रवाईयां की, जिसमें निजी और परिवार के फायदे के लिए दूसरे फुटबॉल अधिकारियों से रकम लेना भी शामिल है." फीफा की नैतिक समिति ने कहा है कि थापा को 2009 और 2011 में फीफा कार्यकारिणी के चुनाव के लिए खास तौर पर रिश्वत दी गई. गणेश थापा ने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि उन्हें इस फैसले से निराशा हुई है और वे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे. दस साल के प्रतिबंध के अलावा थापा पर 20,000 स्विस फ्रैंक का जुर्माना भी किया गया है.
नेपाल की राष्ट्रीय टीम के कप्तान सागर थापा और चार दूसरे खिलाड़ियों पर वर्ल्ड कप के क्वालिफाइंग मैचों के दौरान मैच फिक्सिंग के लिए देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है. खिलाड़ियों ने आरोपों का खंडन किया है लेकिन अभियोजन पक्ष ने उन्हें उम्रकैद की सजा देने की मांग की है.
लाओस के फुटबॉल फेडरेशन के प्रमुख विफेट सिहाचक्र को दूसरे फुटबॉल अधिकारी से रिश्वत लेने के लिए दो साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है और 40,000 स्विस फ्रैंक का जुर्माना किया गया है. फीफा के बड़े अधिकारियों के खिलाफ इस समय रिश्वतखोरी के आरोप में अमेरिका और स्विट्जरलैंड में जांच चल रही है. फीफा प्रमुख सेप ब्लाटर को आरोपों के चलते इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा है.
एमजे/आरआर (एएफपी)
सेप ब्लाटर के युग का अंत
17 सालों तक फुटबॉल संगठन फीफा का अध्यक्ष रहने के बाद सेप ब्लाटर ने आखिरकार पद छोड़ दिया. तस्वीरों में देखें कि ब्लाटर दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल के सबसे शक्तिशाली पद तक पहुंचे कैसे. ब्लाटर के करियर पर एक नजर.
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राजा ने छोड़ी गद्दी
पांचवी बार फीफा के अध्यक्ष पद पर चुने जाने के मात्र 4 दिन बाद ही सेप ब्लाटर ने पद छोड़ दिया. भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी फुटबॉल संस्था फीफा के सर्वोच्च पद से हटने वाले ब्लाटर खुद को खेल का संरक्षक मानते हैं.
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बेहद प्रगतिशील करियर
सन 1975 में फीफा में ब्लाटर के प्रवेश के पहले भी वह कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके थे. स्विस आइस हॉकी एसोसिएशन के सचिव, स्विस स्पोर्ट्स एसोसिएशन के प्रेस सचिव और एक स्विस घड़ी निर्माता कंपनी के जनसंपर्क निदेशक. एडीडास कंपनी के मालिक एडोल्फ डासलर की मदद से ब्लाटर ने फीफा में एंट्री की और 1981 में महासचिव चुने गए.
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चोटी पर विराजमान
17 सालों तक ज्वाओ आवेलांजी की अध्यक्षता में महासचिव की भूमिका में रहने के बाद अर्थशास्त्र ग्रेजुएट ब्लाटर ने खुद अध्यक्ष पद संभाला. सन 1998 के चुनाव में आवेलांजी के पद का उत्तराधिकारी बनने के लिए उन्होंने तत्कालीन यूईएफए अध्यक्ष और अग्रणी दावेदार लेनार्ट जोहान्सन को पिछाड़ा. इसके बाद अफवाहें उड़ीं कि ब्लाटर ने अपने पक्ष में मत खरीदे थे.
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भारी कीमत चुकाई
ब्लाटर पर आर्थिक प्रबंधन में गड़बड़ी के आरोप लगातार लगते रहे. अध्यक्ष पद पर चुने जाने के एक साल के बाद ही उनके सहकर्मी फीफा के महासचिव मिशेल जेन-रुफिनेन ने ब्लाटर पर मार्केटिंग खर्च में करीब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर के नुकसान का दोष जड़ा. लेकिन ब्लाटर ना केवल आंतरिक जांच और स्विस कोर्ट में लॉसूट से बच निकले बल्कि उन्होंने जेन-रुफिनेन को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया.
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और विजेता है... जर्मनी!
साल 2000 में जर्मनी को फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी दिलाने के पीछे भी ब्लाटर का अहम योगदान माना जाता है. इस बीच ब्लाटर संगठन में अपनी जगह और पक्की करने के लिए समर्थन जुटाते रहे. 2002 में उन्हें फिर से अध्यक्ष चुन लिया गया.
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मध्यपूर्व में वोटों की खरीद
इस दौरान कतर से फीफा के कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद बिन हम्माम उभरे. 2007 में ब्लाटर को लग गया कि बिन हम्माम अध्यक्ष की गद्दी के लिए उनके प्रतिद्वंद्वी हो सकते हैं. 2011 में जब बिन हम्माम ब्लाटर के खिलाफ अध्यक्ष की कुर्सी के लिए मुकाबले में खड़े हुए, तो अचानक उन पर घूसखोरी के कई आरोप जड़ दिए गए. इसके बाद ना केवल उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ली बल्कि फीफा से उन्हें हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया.
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दो अग्रणी
बेकेनबाउअर को 2014 में फीफा ने निलंबित किया. उन पर ब्लाटर से जर्मनी का विश्व कप खरीदने का आरोप लगा. एक जमाने में दोनों एक दूसरे के काफी करीबी रहे थे, लेकिन कायजर बेकेनबाउअर ने अपने निलंबन के बाद बताया कि "दोनों के बीच कुछ नहीं बचा."
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ब्लाटर और मंडेला
ब्लाटर के आसपास हमेशा दुनिया भर के शक्तिशाली लोगों का जमावड़ा रहा है. यूएन महासचिव, देशों के राष्ट्रपति यहां तक कि पोप भी. 2004 में जब ब्लाटर दक्षिण अफ्रीका गए तो वे नेल्सन मंडेला से भी मिले. तभी उन्होंने दक्षिण अफ्रीका और मंडेला दोनों से 2010 का विश्व कप पहली बार वहां करवाने का वादा किया.
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कैसे इंसान हैं
ब्लाटर ने अपनी ताकत और रुतबे का खूब आनंद लिया है. वह दुनिया भर में यात्राएं करते हैं, जिनमें से कई तो किसी राष्ट्रीय अतिथि जैसी होती हैं. खासकर अफ्रीका और एशिया में तो उन्हें खूब स्वागत सत्कार मिलता है. ब्लाटर ने यहां बहुत बड़ी धनराशि अनुदान के तौर पर भी दी है.