नेपाल: लोगों की आंखों में डर
१३ मई २०१५डीडब्ल्यू: भूकंप के समय आप कहां थीं?
मारी थेरेस बेनर: हम काठमांडू में अपनी कार में बैठे ही थे और शहर के उत्तर में सिंधुपालचौक जाना चाह रहे थे. यह वह इलाका है जो 25 अप्रैल को पहले भूकंप के दौरान बुरी तरह नष्ट हो गया था. अचानक सड़क पर लोग भागने लगे, हम हजारों लोगों से घिर गए और हमें रुकना पड़ा. भूकंप का झटका करीब 15 सेकंड तक महसूस किया गया. चारों तरफ घबराहट, चारों तरफ अफरा तफरी. मैंने खुद अब तक ऐसा भयानक भूकंप महसूस नहीं किया था. गाड़ी में हम पांच लोग थे, सब लोग हमारे आसपास के घरों से गिरती ईंटों की वजह से डर गए.
आप गाड़ी में बैठी रहीं या उतर गईं?
हम कार में बैठे रहे क्योंकि हम वहां सुरक्षित महसूस कर रहे थे. हम एक चौराहे के बीचोबीच थे.
इस तरह का भूकंप कैसा होता है?
धरती थर्राने लगी थी और ऐसा महसूस हो रहा था जैसे लहरें हों. ऐसा लग रहा था कि आप नाव पर बैठे हैं और लहरों के बीच से गुजर रहे हैं.
क्या उसके बाद आप अपनी यात्रा जारी रख सकीं या आपने कुछ देर तक इंतजार किया?
हमें कुछ इंतजार करना पड़ा, जब तक अफरा तफरी रुक नहीं गई. सभी लोग बहुत देर तक सड़कों पर ही रहे. हर जगह लोग आगे जाने की कोशिश कर रहे थे. शहर से बाहर निकलने और हवाई अड्डे को पीछे छोड़ने में काफी समय लगा, डेढ घंटे से ज्यादा.
क्या आपने अपनी यात्रा के दौरान नए नुकसान देखे?
हां. हमने रेडियो में सुना कि पिछले भूकंप में जिन घरों को नुकसान पहुंचा था या जिनमें दरारें पड़ गई थीं, उनमें से ज्यादातर गिर गए हैं. उत्तर की ओर जाते हुए हमने सड़क पर एक नया घर देखा जो नया होने के बावजूद गिर गया था और एक दूसरे नए घर को भी अपनी चपेट में ले लिया था. और ये नुकसान नए भूकंप से हुआ था.
फिलहाल आप कहां हैं?
अभी हम दोलखा में हैं. यह सिंधुपालचौक के पास ही है. कल हम राहतकार्य के लिए आगे जाना चाहते हैं लेकिन हमें नए सिरे से योजना बनानी पड़ रही है क्योंकि इस वक्त पहाड़ों में जाना खतरे से खाली नहीं है. एक तो कल आए भूकंप के बाद जगह जगह भूस्खलन का खतरा बना हुआ है और पिछली दो रातों से लगातार तूफान भी आ रहा है.
ताजा भूकंप के बाद लोगों की हालत कैसी है?
इस वक्त सबसे बड़ी समस्या यह है कि 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद से लोगों को सिर पर छत और खाने के सामान की जरूरत है. हम राहतकार्य के जरिए उन तक ये पहुंचाने की कोशिश कर भी रहे हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि हम उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रख सकें. लोग बहुत ही ज्यादा तनाव में हैं और इस बार जब दोबारा झटका आया, तो मैंने सड़कों पर लोगों की आंखों में डर देखा. हम भी डर गए थे लेकिन ये लोग, जो पहले भी एक बार भूकंप को झेल चुके हैं, उनके लिए तो बहुत ही बुरा था. आप लोगों के चेहरों पर उनकी घबराहट साफ साफ देख सकते हैं.
आप किस तरह से लोगों की मदद कर रही हैं?
हमने खाने पीने का सामान मुहैया कराया है. हमारा लक्ष्य है 4,600 परिवारों यानि करीब 20,000 लोगों तक मदद पहुंचाना. ताजा झटके के बाद हमें दोबारा हर चीज का हिसाब लगाना पड़ रहा है. अब हमें देखना होगा कि हम किस तरह से अपनी टीम को खतरे में ना डालते हुए भी पीड़ितों तक पहुंचें.