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पंजाबी पॉप में अशोक मस्ती की मस्ती

३ फ़रवरी २०११

पंजाबी संगीत की मस्ती किसी को भी थिरकने के लिए मजबूर कर सकती है. उभरते पंजाबी पॉप गायक अशोक मस्ती भी म्यूजिक की इस मस्ती में अपना रंग घोल रहे हैं. डॉयचे वेले से की उन्होंने खास बातचीत.

तस्वीर: DW/J. Sehgal

पंजाब के फरीदकोट जिले के गीदड़बाहा में जन्मे अशोक मस्ती आज ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक की संगीत महफिलों में अकसर सुनाई दे जाते है. गीदड़बाहा वही जगह है जिसने गुरदास मान सरीखे गायक कलाकार दिए हैं. पिछले दिनों एक कार्यक्रम के सिलसिले में अजमेर आए मस्ती ने बताया कि उनके गाने का शौक बचपन की लोरियों से शुरू हुआ और स्कूल कॉलेज से होता हुआ स्टेज और टेलीविजन तक जा पहुंचा. वह कहते हैं, "लगता है किसी संगीतकार या संगीत से पिछले जन्म का नाता है. जब से होश संभाला है, स्कूल में गाया, फिर कॉलेज में गाया. आज आपके सामने हूं."

दोस्ती की खातिर

यूं तो मस्ती अभिनय भी अच्छा खासा कर लेते थे लेकिन यार-दोस्त उनकी संगीत प्रतिभा के ज्यादा कायल थे. दोस्तों के कहने पर ही वह संगीत की दुनिया में आए. इसी दोस्ती की एक झलक उनके एक गाने "यारी जान तो प्यारी" में भी सुनाई देती है. वह कहते हैं, "मुझे और मेरे संगीत को जानने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ी है. यह किसी भी कलाकार के लिए बड़ी बात होती है. मैं रोज रियाज करता हूं. जितनी मधुरता चाहता हूं, उतनी अभी नहीं है, लेकिन मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूं."

तस्वीर: DW/J. Sehgal

"मुंडे बिकाऊ ने" अल्बम से अशोक मस्ती का करियर शुरू हुआ. यह अल्बम इतना मकबूल हुआ कि इसकी 75 हज़ार से ज्यादा कॉपियां बिकीं. दूसरा संगीत अल्बम " यह ही है मस्ती" और भी ज्यादा पसंद किया गया जिसकी सवा लाख से ज्यादा प्रतियां बिकीं. इस अल्बम का गीत "पंजाबियां दी हो गई वाह भई वाह" आज भी मशहूर है. वैसे अशोक मस्ती "ठेक्यां दे नित खड के, खड के गिलासी तेरे ना ते" को अपनी बेहतरीन रचनाओं में से एक मानते हैं.

आसमान पर नजर

मस्ती कहते हैं कि मौजूदा दौर में संगीत शब्दों पर हावी हो गया है और "पोएट्री " कहीं खो सी गई है. उनके मुतबिक, "आज किसी भी गीत के बोल आपको पांच सात दिन ही याद रहते हैं जबकि पुराने हिंदी या पंजाबी गानों की बात करें तो उनमें आज भी वही ताजगी है. उनमें शायरी का रस है. अगर गीत के बोलों पर अच्छी तरह काम नहीं होगा तो वह बात नहीं आएगी. मुझे लगता है कि इसके पीछे एक कारण यह भी है कि हम उर्दू से दूर होते जा रहे हैं. और उर्दू हमारी शायरी की रीढ़ है."

क्रॉस ओवर, मेंहदी, यारी जान तो प्यारी, नच साडे नाल, दो घूट पी लैन दे अशोक मस्ती की ऐसी कुछ अल्बम हैं जो खासी पसंद की गईं. कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में परफॉर्म कर चुके अशोक मस्ती को असली सफलता का अभी भी इंतज़ार है. वह कहते हैं, "सीढ़ियां उनके लिए होती हैं, जिन्हें छत पर जाना है. हो आसमान पर जिनकी निगाह, उन्हें अपना रास्ता खुद बनाना है."

रिपोर्टः जसविंदर सहगल, जयपुर

संपादनः ए कुमार

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