अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में एक सड़क का नाम पूर्व रूसी नेता बोरिस नेमत्सोव के सम्मान में रखा जाएगा. यह सड़क रूसी दूतावास के ठीक सामने है.
विज्ञापन
सड़क का नाम बदलने वाले विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया. सड़क का उदघाटन समारोह 27 फरवरी को किया जाएगा. तीन साल पहले इसी दिन रूस में नेमत्सोव की हत्या कर दी गयी थी. रूस के उप प्रधानमंत्री रहे नेमत्सोव की हत्या के पीछे सरकार का ही हाथ माना जाता है. 55 वर्षीय नेमत्सोव रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी थे.
इस विधेयक को नगरपालिका में पेश करने वाली पार्षद मेरी एम चेह ने इस बारे में कहा, "इसमें कोई शक नहीं है कि यह हत्या राजनीति से प्रेरित थी. उनकी लोकप्रियता और रूसी सरकार की नियमित आलोचना की वजह से यह की गयी." एक अन्य पार्षद फिल मेंडलसन ने कहा कि सड़क का नाम रखा जाना "लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन" करता है और इससे रूस को सीधे एक संदेश जाएगा. चेह ने कहा कि इससे उन लोगों को भी समर्थन मिलेगा जो "साहस दिखाते हैं, लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी आजादी और जिंदगी को जोखिम में डालते हैं."
90 के दशक में नेमत्सोव रूस में एक बड़ा नाम थे. रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के बाद नेमत्सोव को देश के अगले राष्ट्रपति का उम्मीदवार माना जाता था. लेकिन साल 2000 में व्लादिमीर पुतिन ने सत्ता संभाली और उस दौरान नेमत्सोव उनके कड़े विरोधी के रूप में नजर आए. हत्या से कुछ ही घंटों पहले नेमत्सोव ने रूस द्वारा यूक्रेन पर हुए हमले की निंदा की थी. रेडियो पर दिए अपने संदेश में उन्होंने नागरिकों से देश में चल रहे आर्थिक संकट और यूक्रेन के साथ छिड़े युद्ध के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी.
27 फरवरी 2015 को वे एक पुल से गुजर रहे थे जब कार में सवार हमलावर ने उन पर चार गोलियां चलाईं और उनकी वहीं मौत हो गयी. इसे रूस की सबसे हाई प्रोफाइल राजनीतिक हत्या माना जाता है. नेमत्सोव के करीबी व्लादिमीर कारा मुर्जा ने बताया, "सरकारी मीडिया ने उन्हें गद्दार का नाम दिया. उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के लिए भी हिरासत में लिया गया और जेल में डाल दिया गया. उन्हें चुप कराने का एक ही तरीका बचा था और वही किया गया." कारा मुर्जा का कहना है कि उन्हें भी दो बार जहर दे कर मारने की कोशिश की जा चुकी है. उन्होंने कहा, "हम रूस में रूस के ही राजनेता का सम्मान नहीं कर सकते. रूसी अधिकारी बोरिस नेमस्तोव की मौत के बाद भी उनसे लड़ रहे हैं."
नेमस्तोव की बेटी याना नेमत्सोवा, जो कि डॉयचे वेले के साथ ही काम करती हैं, ने बताया, "चाहे बर्फ पड़ रही हो या बरसात, पिछले एक हजार दिन से लोग बोलशोई मोस्कवोरेत्स्की ब्रिज पर, जहां मेरे पिता की हत्या की गयी थी, वहां उनकी याद में फूल, कैंडल और उनकी तस्वीर ले कर आते हैं." उनका कहना है कि सरकार कम से कम 70 बार उनकी पिता की याद में लोगों द्वारा बनाए स्मारक को अपनी जगह से हटा चुकी है, "रूस में मौजूदा सरकार मेरे पिता की सब यादों को मिटा देना चाहती है क्योंकि वह मानती है, और यह सही भी है कि निशानियां अहम होती हैं." याना ने कहा कि रूस में उनके पिता को सम्मान मिलना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन कम से कम अमेरिका में ऐसा किया जा रहा है.
मेलनी क्यूरा डबाल/आईबी
रूस का राष्ट्रपति चुनाव क्यों अहम है?
रूस में 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में व्लादिमीर पुतिन की जीत में किसी को संदेह नहीं है. लेकिन यह चुनाव कई मायनों में दिलचस्प है. चलिए डालते हैं इन्हीं पहलुओं पर एक नजर.
तस्वीर: AP
ताकतवर पुतिन
व्लादिमीर पुतिन पिछले 17 साल से रूस पर राज कर रहे हैं, भले वह देश के राष्ट्रपति रहे हों या फिर प्रधानमंत्री. आगे भी वही देश के मुखिया रहेंगे. इसीलिए आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उनके नेतृत्व पर बस मुहर लगनी है.
तस्वीर: picture alliance/TASS/dpa/V. Prokofyev
कितने लोग मैदान में
23 लोगों ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव आयोग के सामने अपनी उम्मीदवारी पेश की है. इनमें महिला और पुरुष, दोनों शामिल हैं. लेकिन पुतिन के कटु आलोचक और विपक्षी नेता एलेक्सेई नावालनी को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है.
सर्वेक्षणों में 75 से 83 प्रतिशत रेटिंग के साथ पुतिन रूस के सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं. हालांकि यह भी सच है कि साल 2000 में जब से पुतिन सत्ता में आए हैं, तब से स्वतंत्र और क्रेमलिन आलोचक मीडिया के लिए जगह सिमटती गई है और विपक्ष भी दबाव में है.
तस्वीर: Reuters
चौथी बार राष्ट्रपति
चुनावों के बाद राष्ट्रपति के रूप में यह पुतिन का चौथा कार्यकाल होगा. इससे पहले वे साल 2000 से 2008 तक दो बार राष्ट्रपति रहे. संवैधानिक बाध्यताओं के कारण 2008 में वे प्रधानमंत्री बने. लेकिन 2012 में उन्होंने वापस राष्ट्रपति पद संभाला.
पुतिन स्टालिन के बाद रूस में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता हैं. अब सवाल यह भी उठता है कि और कितने साल तक वे राज करते रहेंगे. रूसी संविधान के मुताबिक लगातार दो कार्यकाल से ज्यादा कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर नहीं रह सकता.
फिर उसके बाद?
अगले कार्यकाल के बाद भी अगर पुतिन सत्ता में रहना चाहते हैं, तो वे किसी अन्य को राष्ट्रपति पद सौंप कर फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं. ऐसा वह पहले भी कर चुके हैं जब 2008 से 2012 के बीच दिमित्री मेद्वदेव ने राष्ट्रपति पद संभाला. या फिर संविधान में संशोधन कर पुतिन खुद पद पर बने रह सकते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Nikolsky
पुतिन के विरोधी
इस समय रूस में पुतिन के विरोधियों में सबसे ऊपर एलेक्सेई नावालनी का नाम आता है. उन्होंने मौजूदा प्रधानमंत्री मेद्वदेव की अपार संपत्ति का खुलासा किया था. बहुत से रूसी युवाओं में नावालनी बेहद लोकप्रिय हैं. उनकी अपील पर पुतिन विरोधी प्रदर्शन भी हुए.
तस्वीर: picture-alliance/Tass/Sergei Fadeichev
उम्मीदवारी पर बैन
नावालनी 2018 का राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने अपनी मुहिम का आगाज भी बहुत पहले कर दिया था. लेकिन सब बेकार रहा. एक पुराने मामले में नावालनी को दोषी दिए जाने को आधार बनाकर चुनाव आयोग ने उनकी उम्मीदवारी पर बैन लगा दिया.
तस्वीर: Reuters/M. Shemetov
नए चेहरे
कम्युनिस्ट पार्टी और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों के अलावा इस चुनाव में कुछ नए चेहरे भी मैदान में उतरे हैं. इनमें टीवी एंकर और बिजनेसवूमन क्सेनिया सोबचाक के अलावा पॉर्न एक्ट्रेस रहीं एलेना बर्कोवा और जानी मानी पत्रकार कात्या गॉर्डन भी उम्मीदवारों की फहरिस्त में शामिल हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/TASS/V. Matytsin
बहिष्कार
नावालनी ने चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की है. 28 जनवरी को रूस के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन भी होने जा रहे हैं. नावालनी चाहते हैं कि लोग वोट ही डालने न जाएं, जिससे चुनाव प्रक्रिया ही सवालों में घिर जाए. लेकिन पुतिन ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं!