1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नोटबंदी से क्या हासिल हुआ?

८ नवम्बर २०१९

काले धन पर कार्रवाई का दावा करते हुए सरकार ने नोटंबदी का ऐलान किया था लेकिन काला धन कहां गया?

Indien Einführung neuer Währung - neue Rupie
तस्वीर: Reuters/J. Dey

काले धन पर लगाम लगाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान करते हुए 500 और 1000 के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था. पिछले तीन साल से विपक्ष नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार को घेरता आ रहा है.

ट्विटर पर अधिकतर लोगों ने नोटबंदी से जुड़ी कड़वी यादें साझा की. कई लोगों ने नोटबंदी के दौरान एटीएम की लाइन और बैंकों के बाहर खड़े ग्राहकों को लेकर बने मीम्स शेयर किए. वहीं विपक्षी दलों ने नोटबंदी को आपदा करार दिया. हालांकि जब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किय था, तो इसके तीन मुख्य लक्ष्य बताए थे - कालेधन पर हमला करना, भारत में डिजीटल पेमेंट सिस्टम या डिजीटल अर्थव्यवस्था को विकसित करना और आतंकी फंडिंग पर चोट करना. नोटबंदी से जुड़ी आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि 500 रुपये और 1000 रुपये के 99.3 फीसदी नोट वापस लौट आए. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बैंकों के पास लगभग 15.31 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि बैंक खातों के जरिए वापस आ गई. यानी सिर्फ 10,700 करोड़ रुपये के करीब नोट ही ऐसे थे जो बैंकिंग सिस्टम में नहीं लौट पाए.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी के तीन साल होने पर ट्वीट कर एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा है. राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘‘तीन साल पहले हुए नोटबंदी के आतंकी हमले ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया. इसने कई लोगों की जान ली, लाखों छोटे व्यापारियों को खत्म कर दिया और लाखों भारतीय बेरोजगार हुए. जिन लोगों ने ऐसा किया उनको कठघरे में लाना बाकी है.''

केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मुखर आवाज उठाने वाली ममता बनर्जी ने भी नोटबंदी के तीन साल होने पर तीखा प्रहार करते हुए लिखा, ‘‘मैंने नोटबंदी के ऐलान के तुरंत बाद ही कहा था कि यह अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों के लिए विनाशकारी होगा, नामी अर्थशास्त्रियों, आम लोग और सभी विशेषज्ञ भी अब इस बात से सहमत हैं. आरबीआई के आंकड़ों ने भी यही बताया है, नोटबंदी के बाद से आर्थिक आपदा शुरू हो गई थी. किसान, युवा, कर्मचारी और व्यापारी सभी इससे प्रभावित हुए."

अर्थव्यवस्था से जुड़े जानकारों का कहना है कि नोटबंदी के कारण छोटे और असंगठित क्षेत्र अब भी उभर नहीं पाए हैं. दिहाड़ी पर काम करने वाले अब भी उस मार से बाहर नहीं आ पाए हैं. हालांकि सरकार के मंत्री अब भी इस फैसले पर कसीदे पढ़ रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के तीसरे साल पर अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत को लेकर अपनी रेटिंग बदल दी है. मूडीज ने सुस्त आर्थिक वृद्धि का हवाला देते भारत की रेटिंग को स्थिर से नकारात्मक कर दिया है.

__________________________

हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इन देशों ने की है नोटबंदी 

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें