नौकरी का झांसा देकर यौन तस्करी
१ फ़रवरी २०१४शर्मीले स्वभाव वाली इंडोनेशियाई मूल की शैंड्रा की आंखों में बेहतर भविष्य के कई सपने थे जो कि इस घटना के बाद चकनाचूर हो गए. वह भी उन हजारों लोगों में शुमार हो गईं जो अमेरिका में जोर जबरजस्ती से यौनकर्मी या बंधुआ मजदूर बनकर रह जाते हैं.
झूठा निकला सपना
एशिया में आर्थिक संकट के चलते शैंड्रा फाइनैंशियल एनलिस्ट की नौकरी खो चुकी थीं. इसी बीच उन्होंने अखबार में शिकागो के एक होटल में नौकरी देखी. 2001 में वह अपनी बेटी से जल्दी वापसी का वादा करके अमेरिका के लिए रवाना हुईं. उन्होंने बताया, "मैं बहुत उत्साहित थी, मुझे लगा मेरा अमेरिका जाने का सपना पूरा हो रहा है. मैं कुछ पैसे कमाऊंगी और छह महीने बाद अपने घर वापस लौट जाऊंगी." अमेरिका में पहली ही रात उन्हें यौन व्यापार में ढकेल दिया गया. एक दलाल से दूसरे दलाल, इनमें से कोई मलेशिया का था, कोई ताइवान का तो कोई अमेरिकी.
बंदूक की नोक पर
उन्होंने बताया, "उन्होंने मेरे सिर पर बंदूक रख दी और मुझे लग रहा था बस मुझे अपनी जान बचानी है. मुझे लगा शायद मुझे अगवा कर लिया गया है. मुझे ठीक से पता नहीं था. मुझे सिर्फ अपनी जान बचानी थी." उन्होंने बताया कि उनके जैसी कई अन्य इंडोनेशियाई लड़कियां भी इसी तरह इस काम में ढकेली गईं. इनमें से ज्यादातर किशोर उम्र की थीं, सबसे बड़ी शैंड्रा ही थीं.
शैंड्रा ने बताया कि एक लड़की 10 से 12 साल की उम्र की रही होगी. वह कोई भाषा नहीं बोलती थी. उन्होंने कहा, "मुझे कभी नहीं पता चला कि वह कहां की थी." शैंड्रा से कसीनो और होटलों में रात भर काम कराया जाता था. ग्राहक आकर या तो लाइन में खड़ी लड़कियों को पसंद करके ले जाते थे या फोन करके मंगवा लेते थे.
वह बताती हैं, "फोन हमेशा बजता रहता था." कई बार उन लोगों को भूखा भी रखा जाता था लेकिन मेज पर शराब और ड्रग्स हमेशा मौजूद होती थी. काले शीशे वाली गाड़ियों, अंधेरे कमरों और कमरे के बाहर खड़े भारी भरकम रखवालों के बीच वक्त गुजरता गया. उन्होंने बताया कि उन्हें वहां लाने के लिए दिए गए तीस हजार डॉलर चुकाने हैं. शैंड्रा को नहीं पता कि कितने समय तक वह बंधक रहीं.
कैसे हुई वापसी
एक शाम उन्हें बाथरूम की खिड़की से भाग निकलने का मौका मिला. अपने साथ रह रही एक लड़की को भी उन्होंने राजी कर लिया और दोनों वहां से निकलने में कामयाब रहीं. कई हफ्तों तक वह गिर्जाघर, पुलिस और एफबीआई के चक्कर लगाती रहीं. किसी ने भी उनकी कहानी पर विश्वास नहीं किया. इस बीच वह दूसरे दलाल के हाथ भी लगीं. शैंड्रा का पासपोर्ट और दूसरे जरूरी कागजात पहले ही दिन छीने जा चुके थे. आखिर में पीड़ितों की मदद करने वाली एक संस्था सेफ होराइजन ने उनकी मदद की.
यह कहानी सिर्फ शैंड्रा की नहीं है. एजेंसियों के अनुसार ऐसे मामले बहुत आम हैं. कई बार लड़कियां मॉडलिंग करियर और संगीत संबंधी कॉन्ट्रैक्ट के झांसे में आकर ऐसी परिस्थितियों में फंस जाती हैं. हर साल 14,000 से 17,000 के करीब पुरुष, महिलाएं और बच्चे गैरकानूनी तरीके से अमेरिका लाए जाते हैं. इन्हें यौनकर्मी बनाकर रखने के अलावा इनसे फैक्ट्रियों और खेतों में भी जबरदस्ती काम लिया जाता है.
संस्था की निदेशक मेलीसा स्पर्बर कहती हैं, "यह सुनियोजित अपराध है. हम देखते हैं कि दिन पर दिन वे अपराध करने में और मजबूत होते जा रहे हैं." स्पर्बर की संस्था इस तरह से लोगों की अमेरिका में तस्करी करने वालों पर सरकार की कड़ी निगरानी की मांग कर रही है.
एसएफ/एमजी (एएफपी)