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नैनो से भी सस्ती कार बाज़ार में!

११ नवम्बर २००९

टाटा की लखटकिया नैनो दुनिया की सबसे सस्ती कार है लेकिन अब रेनो और निसान कार कंपनी का एलायंस इससे भी सस्ती कार पेश करने का दावा कर रहा है. नैनो से भी सस्ती कार को भारतीय बाज़ार में 2012 में उतारने की योजना है.

रेनो-निसान करेंगे नैनो का मुक़ाबलातस्वीर: AP

नई कार के ज़रिए रेनो और निसान कंपनी भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं और कुलांचे भरते ऑटो क्षेत्र में किस्मत आज़माना चाह रही हैं. भारत में छोटी कारों का बाज़ार तेज़ी से फैल रहा है और कंपनियां बहती गंगा में हाथ धोना चाहती हैं.

रेनो-निसान की भारतीय बाज़ार पर नज़रतस्वीर: Renault

रेनो के प्रमुख कार्लोस गोस्न ने अभी नई कार की क़ीमत नहीं बताई है लेकिन ये कह कर कार का बाज़ार गर्म कर दिया है कि फ़िलहाल जितनी कारें भारतीय बाज़ार में है, नई कार की क़ीमत उससे कम होगी. इस कार को बजाज ऑटो कंपनी बनाएगी जबकि रेनो-निसान इसकी मार्केटिंग का काम संभालेंगी. कार के नाम का चयन रेनो-निसान एलायंस करेगा और उस पर बजाज का नाम नहीं होगा.

रेनो-निसान एलायंस की नई कार भारत की प्रमुख कंपनी बजाज ऑटो के साथ साझेदारी के तहत बनाई जाएगी. भारत में वर्ल्ड इकॉनॉमिक फ़ॉरम में कार्लोस गोस्न ने बताया कि बेहद कम क़ीमत में नई कार 2012 में बाज़ार में उतारी जाएगी. टाटा कंपनी की नैनो इस साल के शुरू में सड़कों पर दौड़नी शुरू हुई है और उसे दुनिया की सबसे सस्ती कार होने का गौरव प्राप्त है.

रेनो-निसान कंपनी की सस्ती कार का उत्पादन शुरू करने की योजना 2008 से थी लेकिन उद्योगपति राहुल बजाज की बजाज ऑटो कंपनी के साथ मतभेद होने के चलते इसे टाल दिया गया.

तस्वीर: AP

हालांकि अब कंपनी का कहना है कि बजाज के साथ मतभेदों को सुलझा लिया गया है. रेनो-निसान चेन्नई शहर में एक कार प्लांट बना रही है. फ़िलहाल भारतीय कार बाज़ार में 20 लाख कारों की हर साल बिक्री होती है लेकिन अगले दस साल में ये संख्या बढ़ कर 60 लाख हो जाएगी.

वैसे रेनो और निसान को अन्य कई ऑटोमोबाइल कंपनियों से भी कड़ी टक्कर मिलने वाली है. जनरल मोटर्स कंपनी भी 2010 में एक छोटी कार पेश करने वाली है जबकि टोयोटा 2011 में भारतीय बाज़ार में अपनी नई छोटी कार का मॉडल उतारेगी. फ़ोर्ड भी भारत पर नज़रें टिकाए है और अगले साल से उत्पादन शुरू करने की योजना बना रहा है.

दुनिया में कार मार्केट में रेनो-निसान का हिस्सा 10 फ़ीसदी है लेकिन भारतीय बाज़ार में ये हिस्सा घट कर महज़ एक फ़ीसदी रह जाता है. इसलिए भारतीय उपभोक्ताओं की मांग के अनुरूप प्रोडक्ट लाने के लिए कंपनी अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है. कंपनी के मुताबिक़ नई कार की क़ीमत ऐसी होनी चाहिए जिसके ज़रिए उन्हें फ़ायदा हो और वे बाज़ार में पैठ बना सके.

टाटा मोटर्स के प्रमुख रतन टाटा ने लाख रुपये की नैनो कार को जनता के सामने पेश किया था और कहा था कि अब वक्त आ गया है जब भारत का मिडिल क्लास मोटरसाइकिल छोड़ कार की सवारी करे. सस्ती कार के बाज़ार में भी प्रतिस्पर्धा के दौर की शुरूआत हो गई है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: महेश झा

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