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जलवायु सम्मेलन में मोदी ने की वैश्विक आंदोलन की अपील

२३ सितम्बर २०१९

पर्यावरण सुरक्षा के लिए वैश्विक प्रयासों के आह्वान के साथ संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन का उद्घाटन. इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक आंदोलन चलाने की मांग की.

UN-Klimagipfel New York | Narendra Modi, Indien
नरेंद्र मोदीतस्वीर: Reuters/C. Allegri

दुनिया भर के करीब 60 राष्ट्र व सरकार प्रमुखों की उपस्थिति में हो रहे जलवायु सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रयास बढ़ाने की अपील की. उन्होंने कहा कि लोगों के कर का अरबों डॉलर जीवाश्म उर्जा सेक्टर पर खर्च नहीं किया जाना चाहिए. विश्व संगठन के महासचिव ने दुनिया भर में कोयले से चलने वाले बिजलीघरों के निर्माण को रोकने की मांग भी की. इससे पहले स्वीडन की किशोर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग ने पूरी दुनिया के राजनीतिज्ञों पर पर्यावरण सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप लगाया. पिछले साल एक शुक्रवार को स्कूल छोड़कर संसद के सामने अकेले प्रदर्शन शुरू करने वाली 16 वर्षीया थुनबर्ग ने कहा, "लोग तकलीफ सह रहे हैं, लोग मर रहे हैं, हम विनाश के कगार पर खड़े हैं और आप सिर्फ पैसे और शाश्वत विकास के बारे में सोच रहे हैं. आपकी हिम्मत कैसे हो रही है."

न्यू यॉर्क में हो रहे एक दिवसीय सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल सहित कई नेताओं ने अपना पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम पेश किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत 2022 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर 175 गीगावाट और उसके बाद  450 गीगावाट तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत ने पेरिस सम्मेलन में यह लक्ष्य रखा था. प्रधानमंत्री ने आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक वैश्विक गठबंधन की घोषणा की और विश्व नेताओं से उसमें शामिल होने का आह्वान किया.

अंगेला मैर्केल और अंटोनियो गुटेरेशतस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeld

मैर्केल ने ली जिम्मेवारी

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने सम्मेलन में जर्मन सरकार के पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम को देश में दूरगामी परिवर्तन की शुरुआत बताया. अपने चार मिनट के भाषण में मैर्केल ने इस कार्यक्रम को टिकाऊ अर्थव्यवस्था और दुनिया भर में टिकाऊ जीवन में जर्मन सरकार का योगदान बताया. चांसलर ने ग्रीन हाउस गैसों का वाला मुख्य उत्पादक होने के नाते ग्लोबल वार्मिंग के असर को आविष्कारों, तकनीक और धन से लड़ने को औद्योगिक देशों का कर्तव्य बताया, उन्होंने कहा कि जर्मनी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जिम्मेदारी देखता है.

जर्मन सरकार ने पिछले शुक्रवार को ही अगले चार सालों के लिए अपना पर्यावरण कार्यक्रम तय किया था. इस शिखर सम्मेलन के जरिए गुटेरेश चाहते हैं कि विश्व समुदाय 2015 में पेरिस में तय पर्यावरण लक्ष्यों को पूरा करने और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में पूरी शिद्दत से जुट जाए. पिछले शुक्रवार को पूरी दुनिया में लाखों लोगों ने ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ प्रयास बढ़ाने पर जोर दिया था. जलवायु सम्मेलन में गैर सरकारी उद्योग जगत के साथ सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं.

ग्रेटा थुनबर्गतस्वीर: Reuters/Y. Paskova

2050 तक कार्बन तटस्थ

संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन से पहले न्यू यॉर्क में भारत सहित 66 देशों ने 2050 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने का कर्तव्य तय किया है. इन देशों के स्वैच्छिक लक्ष्य का 10 इलाकों, 102 शहरों और 93 उद्यमों ने भी समर्थन किया है. गुटेरेश ने कहा, "पर्यावरण संकट एक ऐसी प्रतिस्पर्धा है जिसमें इस समय हम हारते लग रहे हैं, लेकिन यह ऐसी प्रतिस्पर्धा है जिसमें हम जीत भी सकते हैं."

सम्मेलन का लक्ष्य है कि विश्व समुदाय कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी का फैसला ले. 66 देशों का कार्बन तटस्थता का फैसला इसमें बड़ा योगदान होगा. कार्बन तटस्थता का मतलब यह है कि ये देश उससे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन नहीं करेंगे, जितने की वे भरपाई कर पाएं या उसे कहीं जमा कर पाएं. विश्व पर्यावरण परिषद के अनुसार इस सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता इस बात की पूर्वशर्त है कि धरती के गर्म होने की रफ्तार को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोका जा सकेगा. पेरिस सम्मेलन में विश्व समुदाय ने ये लक्ष्य तय किया था.

एमजे/एनआर (एएफपी)

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पर्यावरण के लिए दुनिया भर में प्रदर्शन

 

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