उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने मुस्लिम समुदाय से नौ मस्जिदें हिंदुओं को सौंपने की अपील की है. रिजवी की इस अपील से नया विवाद खड़ा हो गया है.
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अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद का विवाद कई दशक पुराना है. इस विवाद ने सांप्रदायिक दंगे देखे, सरकारें बदलती देखी, देश में धार्मिक ध्रुवीकरण को देखा लेकिन विवाद अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
वैसे इसकी सुनवाई चल रही है लेकिन फिर भी यदा कदा अदालत के बाहर इस विवाद को सुलझाने की कवायद होती रही है. ये बात अलग हैं कि किसी भी ऐसे फार्मूला को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है. इधर बीते कुछ महीने से मुस्लिम समुदाय के कई नेता, मौलाना भी आगे आये हैं और इस विवाद को सुलझाने में पेशकश की है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड भी अपना फार्मूला ले कर आया.
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने ये कह कर सनसनी फैला दी है कि मुस्लिम समुदाय को नौ ऐसी मस्जिदें जिसमें अयोध्या भी शामिल है उसे हिंदुओं को सौप देनी चाहिए क्योंकि ये मस्जिदें मुस्लिम शासकों ने मंदिर तोड़ कर बनाईं. ऐसे ही दावे जब तब कुछ हिंदूवादी नेता भी कहते रहते हैं. मंदिर आंदोलन के समय ये नारा खूब चला था- "अयोध्या, मथुरा, विश्वनाथ-तीनों लेंगे एक साथ." इसमें अयोध्या से मतलब बाबरी मस्जिद, मथुरा में एक ईदगाह और विश्वनाथ से इशारा बनारस स्थित ज्ञानवापी मस्जिद से है. रिजवी ने ये तीनों जगह अपने पत्र में शामिल की हैं.
रिजवी खुद मुसलमानों में शिया समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं और इसके लिए उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष को बाकायदा एक पत्र लिखा. इस पत्र के बाद से यकायक हलचल मच गई है.
अयोध्या: कब क्या हुआ
भारतीय राजननीति में अयोध्या एक ऐसा सुलगता हुआ मुद्दा रहा है जिसकी आग ने समाज को कई बार झुलसाया है. जानिए, कहां से कहां तक कैसे पहुंचा यह मुद्दा...
तस्वीर: dpa - Bildarchiv
1528
कुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1853
इस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
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1859
ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
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1949
मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
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1984
विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
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1986
जिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
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1989
विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
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1992
वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
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जनवरी 2002
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
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मार्च 2002
गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
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अगस्त 2003
पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
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जुलाई 2005
विवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
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2009
जस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
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सितंबर 2010
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
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मई 2011
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
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मार्च 2017
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
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मार्च, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
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नवंबर, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
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अगस्त, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh
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रिजवी ने अपने 27 फरवरी के अपने पत्र में जिन नौ मस्जिदों का जिक्र किया है उनमें बाबरी मस्जिद भी शामिल है. पत्र में कहा गया हैं कि सन 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर तोड़ कर वहां मस्जिद बनवाई. दूसरा केशव देव मंदिर, मथुरा का है जिसे औरंगजेब ने 1670 में ध्वस्त किया, तीसरा जौनपुर की अटाला मस्जिद है जिसे फिरोज शाह तुगलक ने 1377 में अटाला देव मंदिर को ध्वस्त कर के बनाया, चौथा कशी विश्वनाथ मंदिर, बनारस है जिसे मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1699 में ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई, गुजरात के रूद्र महालय मंदिर को 1410 में अलाउद्दीन खिलजी ने तोड़ कर जामा मस्जिद बनवाई, अहमदाबाद की भद्राकाली मंदिर को 1552 में अहमद शाह ने तुड़वा कर जामा मस्जिद बनवाई, पश्चिम बंगाल की अदीना मस्जिद का उल्लेख किया है जिसे सिकंदर शाह ने 1373 में बनवाया. रिजवी के मुताबिक मध्य प्रदेश की विजय मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने 1669 में बीजामंडल मस्जिद में बदल दिया. आखिर में दिल्ली की कुतुब मीनार स्थित कुव्वातुल इस्लाम मस्जिद हैं जिसे 1206-1210 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने मंदिर तोड़ कर बनवाया.
रिजवी के मुताबिक उन्होंने इतिहासकारों से अध्ययन करके ये सूची बनायी है. उनके अनुसार कब्जा करके, बलपूर्वक किसी भी ऐसी मस्जिद में नमाज पढ़ने की इजाजत इस्लाम नहीं देता है. फिर ऐसी मस्जिदों को हिंदुओं को सौप देना चाहिए. ये गैर इस्लामिक है.
बाबरी के 20 साल बाद
01:38
रिजवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की काफी खिचाई भी की है. अपने पत्र में उन्होंने बोर्ड को एनजीओ कह कर सम्बोधित किया हैं. रिजवी ने ये भी लिखा कि उनका प्रस्ताव बोर्ड अपनी मीटिंग में रख कर पास करे. रिजवी के अनुसार बोर्ड में कट्टरपंथी मुल्लाओ का वर्चस्व है, लेकिन फिर भी उनके प्रस्ताव पर विचार करें.
रिजवी कहते हैं कि कम से कम उनके इस सवाल का जवाब मिलना चाहिए, क्या इस्लाम अनुमति देता है कि किसी की भी जायदाद को छीन कर अवैध कब्जा कर अपने मजहब की इबादतगाह जायज होगी?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड रिजवी के ऐसे किसी भी तरह के पत्र मिलने से साफ इनकार कर रहा है. रिजवी ने अपना पत्र मीडिया को भी जारी कर दिया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने पत्रकारों को बताया कि ऐसा कोई भी पत्र अभी उनको नहीं मिला है. अगर मिलता है तो बोर्ड रिजवी पर कानूनी कार्रवाई करेगा. देश में ऐसा कानून है कि 15 अगस्त 1947 के बाद से हर धार्मिक स्थल की यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी.
ये कोई पहली बार नहीं है कि रिजवी अयोध्या विवाद को लेकर सामने आये हैं. इससे पहले 11 फरवरी को एक पत्र में वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को आतंकवादी संगठन की एक शाखा कह चुके हैं जिस पर काफी बवाल मचा. इसके अलावा उन्होंने 13 नवम्बर 2017 को एक समझौता भी जारी किया था जिस पर हिंदू संतों के भी हस्ताक्षर का दावा किया था जिसमे उन्होंने मस्जिद को अयोध्या से बाहर लखनऊ में मस्जिद ए अमन के नाम से बनाने की बात कही थी.
वैसे रिजवी का विरोध उनके शिया समुदाय में भी होता रहता है. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद जो लखनऊ की एतिहासिक आसफी मस्जिद के इमाम-ए-जुमा भी हैं, वह कई बार रिजवी पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा चुके हैं. रिजवी आरोप साबित करने की चुनौती देते रहे हैं.
दुनिया में किस धर्म के कितने लोग हैं?
दुनिया में दस में से आठ लोग किसी ना किसी धार्मिक समुदाय का हिस्सा हैं. एडहेरेंट्स.कॉम वेबसाइट और पियू रिसर्च के 2017 के अनुमानों से झलक मिलती हैं कि दुनिया के सात अरब से ज्यादा लोगों में कितने कौन से धर्म को मानते हैं.
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ईसाई
दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी ईसाइयों की है. विश्व आबादी में उनकी हिस्सेदारी 31.5 प्रतिशत और आबादी लगभग 2.2 अरब है.
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मुसलमान
इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है, जिसे मानने वालों की आबादी 1.6 अरब मानी जाती है. विश्व आबादी में उनकी हिस्सेदारी 1.6 अरब है.
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धर्मनिरपेक्ष/नास्तिक
जो लोग किसी धर्म में विश्वास नहीं रखते, उनकी आबादी 15.35 प्रतिशत है. संख्या के हिसाब यह आंकड़ा 1.1 अरब के आसपास है.
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हिंदू
लगभग एक अरब आबादी के साथ हिंदू दुनिया में तीसरा बड़ा धार्मिक समुदाय है. पूरी दुनिया में 13.95 प्रतिशत हिंदू हैं.
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चीनी पारंपरिक धर्म
चीन के पारंपरिक धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या 39.4 करोड़ है और दुनिया की आबादी में उनकी हिस्सेदारी 5.5 प्रतिशत है.
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बौद्ध धर्म
दुनिया भर में 37.6 करोड़ लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं. यानी दुनिया में 5.25 प्रतिशत लोग भारत में जन्मे बौद्ध धर्म का अनुकरण कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS
जातीय धार्मिक समूह/अफ्रीकी पारंपरिक धर्म
इस समूह में अलग अलग जातीय धार्मिक समुदायों को रखा गया है. विश्व आबादी में 5.59 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इनकी संख्या 40 करोड़ के आसपास है.
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सिख
अपनी रंग बिरंगी संस्कृति के लिए दुनिया भर में मशहूर सिखों की आबादी दुनिया में 2.3 करोड़ के आसपास है
तस्वीर: NARINDER NANU/AFP/Getty Images
यहूदी
यहूदियों की संख्या दुनिया भर में 1.4 करोड़ के आसपास है. दुनिया की आबादी में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 0.20 प्रतिशत है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/W. Rothermel
जैन धर्म
मुख्य रूप से भारत में प्रचलित जैन धर्म के मानने वालों की संख्या 42 लाख के आसपास है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/N. Ut
शिंटो
यह धर्म जापान में पाया जाता है, हालांकि इसे मानने वालों की संख्या सिर्फ 40 लाख के आसपास है.