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नौकरशाही में भारत सबसे ऊपर: सर्वे

३ जून २०१०

भारत में लालफीताशाही के चक्कर में पड़ना एक कष्टकारी अनुभव समझा जाता है और अब एक सर्वे के नतीजों ने इस धारणा पर मानो मुहर लगा दी है. नौकरशाही और लालफीताशाही के मामले में भारत को एशिया में सबसे नकारा देश बताया गया है.

फाइलों के अंबारतस्वीर: AP

हांगकांग में पॉलिटिकल एंड इकॉनॉमिक रिस्क कंसलटेंसी (पीईआरसी) के इस सर्वे में 12 देशों में नौकरशाही और लालफीताशाही का मूल्यांकन किया गया. भारत में लालफीताशाही और नौकरशाही सबसे खराब आंकी गई है और भारत ने लिस्ट में पहला स्थान प्राप्त किया है. लालफीताशाही के मामले में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है.

भारत के बाद दूसरा नंबर इंडोनेशिया का आता है और फिर तीसरे स्थान पर फिलीपींस को जगह मिली है. कंसलटेसी का कहना है कि लालफीताशाही भारत और चीन में एक गंभीर समस्या है लेकिन दोनों देशों में अलग अलग राजनीतिक व्यवस्था होने की वजह से भारत में हालात ज्यादा सिरदर्द पैदा करते हैं.

रैंकिंग तय करने के लिए हर देश को 1 से 10 के पैमाने पर आंका गया और जिस देश की नौकरशाही सबसे सुस्त और भ्रष्ट रही उसे सबसे ज्यादा अंक मिले. इसके लिए करीब 1,500 वरिष्ठ प्रबंधकों से बात की गई. भारत ने सबसे ज्यादा 9.41 अंक पाए जबकि इंडोनेशिया 8.59 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा.

चीन का स्थान पांचवा है और उसे 7.93 अंक मिले हैं. सर्वे के मुताबिक हांगकांग और सिंगापुर की लालफीताशाही और नौकरशाही बेहद सक्षम और कार्यकुशल है. सिंगापुर को सबसे कम 2.53 अंक मिले हैं जबकि हांगकांग को 3.49 अंक दिए गए.

भारत के संबंध में अपनी टिप्पणी में पीईआरसी ने कहा, "नेता सुधार लाने का वादा करते हैं और भारतीय नौकरशाही को नई जान देने का भरोसा दिलाते हैं लेकिन अब तक वे ऐसा नहीं कर पाए हैं. क्योंकि प्रशासनिक व्यवस्था अपने आप में सत्ता केंद्र बन चुकी है. भारत की नौकरशाही से दो चार होना किसी भी भारतीय के लिए बेहद हताशाजनक अनुभव हो सकता है. विदेशी निवेशकों की तो बात ही छोड़ दीजिए."

पीईआरसी कंसलटेसी का कहना है कि प्रशासनिक व्यवस्था के सत्ता केंद्र बन जाने की वजह से उन्हें सुधारे जाने के प्रयासों में मुश्किलें पेश आती हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन उज्ज्वल भट्टाचार्य

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