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नेपाल शान्ति बनाए रखे: अमेरिका

१४ जनवरी २०११

अमेरिका ने नेपाल के नेताओं से आग्रह किया है कि वे देश में शांति स्थापित करने के लिए अपने वादों का सम्मान करें. जल्द ही नेपाल से संयुक्त राष्ट्र मिशन की वापसी होने वाली है. इसी सन्दर्भ में अमेरिका ने यह आवेदन किया है.

तस्वीर: AP

अमेरिका के विदेश मंत्रालय के अनुसार दक्षिण एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने टेलीफोन पर नेपाल के पिछले प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और माओवादियों के नेता पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' से बात की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता फिलिप क्राउली ने संवाददाताओं को बताया कि रॉबर्ट ब्लेक ने सभी दलों से आग्रह किया है कि वे व्यापक शांति समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान जारी रखें. उन्होंने कहा है कि नेपाल के लोग अपने राजनेताओं से यह उम्मीद करते हैं कि वे शांति प्रक्रिया को सही निष्कर्ष तक ले जा सकेंगे. उन्होंने सभी दलों से आग्रह किया कि वे लचीलापन दिखाएं और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक साथ मिल कर काम करें.

तस्वीर: picture-alliance / dpa

माधव कुमार नेपाल ने जून में अपना पद छोड़ दिया था. उनके इस्तीफे के बाद से नेपाल में कोई सरकार नहीं बन पाई है, क्योंकि इस बीच सरकार बनाने के लिए किसी भी सत्ता पक्ष को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पा रहा है. माओवादियों ने अपने 10 साल लंबे संघर्ष के बाद दुनिया की एकमात्र हिंदू राजशाही को उखाड़ फेंका था और 2008 में चुनाव भी जीता था. वे अब भी लगातार यह कह रहे हैं कि वे सरकार का नेतृत्व करना चाहते हैं, लेकिन बहुमत की कमी से यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है.

नेपाल में संयुक्त राष्ट्र मिशन का गठन 2007 में किया गया था. 10 साल लंबे गृह युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र मिशन देश में शान्ति स्थापित करने के लिए एक साल के लिए स्थापित किया गया था. इस के बाद इसे बार बार बढ़ाया गया था, लेकिन पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने यह घोषणा की कि 15 जनवरी को इसे हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा. माओवादियों ने इसे लेकर ख़ासा नाराजगी भी दिखाई.

माधव कुमार नेपालतस्वीर: AP

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और सड़कों पर हिंसा की ओर इशारा करते हुए अमेरिकी नागरिकों को सावधान किया है और नेपाल की यात्रा के खतरों के बारे में चेतावनी दी है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: वी कुमार

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