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क्या यह शव नेपोलियन के प्रिय जनरल का है?

३० अगस्त २०१९

रिसर्चरों को रूस में एक पैर वाला कंकाल मिला है जो एक फ्रांसीसी जनरल का होने की बात कही जा रही है. फ्रांस की एक लैबोरेट्री को डीएनए टेस्ट के जरिए सच्चाई का पता लगाने को कहा गया है.

Illustration Napoleon in Tilsit
तस्वीर: picture-alliance/HIP

मॉस्को के पश्चिम में बेलारूस की सीमा के पास स्मोलेन्स्क के नजदीक नेपोलियन की ओर से लड़ते हुए जनरल चार्ल्स एचेन गुदिन तोप के गोले की चपेट में आ गए. यह तारीख थी 19 अगस्त 1812. उनका एक पैर कट गया और इसके तीन दिन बाद ही गैंगरीन की वजह से उनकी मौत हो गई. तब उनकी उम्र थी 44 साल. फ्रांस की सेना को उनके शरीर के कुछ टुकड़े मिले, जिसे पेरिस के पेर लेशेज कब्रिस्तान में दफना दिया गया लेकिन उनके शरीर के बाकी हिस्से का कुछ पता नही चल सका.

इसी साल गर्मियों में रिसर्चरों को एक कंकाल मिला है जिसके बारे में उन्होंने कहा कि अब 200 साल पुराने इस रहस्य पर से पर्दा हट सकेगा. हालांकि अब रिसर्चरों को कहना है कि वे डीएनए परीक्षण के जरिए सच्चाई का पता लगाएंगे और अंतिम नतीजा फ्रांस की एक लैबोरेट्री के टेस्ट से निकलेगा.

1812 के उस ऐतिहासिक युद्ध का दृश्य पैदा करने के लिए हजारों उत्साही लोग जमा हुए थे.तस्वीर: DW/Karen Percy

प्रोजेक्ट लीडर पियर मालिनोव्स्की ने पत्रकारों से कहा है, "इसके लिए 100 फीसदी पुष्टि जरूरी है और यह फ्रांस में ही होना चाहिए, रूस में नहीं." मालिनोव्स्की का कहना है कि मारसेय फोरेंसिक इंस्टीट्यूट को यह शव भेजा जा रहा है जहां डीएनए टेस्ट होगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शरीर के जख्म, आकार और आयु से शव को पहचाना जा सकता है लेकिन फिर भी 100 फीसदी पुष्टि जरूरी है.

गुडिन को नेपोलियन का पसंदीदा जनरल माना जाता है. इन दोनों ने सैन्य अकादमी में साथ साथ पढ़ाई की थी. गुदिन का नाम पेरिस के आर्क दे त्रियोंफ स्मारक पर भी खुदा हुआ है. मई महीने से उनके शव की खुदाई चल रही है. जनरल के एक वारिस अलबेरिक दॉर्लियों का कहना है, "मैं पक्के तौर पर मान रहा हूं कि यह वही हैं. हमें उम्मीद है कि उन्हें फ्रांस में पूरे सम्मान के साथ वापस लाया जाएगा,"और उन्हें पेरिस के आंवेलिदे परिसर में नेपोलियन के साथ दफनाया जाएगा.

स्मोलेन्स्क के नजदीक गुदिन की मौत तब हुई जब नेपोलियन ने मॉस्को की तरफ बढ़ना शुरू किया था. नेपोलियन ने रूसी सेना को वाल्युटीनों के पास हराने की उम्मीद की थी ताकि एक फायदेमंद करार पर दस्तखत हो सकें लेकिन रूसी सेना बचने में कामयाब रही और रूसी जार आलेक्सांद्र ने शांति पर बात करने से मना कर दिया. 

नेपोलियन का रूसी मार्च एक बुरे मोड़ पर खत्म हुआ क्योकि रूसियों ने मास्को में नेपोलियन के संसाधनों को जलाने की विनाशकारी नीति अपना ली. रूसी अभियान के बाद नेपोलियन की सेना का महज 10 फीसदी हिस्सा ही बच सका.

एनआर/एके(एएफपी)

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