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नेपाल से भारी देशान्तरण के आसार

आरआर/एमजे९ मई २०१५

हिमालय की गोद में बसे देश नेपाल से युवा लोग पहले भी मजदूरी के लिए खाड़ी के देशों, भारत और मलेशिया जैसे देशों में जाते रहे हैं. मानुएल ओरोज्को बताते हैं कि भूकंप की आपदा झेलने के बाद इसके और बढ़ने के आसार हैं.

Nepal Arbeitsmigranten in Kathmandu
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Fiedler

25 अप्रैल को नेपाल में आए भीषण भूकंप के कई दूरगामी कुप्रभाव भी दिख रहे हैं. इसका एक असर यह भी होगा कि आपदाग्रस्त देश से ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग काम की तलाश में बाहर के देशों का रूख करेंगे. उनके अपने देश में हुई तबाही के कारण रोजगार और कमाई के साधनों की भारी कमी झेलनी पड़ रही है. नेपाल में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के नेपाल लिविंग स्टैंडर्ड हाउसहोल्ड सर्वे 2010-11 के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही विदेशों के भेजे जाने वाले पैसों पर काफी ज्यादा निर्भर थी.

नेपाल की करीब 60 फीसदी आबादी यानि लगभग 25 लाख घरों को विदेशों से उनके परिवार के सदस्यों द्वारा भेजे गए पैसे मिलते हैं. यह राशि इन घरों की कुल कमाई का करीब 40 फीसदी तक होती है. कुछ अर्थशास्त्री बताते हैं कि साल में कई समय ऐसे होते हैं जब देश की करीब एक चौथाई जनता देश के बाहर काम करने के लिए गई होती है.

हाल के 7.8 तीव्रता वाले भूकंप में करीब 8,000 लोगों की जान चली गई. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक करीब 80 लाख लोग यानि देश की एक तिहाई जनता इससे प्रभावित हुई है. डीडब्ल्यू से बातचीत में माइग्रेशन विशेषज्ञ मानुएल ओरोज्को बता रहे हैं कि इस प्राकृतिक आपदा के कारण नेपाल से लोगों का प्रवासन और अधिक बढ़ेगा.

पुनर्निर्माण के लिए है तुरंत मदद की जरूरततस्वीर: M. Baumann

डीडब्ल्यू: नेपाल में आंतरिक प्रवासन पर भूकंप का तुरंत कैसा असर दिख रहा है?

मानुएल ओरोज्को: नेपाल में पारंपरिक रूप से गांवों से शहरी इलाकों की ओर प्रवासन होता रहा है. कई बार लोग कृषि योग्य नई भूमि की तलाश में दूसरी जगह जाते हैं. भूकंप के बाद पुनर्निर्माण और पुनर्वास के पहलू पर मिले जुले नतीजे दिखाई देंगे. कई लोग अपने आसपास के इलाकों में आंतरिक प्रवासी बन कर रहेंगे तो कई दूसरे लोग देश के बाहर भारत जैसे राष्ट्रों में जाने की कोशिश करेंगे.

भूकंप के कारण होने वाले इस माइग्रेशन के कैसे दूरगामी असर होने की उम्मीद है?

इस भूकंप से कहीं ज्यादा प्रवासन हो सकता है. जिन मामलों में प्रवासी पहले से ही बाहर रह रहे हैं वे शायद वापस आने के बजाए अपना आप्रवासन और लंबा कर सकते हैं. नेपाल में हुई तबाही के स्तर को देखते हुए लगता है कि अभी नए कामगारों को शामिल करने में अर्थव्यवस्था को काफी संघर्ष करना पड़ेगा.

सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय स्थिति को सुधारने के लिए क्या कर सकते हैं?

नेपाल के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता पुनर्निर्माण की है. इसके लिए भूकंप के पहले की स्थिति के बजाए अब कहीं ज्यादा निवेश की जरूरत है. खासतौर पर, स्थानीय कृषि अर्थव्यवस्था बहुत अधिक प्रभावित हुई है क्योंकि लाखों लोग अपनी जमीन पर काम करने नहीं लौट पा रहे. इसके अलावा, मूलभूत ढांचा खड़ा करने और रोजगार पैदा होने के आसार इतनी जल्दी नहीं बन पाएंगे, जब तक इसके लिए जरूरी कदम नहीं उठाए जाते.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसमें दो तरह से मदद कर सकता है: पहला, ढांचा खड़ा करने में जिससे अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण हो सके, और दूसरा, विकास की ऐसी रणनीति बनाना जो मानव संसाधन पर आधारित हो. श्रमिकों को प्रवासन के कॉन्ट्रैक्ट दिए जाएं और युवाओं की शिक्षा और कौशल विकास में निवेश किया जाए, तो धीरे धीरे देश कृषि आधारित देश से ज्ञान या कौशल आधारित अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ सकेगा.

मानुएल ओरोज्को, वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक इंटर-अमेरिकन डायलॉग में माइग्रेशन, रेमिटेंसेज एंड डेवेलपमेंट के वरिष्ठ फेलो हैं.

इंटरव्यू: गाब्रिएल डोमिनिकेज

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