नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली द्वारा संसद को भंग करने के कदम को उनके विरोधियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है. याचिकाकर्ताओं ने इसे एक संवैधानिक तख्ता-पलट बताते हुए, अदालत से स्थगन आदेश की मांग की है.
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ओली ने रविवार को संसद भंग करने की और फिर से आम चुनाव करवाने की घोषणा की थी. उसके बाद उनकी सरकार के कम से कम सात मंत्रियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने ओली के कदम को उन्हें 2017 में मिले "लोकप्रिय जनमत" का उल्लंघन बताया. सड़कों पर ओली के पुतले भी जलाए गए.
सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता भद्रकाली पोखरेल ने बताया कि तीनों याचिकाओं को "दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है." दिनेश त्रिपाठी याचिकाकर्ताओं में से एक हैं. उन्होंने रॉयटर्स को बताया, "संविधान के तहत, प्रधानमंत्री के पास संसद को भंग करने का कोई विशेषाधिकार नहीं है. यह एक संवैधानिक तख्ता-पलट है. मैं कोर्ट से स्थगन-आदेश की मांग कर रहा हूं."
ओली के मंत्रिमंडल की सलाह पर रविवार को राष्ट्रपति ने घोषणा की कि 30 अप्रैल और 10 मई 2021 को अगले आम चुनाव होंगे. तय समयसीमा के हिसाब से चुनाव 2022 में होने थे. प्रधानमंत्री अपनी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में भी समर्थन खो चुके हैं. पार्टी के कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया है कि ओली का अब पार्टी में भी कोई समर्थक नहीं रह गया है.
कुछ पार्टी सदस्य ओली पर सरकारी फैसलों में पार्टी को दरकिनार करने और अहम नियुक्तियों से पार्टी सदस्यों को दूर रखने का भी आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने उनसे इस्तीफा देने की मांग की है, लेकिन ओली के समर्थकों का कहना है कि एक लोकतंत्र में नए सिरे से चुनाव कराने से ही इस तरह के संकट से बाहर निकला जा सकता है.
यह राजनीतिक संकट ऐसे समय में आया है जब नेपाल कोरोना वायरस से जूझ रहा है. नेपाल में संक्रमण के कुल 2,53,772 मामले सामने आए हैं, 1,788 लोगों की जान भी जा चुकी है और पर्यटन और विदेश में बसे नेपाली मूल के लोगों द्वारा भेजी गई रकम पर टिकी देश की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हुआ है.
त्रिपाठी ने बताया कि संविधान के तहत, प्रधानमंत्री को एक वैकल्पिक सरकार बनाने की अनुमति देनी चाहिए. नेपाल 30 सालों में 26 प्रधानमंत्री देख चुका है. कानून के जानकारों का कहना है कि अगर अदालत याचिकाओं को दर्ज कर लेती है तो फैसला आने में लगभग दो सप्ताह लग सकते हैं. नेपाल पर अपना अपना प्रभाव बनाने की कोशिश में लगातार रहने वाले पड़ोसी देश भारत और चीन ने सार्वजनिक रूप से इस घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
पड़ोसी देश मतलब वो देश जिनसे किसी देश की सीमा लगती है. भारत की सीमा सात देशों से लगती है. ये पड़ोसी देश बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान हैं. देखिए सबसे ज्यादा पड़ोसी किन देशों के हैं.
जाम्बिया
अफ्रीकी देश जाम्बिया 11वां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. जाम्बिया की सीमा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, अंगोला, मलावी, मोजांबिक, तंजानिया, नामीबिया, जिम्बाब्वे और बोतस्वाना से मिलती है.
तस्वीर: DW/C.Mwakideu
तुर्की
तुर्की 10वां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. तुर्की की सीमा अर्मेनिया, जॉर्जिया, ईरान, इराक, सीरिया, अजरबैजान, बुल्गारिया और ग्रीस से लगती है. तुर्की के आठ पड़ोसी देश हैं जिनके साथ 2,648 किलोमीटर की सीमा लगती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Altan
तंजानिया
अफ्रीकी देश तंजानिया नवां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. तंजानिया की सीमा केन्या, बुरुंडी, युगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, जांबिया, मलावी, मोजांबिक और रवांडा से लगती है. आठ पड़ोसी देशों से तंजानिया की 3,861 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है.
तस्वीर: DW/N. Quarmyne
सर्बिया
सर्बिया की सीमा रोमानिया, हंगरी, क्रोएशिया, बोस्निया और हरजेगोवनिया, मेसेडोनिया, बुल्गारिया, कोसोवो, और मॉन्टेनेग्रो से लगती है. नौ पड़ोसी देशों वाले सर्बिया की सीमा 2,027 किलोमीटर लंबी है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये आठवें नंबर पर है.
तस्वीर: Reuters/M. Djurica
फ्रांस
फ्रांस के पड़ोसी देशों में बेल्जियम, जर्मनी, स्विटजरलैंड, इटली, स्पेन, अंडोरा, लक्जमबर्ग, मोनाको और ब्रिटेन में शामिल हैं. इन आठ पड़ोसी देशों के साथ फ्रांस की 623 किलोमीटर लंबी सीमा है. ब्रिटेन के साथ फ्रांस की जल सीमा है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये सातवें नंबर पर है.
तस्वीर: Reuters/B. Tessier
ऑस्ट्रिया
ऑस्ट्रिया के भी आठ पड़ोसी देश हैं. इनमें हंगरी, स्लोवाकिया, चेक रिपब्लिक, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली, लिश्टेनश्टाइन और स्लोवेनिया शामिल हैं. ऑस्ट्रिया की सीमा 2,562 किलोमीटर की है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये छठे नंबर पर है.
तस्वीर: Imago Images/Xinhua/Guo Chen
जर्मनी
जर्मनी के सभी नौ पड़ोसी देशों के नाम नीदरलैंड्स, बेल्जियम, फ्रांस, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, पोलैंड, डेनमार्क और लक्जमबर्ग हैं. जर्मनी की सबसे सीमा चेक रिपब्लिक के साथ लगी है, जो 815 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/Y. Tang
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो
सबसे ज्यादा पड़ोसी देशों के मामले में चौथे स्थान पर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो है. इसके पड़ोसी बुरुंडी, रवांडा, युगांडा, दक्षिण सूडान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कॉन्गो रिपब्लिक, अंगोला, जाम्बिया और तंजानिया हैं. इसकी सीमा की लंबाई 2410 किलोमीटर है.
तस्वीर: AFP
ब्राजील
सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ब्राजील तीसरे स्थान पर है. ब्राजील के 10 पड़ोसी देश हैं जिनमें सूरीनाम, गुएना, फ्रेंच गुएना, वेनेजुएला, कोलंबिया, पेरू, बोलिविया, उरुग्वे, पैराग्वे और अर्जेंटीना शामिल हैं. ब्राजील की सीमा 14,691 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: AFP/D. Ramalho
रूस
रूस के कुल 14 पड़ोसी हैं. इनमें 12 रूस की मुख्यभूमि और दो पड़ोसी मुख्यभूमि के दूर के एक इलाके के हैं. मुख्यभूमि के पड़ोसी फिनलैंड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अजरबैजान, कजाखस्तान, चीन, मंगोलिया, उत्तरी कोरिया और नॉर्वे हैं. वहीं दो और पड़ोसियों लिथुआनिया और पोलैंड के बीच रूस का कलिनिन्ग्राद का इलाका है. रूस की सीमा 20,241 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: Reuters/S. Zhumatov
चीन
सबसे ज्यादा पड़ोसी देश चीन के हैं. चीन की सीमा 14 देशों से लगती है. इनमें भारत, मंगोलिया, कजाखस्तान, उत्तरी कोरिया, रूस, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, लाओस और वियतनाम शामिल हैं. इसके अलावा चीन के दो स्वायत्त इलाके हांगकांग और मकाउ भी उसके पड़ोसी हैं. चीन की थल सीमा की कुल लंबाई 22,117 किलोमीटर है.